2 नवंबर को अजमेर के मेयर चुनाव के प्रकरण में एडीजे संख्या एक जगदीश प्रसाद शर्मा की अदालत में नियमित सुनवाई हुई। अदालत ने अब आगामी 5 नवंबर को तत्कालीन निर्वाचन अधिकारी हरफूल सिंह यादव को तलब किया है। इससे पहले अदालत में धर्मेन्द्र गहलोत के वकील गोपाल अग्रवाल ने मेयर चुनाव के पराजित उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह शेखावत से लंबी बहस की। अग्रवाल के सवालों के जवाब में शेखावत का कहना रहा कि चुनाव के दौरान तत्कालीन जिला कलेक्टर आरूषि मलिक, निर्वाचन अधिकारी हरफूल सिंह यादव, मंत्री वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, एसपी विकास कुमार आदि लगातार टेलीफोन पर संवाद कर रहे थे। इन लोगों को जयपुर से दिशा-निर्देंश भी प्राप्त हो रहे थे। मेरे सामने ही कलेक्टर मलिक ने अपना फोन एसपी विकास कुमार को दिया और कहा कि जयपुर से फोन है। शेखावत ने यह भी कहा कि जब दोनों उम्मीदवारों को बराबर 30-30 मत मिले तो उसके बाद दो बार पर्ची निकाली गई। शेखावत ने यह भी स्वीकार किया कि वे पूर्व में नगर परिषद के सभापति रह चुके हैं, लेकिन उन्हें स्थानीय निकाय के चुनावों की प्रक्रिया की ज्यादा जानकारी नहीं है। उल्लेखनीय है कि शेखावत ने मेयर चुनाव को लेकर अदालत में याचिका दायर की है और अब उसी पर नियमित सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान मेयर धर्मेन्द्र गहलोत भी उपस्थित रहे।
(एस.पी.मित्तल)