रामकथा कलयुग में कामधेनु समान

IMG_5416ब्यावर, 13 जुलाई। मानव जीवन में तप का बड़ा महत्त्व है। तप करने से कुछ भी असंभव नहीं है। अगर उत्थान चाहते हो तो जीवन को तप में लगाओ। यह बात गोवत्स राधाकृष्ण महाराज ने रसमयी रामकथा में राम वनवास का प्रसंग सुनाते हुए कही।
कथावाचक ने कहा कि राम कथा कलयुग में कामधेनु के समान है। कलिकाल में राम नाम स्मरण एवं भागवत कथा श्रवण मात्र से ही जीव कष्टों से छुटकारा पा सकता है। राम कथा जीव के जन्म-जन्मांतर की व्यथा हर लेती है। रामकथा सुनने से जीवन का संशय समाप्त हो जाता है और दुख दूर हो जाते हैं। महाराज ने केवट प्रसंग सुनाते हुए कहा कि केवट का प्रभु राम के प्रति विशुद्ध प्रेम ही था कि वनवास के चौदह वर्ष की समाप्ति तक गंगा के किनारे बैठकर उनकी वापसी की प्रतीक्षा की। केवट ने उतराई में दिया गया स्वर्ण आभूषण लौटाकर संदेश दिया कि जब भक्त परमपद को पा लेता है तो वह संसार के माया बंधनों से मुक्त हो जाता है। प्रभु राम के वन गमन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि पति और पत्नी के बीच राम और सीता की तरह समझ होनी चाहिए। वैवाहिक जीवन में दोनों की आपसी समझ जितनी मजबूत होगी, वैवाहिक जीवन उतना ही ताजगीभरा और आनंदम बना रहेगा। कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती है जब पति-पत्नी एक-दूसरे से बात नहीं कर पाते हैं, उन परिस्थितियों में एक-दूसरे के हाव-भाव को देखकर भी मन की बात और इच्छाओं को समझ लेना चाहिए। सबरी का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान राम ने सबरी का सम्मान करते हुए संदेश दिया कि बुजुर्गों का तिरष्कार नहीं करें। बुजुर्गों की प्रसन्नता का ध्यान रखें। कथा से पूर्व सुनील जैथल्या, सुमित्रा जैथल्या, ओमप्रकाश बालोतरिया, विजय झंवर, नरेंद्र पारीक, प्रकाश सोनी, महेंद्र चौहान, ओमप्रकाश गर्ग, मंजू अग्रवाल, अर्चना अग्रवाल, सुनील चौहान, प्रशांत खंडेलवाल, राजकुमार अरोड़ा, चतुर्भुज साहू, अजय सोलंकी, बालकिशन सोनी ने महाराज का स्वागत कर आशीर्वाद लिया। मीडिया प्रभारी सुमित सारस्वत ने बताया कि गुरुवार को कथा की पूर्णाहुति होने पर जगन्नाथ प्रभु का गृह गमन होगा। अंतिम दिवस की कथा प्रात: 9.30 से दोपहर 12.30 बजे तक होगी।

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