शहीद स्मारक के लिए पेड़ की शहादत

bअजमेर रेलवे स्टेशन के ठीक सामने क्लॉक टावर के बगल मे शहीद स्मारक है।जहाँ बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा है। साल में एक बार तिलक जयंती पर कुछ स्वयंसेवी प्रतिमा की झाड़ पोछ करने के अलावा कोई कार्यक्रम नही होता।
इस बार प्रशासन मुख्यमंत्री की यात्रा के नाम पर “सब कुछ बदल डालूँगा”की मुद्रा में है। इसी कलाबाज़ी में उसे शहीद स्मारक की सुध आई है और आनन् फानन में उन्होंने शहीदों को श्रद्धासुमन चढाने का कार्यक्रम बना लिया है ।
अब मुख्यमंत्री आएँगी तो उन्हें दिखाने के लिए शहीदों के मुँह तो चमकाने ज़रूरी हैं।सौंदर्यीकरण के ताबड़तोड़ अभियान में प्रशासन वहां स्थित 100 साल पुराने पीपल के पेड़ की बलि चढाने जा रहा है।
तर्क देखिये “पेड़ पर पक्षी बैठते है इसलिए स्मारक पर गंदगी हो जाती है।” इस तर्क से तो दुनिया का हर पेड़ हटाया जा सकता है। अजमेर को जानने वालो को पता है इस पेड़ पर सेंकडो तोतो का आशियाना है। पर मूक पेड़ की तरह मूक परिंदों की क्या बिसात ?
इस पेड़ को हटाने से न तो कोई रास्ता चौड़ा होना है और न ही जनता को कोई सुविधा मिलने वाली है। शहर के सर्वाधिक व्यस्ततम ट्राफीक पॉइंट पर बिना पार्किंग सुविधा वाले स्थान पर कोई शहीदों को श्रद्धांजलि देने जाया करेगा ,इसमें भी संशय है।
बहरहाल पेड़ की कटाई शुरू हो चुकी है। लगता नही कि किसी पर्यावरण प्रेमी की शहादत के बिना इस शहीद स्मारक के पेड़ को शहीद होने से कोई बचा पायेगा।

Anant Bhatnagar
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