नि:शुल्क कैंसर रोग परामर्श शिविर सम्पन्न

कैंसर कोई मधुमक्खी का छत्ता नहीं है जो हाथ लगाते ही फैल जायेगा।
अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, पाली, राजसमंद सहित अन्य डेगाना, डीडवाना, ब्यावर, पीसांगन आदि ग्रामीण क्षेत्रों से आए रोगी हुए लाभांवित

_dsc9386अजमेर 8 सितम्बर । मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, अजमेर में आयोजित नि:शुल्क कैंसर रोग परामर्श शिविर में नगर सहित अन्य शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से आए अनेक रोगियों ने लाभ पाया। शिविर में राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के डॉ. नरेन्द्र अग्रवाल व मित्तल हॉस्पिटल के डॉ. प्रशांत शर्मा ने अपनी सेवाएं दीं।
शिविर की जानकारी देते हुए सीओओ डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि गुरुवार को अपने निर्धारित समय सुबह दस से एक बजे के उपरांत भी शिविर में रोगियों की बढ़ती हुई भीड़ के कारण विशेषज्ञों ने दोपहर तीन बजे तक रोगियों को अपनी परामर्श सेवाओं का लाभ दिलाया। शिविर में कई ऐसे रोगी आए जो लंबे समय से कैंसर रोग से पीडि़त थे किंतु एक बार सलाह लेने के बाद भी उपचार को टालते आ रहे थे जिससे उनका अब रोग बढ़ चुका है। इनमें ब्रेस्ट कैंसर, किडनी के पास कैंसर की गांठ होने, गले में कैंसर होने आदि से संबंधित रोगी भी थे।
डॉ. नरेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि हिंदुस्तान में लोग अपने स्वास्थ्य की प्रति जागरूक नहीं है इसके चलते कैंसर रोग तेजी से अपने पैर पसार रहा है । अधिकतर लोगों को कैंसर के बारें में एडवांस स्टेज पर पता चलता है उसके बाद इलाज संभव नहीं है। उन्होने यह भी कहा कि कैंसर कई प्रकार के होते हैं, इनमें रक्त कैंसर ही हजारों तरह का होता है जिसमें शुरूआती स्टेज पर रोग का पता नहीं चलता है इसलिए सभी को सलाह दी जाती है कि समय-समय पर रक्त की जांच कराते रहे ताकि कैंसर होने की स्थिति का पता चलने पर समय रहते उसका उपचार किया जा सके।
शिविर की जानकारी देते हुए डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में कैंसर के सभी तरह के रोग का उपचार उपलब्ध है, हॉस्पिटल में दूरबीन के जरिए कैंसर सर्जरी की जाती है। उन्होंने कहा किमहिलाओं में बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर को लेकर भी कुछ भ्रांतियां हैं। कैंसर कोई मधुमक्खी का छत्ता नहीं है जो हाथ लगाते ही फैल जायेगा। कैंसर की जांच में सुई लगाने या बॉयोप्सी करने से कैंसर के फैलाव की गति में कोई परिवर्तन नहीं आता। कुछ कैंसर ऐसे होते है जिनमें बॉयोप्सी नहीं कर सीधे ऑपरेशन किये जाते है जैसे – अण्डेदानी, पित्त की थैली, अग्नाश्य, थॉयरायड ग्रंथि, पैरोटिड ग्रंथि इत्यादि।
डॉ. शर्मा ने मरीजों को कैंसर रोग से बचाव के बारे में भी सलाह दी। उन्होंने बताया कि तम्बाकू और उससे जुड़े उत्पादों का सेवन कैंसर रोग का कारण बनता है। उन्होंने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी।
डॉ. शर्मा ने बताया कि शिविर का उद्देश्य समाज के हर वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाना है। बहुत से कैंसर रोगी निजी चिकित्सा संस्थानों में उपचार लाभ लेने से कतराते हैं। निम्न व मध्यम वर्ग के लोग तो निजी चिकित्सा संस्थान में अधिक पैसा खर्च होने के भय से परामर्श लाभ लेने से भी संकोच करते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। ऐसी सोच के कारण उन्हें सही परामर्श नहीं मिल पाता और रोग बढ़ता चला जाता है। इस तरह के परामर्श शिविर से निम्र व मध्यम वर्ग के लोगों को कम से कम सही परामर्श नि:शुल्क उपलब्ध हो जाता है। उन्होंने बताया कि आज के शिविर में बहुत से पुराने कैंसर रोगी परामर्श लाभ लेने पहुंचे हैं तो अनेक नए लोग भी कैंसर रोगी होने के संदेह में परामर्श के लिए आए हैं।
मित्तल हॉस्पिटल के निदेशक सुनील मित्तल ने बताया कि शिविर में पंजीकृत रोगियों को निर्देशित जांचों पर 25 प्रतिशत तथा ऑपरेशन व प्रोसीजर्स पर दस प्रतिशत छूट दी सात दिवस तक प्रदान की जाएगी।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल को हाल ही में एनएबीएच की मान्यता मिली है हॉस्पिटल राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी अधिकृत है। इसके तहत 119 पैकेजों में निर्धन, गरीब व वंचित वर्ग को स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ प्रदान किया जा रहा है। कार्डियोलॉजी, हार्ट एण्ड वास्कुलर सर्जरी, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी के साथ कैंसर रोग भी इन्हीं में से एक है। उन्होंने बताया भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में अनेक रोगी मित्तल हॉस्पिटल से नि:शुल्क स्वास्थ्य लाभ उठा रहे हैं।

इससे पूर्व बुधवार रात मित्तल हॉस्पिटल के सभागार में मल्टीपल मॉयलोमा (एक प्रकार का हड्डियों का कैंसर) विषय पर सेमीनार आयोजित की गई जिसमें १०० से भी अधिक डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया।
इस सेमीनार में डॉ. नरेन्द्र अग्रवाल ने ब्लड कैंसर पर अपने विचार रखे। डॉ. प्रशान्त शर्मा ने जनरल सर्जन से कैंसर सर्जन तक की यात्रा पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि एक कैंसर सर्जन बनने से पहले डॉक्टर जनरल सर्जन होता है और उससे पहले वह मरीज भी होता है। डॉक्टर को मरीजों के प्रति सहानुभूति और संवेदनशीलता होती है। एक अच्छा सर्जन मरीज के मर्ज को कम से कम परेशानी दिये जड़ से मिटाने वाला होता है।
सेमीनार की अध्यक्षता जेएलएन हॉस्पिटल के रेडियोथैरेपी विभागाध्यक्ष डॉ. यू के माथुर ने की एवं सभी का धन्यवाद प्रेषित किया। मित्तल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. दिलीप मित्तल सहित सभी चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।

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