राज्य की उच्च शिक्षा में कार्यरत हजारों शिक्षक रुक्टा (राष्ट्रीय) के बैनर तले दीपवली पश्चात पदनाम परिवर्तन की मांग को लेकर सड़क पर उतरेंगे। इस संबंध में रुक्टा (राष्ट्रीय) के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री निवास पर विस्तृत ज्ञापन सौपा। जानकारी देते हुए रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रदेश महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि देश के समस्त राज्यों में यू.जी.सी. के रेगुलेशन के अनुरूप व्याख्याता पदनाम समाप्त कर असिस्टेंट व एसोसियेट प्रोफेसर कर दिये हैं किन्तु राजस्थान में केबिनेट मंत्री श्री कालीचरण सराफ की घोषणा के तीन वर्ष बाद भी इस संबंध में आदेश जारी नहीं हुए हैं।
संगठन के प्रतिनिधि मंडल की अप्रेल 2016 में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से हुई भेंट में समस्त तथ्यों को रखने के बाद भी अभी तक पदनाम परिवर्तन नहीं किये जाने के कारण शिक्षकों में जबरदस्त आक्रोश है। इस विषय को लेकर रुक्टा (राष्ट्रीय) की प्रदेश कार्यकारिणी ने निर्णय किया है कि यदि सरकार दीपावली तक इस संबंध में सकारात्मक निर्णय नहीं करती है तो दीपावली पश्चात राज्य की उच्च शिक्षा में कार्यरत शिक्षक अपने अधिकार के लिए जयपुर में एकत्रित होकर सड़क पर उतरेंगे।
संगठन ने आज विस्तृत ज्ञापन सौप कर मुख्यमंत्री से राज्य की उच्च शिक्षा एवं शिक्षकों के हित में अविलम्ब सकारात्मक निर्णय लेने की मांग की है। ज्ञापन के साथ 100 से अधिक जनप्रतिनिधियों के समर्थन पत्र एवं 4200 से अधिक महाविद्यालय शिक्षकों के हस्ताक्षरित मांग पत्र की प्रति भी प्रस्तुत की।
(डॉ. नारायण लाल गुप्ता)
प्रतिष्ठïार्थ,
माननीया मुख्यमंत्रीजी
राजस्थान सरकार, जयपुर (राज.)
विषय – महाविद्यालय शिक्षकों के पदनाम परिवर्तन के संबंध में।
माननीया महोदया,
उपर्युक्त विषयान्तर्गत लेख है कि एम. एच.आर.डी. ने 31 दिसम्बर 2008 को महाविद्यालय शिक्षकों के लिए छठे वेतनमान के आदेश प्रसारित किए इन आदेशों एवं इनके अनुरूप 30 जून 2010 को यू.जी.सी. द्वारा जारी रेग्यूलेशन के अनुसार महाविद्यालयों में व्याख्याता पदनाम असिस्टेंट प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर में बदल दिये एवं व्याख्याता पदनाम स्थाई रूप से विलोपित कर दिया। उक्त आदेशों के अनुरूप देश के लगभग सभी राज्यों ने महाविद्यालयों शिक्षकों का पदनाम परिवर्तित कर दिया है किन्तु राज्य के महाविद्यालय शिक्षकों का पदनाम परिवर्तन अभी तक नहीं हुआ है।
भाजपा सरकार आने के पश्चात जनवरी 2014 में अजमेर में आयोजित रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रांतीय अधिवेशन में केबिनेट मंत्री श्री कालीचरणजी सराफ ने महाविद्यालय शिक्षकों का पदनाम परिवर्तन करने की घोषणा कर शिक्षक वर्ग में विश्वास जागृत किया। खेद का विषय है कि सरकार के एक केबिनेट मंत्री की घोषणा, जो कि सरकार की घोषणा होती है, के 34 माह बीतने के पश्चात भी उक्त घोषणा का क्रियान्वयन नहीं हो सका है। इस संदर्भ में संगठन ने आपके समक्ष भी विस्तार से तथ्यात्मक पत्र प्रेषित किये गये हैं और आपके सम्पर्क करने का लगातार प्रयास भी किया है, अप्रेल 2014 में हुई आपसे भेंट के पश्चात लगभग 2 वर्ष बाद गत 12 अप्रेल को आपके निवास पर पुन: आपसे भेंट हुई। इस भेंट में आपके समक्ष मैंने विस्तृत तथ्य रखकर शिक्षकों के मध्य पदनाम परिवर्तन को लेकर फैले गंभीर असंतोष की जानकारी दी थी।
आपके निर्देशानुसार भाजपा अध्यक्ष श्री अशोक परनामी, उच्च शिक्षा मंत्री श्री कालीचरण सराफ, अतिरिक्त मुख्यसचिव शिक्षा श्री राजहंस उपाध्याय, प्रमुख शासन सचिव (वित्त) श्री प्रेमसिंह मेहरा, निजी सचिव (मुख्यमंत्री) श्री तन्मय कुमार के साथ बैठक भी सम्पन्न हुई। जिसमें मैंने यू.जी.सी. एवं विभिन्न राज्यों के पदनाम परिवर्तन संबंधी आदेश एवं पदनाम परिवर्तन न होने से राज्य की उच्च शिक्षा पर पडऩे वाले दूरगामी दुष्प्रभावों को रखा। किन्तु दुर्भाग्य से इस बैठक का भी कोई सकारात्मक परिणाम अभी तक नहीं आया है।
आपसे हुई वार्ता से शिक्षकों में पुन: विश्वास जागृत हुआ था किन्तु गत 6 माह में उक्त प्रकरण में किसी भी प्रकार की प्रगति होती हुई परिलक्षित नहीं हुई है। इससे राज्य के शिक्षकों का निरन्तर अकादमिक नुकसान होने तथा कोई विशेष वित्तीय भार नहीं होने के बावजूद सरकार के उदासीन रुख से शिक्षकों के आक्रोश में लगातार वृद्धि हुई है। रुक्टा (राष्ट्रीय) की हाल ही में सम्पन्न प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में शिक्षकों ने अपने रोष एवं भावनाओं को व्यक्त किया जिसके चलते सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि यदि दीपावली तक इस विषय में सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो दीपावली पश्चात अकादमिक प्रोन्नति एवं राज्य की उच्च शिक्षा को अपूरणीय दुष्प्रभाव से बचाने के लिए राज्य की उच्च शिक्षा में कार्यरत हजारों शिक्षक सड़क पर उतरेंगे।
पदनाम परिवर्तन के संदर्भ में राज्य के विभिन्न स्थानीय जन प्रतिनिधियों भी भेंट कर संगठन ने अपना पक्ष रखा जिस पर राज्य के शताधिक जन प्रतिनिधियों की पदनाम परिवर्तन की अनुशंसा की। जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा पत्र एवं राज्य की 4200 शिक्षकों का हस्ताक्षरित ज्ञापन आपके अवलोकनार्थ पत्र के साथ संलग्न है।
एक बार पुन: आपसे आग्रह है कि महाविद्यालय शिक्षकों का पदनाम परिवर्तन करने के लिए अविलम्ब अधिकारियों को निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें। राज्य की उच्च शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों को आपसे आशा है कि आप उन्हें अपना जायज अधिकार प्रदान कर उनकी दीपावली रोशन करेंगी तथा उनके आक्रोश शमन करते हुए आंदोलन के रास्ते पर जाने से रोकेंगी।
साभार।
भवदीय
(डॉ. नारायण लाल गुप्ता)