अजमेर 28 जुलाई। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिष्ती के वंषज एवं वंषानुगत सज्जादानषीन दरगाह के आध्यात्मीक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि गाय अतीतकाल से हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही इसलिये मुसलमानों को गौवंष की रक्षा में अपना साकारात्मक योगदान देकर मिसाल कायम करनी चाहिये। इसके अलावा गौ मांस की आड़ में देष का माहौल सांप्रदायिक करने वालों को अहतियात बरतनी चाहिये जिससे दोनों सम्प्रदायों के बीच विष्वास की भावना कायम हो।
गुरूवार को जारी ब्यान में दरगाह दीवान ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुऐ कहा की कुछ शरारती तत्व गोमांस के मुद्दे पर देश का माहौल बिगाड़ कर देष को सिविल वार की तरफ धकेल रहे हैं ऐसा नही होना चाहिये। उन्होने कहा कि इस तरह के मुद्दे देष में सदियों से आपसी मेलजोल से रह रहे दो संम्प्रदायों के बीच खाई के रूप में अपनी जड़ें जमा रहे है अगर हिंदू मुसलमान से खौफ खाएगा और मुसलमान हिंदू से डरेगा तो देश सिर्फ और सिर्फ विनाष की और जाऐगा।
उन्हाने कहा कि विभाजन के काल में गाय को सांप्रदायिकता से जोड़कर देखा गया और गाय को लेकर सांप्रदायिक धु्ररुवीकरण कराने की कोशिश मुस्लीम लीग ने की थी इसलिए दंगा कराने के लिए गौमांस को मंदिरों में फेंकना गाय की हत्या करना ये एक प्रवृत्ति थी परंतु कुछ संगठन स्वतंत्र भारत में मुस्लिम लीग की विचार धारा और मिषन को आगे बढ़ाते हुऐ गौहत्या और गौमांस के मामले को सांप्रदायिक बनाते हुए हिंदू मुस्लिमों के बीच विवाद का रंग देने की कोशिश में लगे हुऐ है। गाय हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही है लेकिन आज गौमांस का ये मुद्दा धर्म का एक नया हथियार बन चुका है जिससे विष्व में भारत की छवी पर प्रतिकूल असर आ रहा है।
उन्होने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी अपने उपदेषों में गौमांस के सेवन से सख्ती से मना किया है और गाय के दूध को इंसान के लिये बहुउपयोगी बताया पैगम्बर के इन्ही उपदेषों के अनुसरण में चिष्तिया सूफियों और धर्मगुरूओं द्वारा गौ मांस का सेवन किया इतिहास में ऐसे काई प्रमाण नहीं मिलते हैं। यही कारण है कि बाबर ने अपनी वसीयत “तूजुक-ए-बाबरी” में अपने पुत्रों से कहा कि हिंदूओं की भावनाओं की इज्जत करनी चाहिए इसीलिए मुगल साम्राज्य में कहीं भी न तो गाय की बलि हो और न ही गायों को मारा जाए। यदि कोई मुगल राजा इस का उलंघन करेगा, उसी दिन से हिंदुस्तान के लोग मुगलों का परित्याग कर देंगे अनेकों मुगल राजाओं जैसे की अकबर, जहाँगीर, अहमद शाह आदि ने अपनी सल्तनत में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया हुआ था।
दरगाह दीवान ने गौ मांस पर देष के मौजूदा माहौल पर कहा कि जिस तरह धार्मांतरण और गौमांस जैसे मुददों को उछाला गया और उसे तूल देकर समाज का माहौल बिगाडने की कोशिश की गई यह देष के लिये खतरनाक है उन्हाने कहा कि देष का कानून किसी को यह इजाजत नहीं देता कि कोई किसी धर्म के अनुयायि के विरूद्ध कानून अपने हाथ में लेकर सीधे तौर पर कोई कार्यवाही करे अगर कोई व्यक्ति कोई अनेतिक कार्य करता है तो देष के कानून में इसकी सजा के प्रयाप्त प्रावधान हैं। लैकिन उन लोगों को भी इस बात का भरपूर ध्यान रखना होगा जो गौमांस के सेवन के पक्षधर हैं की इस्लाम किसी भी धर्म की आस्था के प्रतीक और धार्मिक आस्था को ठेस नही पहुंचाने का संदेष देता है। यह देष दुनिया के लिये गंगा जमनी तहजीब का प्रतीक रहा है जहां ऐसे संवेदनषील मुद्दे की आड़ लेकर देष में सेक्युलर माहौल को बिगाड़ने के प्रयास पर विराम लगाने जरूरत है।
भवदीय
दीवान सैयद जैनुल आबेदीन
वंषज एवं वंषानुगत सज्जादानषीन आध्यात्मीक प्रमुख
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिष्ती (र.अ.)
