श्री विष्णु महायज्ञ आज होगा संपन्न
अजमेर 19 जनवरी 2017। संन्यास आश्रम के तत्वावधान में आश्रम के अधिष्ठाता और वेदांताचार्य स्वामी शिवज्योतिषानंद जिज्ञासु के सानिध्य में आयोजित 8 दिवसीय श्री भागवत कथा ज्ञान गंगा का गुरुवार को भावभीना समापन हो गया। वृंदावन धाम से आए कथा व्यास स्वामी श्रवणानंद शास्त्री ने कथा के समापन पर श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत के हर पहलू से अवगत और चिंतन करवाया। उन्होंने कथा के अंतिम दिन भागवत से जुड़े अनेक प्रसंगों का अपनी मधुर वाणी से श्रमण करवाया। उन्होंने गुरुदेव जीव को भगवान की कथा व भगवान को जीव की कथा का वृतांत सुनाया।
कथा के दौरान स्वामीजी ने प्रद्धुम्न द्वारा शमरासुर का वध बड़े सुंदर शब्दों में वर्णन किया। गुरुवार को हुए प्रसंगों में जामवंत द्वारा जामवती का श्री कृष्ण से विवाह प्रसंग को बड़े सुंदर शब्दों में चरितार्थ किया। सत्राजीत द्वारा अपनी पुत्री सत्यभामा का कृष्ण से विवाह, इन्द्रप्रस्थ में कालंदी से श्रीकृष्ण के विवाह का दृश्य और भोमासुर का वध और 16 हजार एक सौ राजकुमारियों से विवाह का प्रसंग भी कथा के दौरान सुनाया गया। स्वामीजी ने कथा के दौरान श्री हरि की सेवाकार्य का भी वर्णन करते हुए कहा कि सेवा से कोई छोटा और बड़ा नहीं होता है और ना ही कभी सेवा कभी छोटी व बड़ी होती है। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर के यज्ञ में जूठन उठाने की सेवा ली थी।
कथा व्यास स्वामीजी ने कहा कि साधु बनने के लिए साधु सेवा अनिवार्य है। भागवत कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र का वाचन करते हुए स्वामीजी ने कहा कि भगवान श्रीहरि ने संदीपनी आश्रम में पढ़ते वक्त उनके पांव का कांटा अपने दांत से निकाला था। श्रीहरि के परममित्र सुदामा ने चार मुठ्ठी चावल भेंट लेकर मानो अपने घर की कहानी ही लिख दी थी। सुदामा की दीन दशा देखकर श्रीकृष्ण ने अपने कथा के प्रेमाश्रुयों से उनके पांव भी धोए। सुदामा वापस जाते समय श्रीकृष्ण के व्यवहार से प्रेेमपुरित होकर गले लगकर रोए। स्वामीजी ने कथा स्थल पर मौजूद श्रद्धालुओं के जन सैलाब को संबोधित करते हुए कहा कि भागवत कथा में एकादश स्कंध का बड़ा महत्व है। इसे मुक्ति स्कंध भी कहा जाता है।भगवान ने वंश वृद्धि करके उसे समेट लिया। कामना ही संसार का निर्माण करती है। मानव शरीर दुर्लभ है किंतु क्षणभंगुर है। उन्होंने भागवत धर्म के लिए कहा कि सुबह उठते ही लघुशंका आदि से निवृत्त होकर पंलग पर बैठकर अपने ईष्ट का चिंतन करो और उनसे कहों की अब आपकी सेवा में लगता हूं। सोते समय भी अपने ईष्ट का चिंतन करो और कहो कि जो कुछ भी किया है वह आपको अर्पण है। गुरु से भव रोगो की दवा मांगों। उन्होंने कहा कि गुरु वहीं है जो शिष्य को गोविन्द से मिला दे। कथा समापन के मौक पर स्वामी शिवज्योतिषानंद जिज्ञासु ने भी उपस्थित श्रद्धा सैलाब को संबोधित किया और कहा कि भागवत कथा का वाचन और श्रमण श्री हरि की निकटता का अहसास कराता है। उन्होंने कहा कि कथा का समापन हुआ है और श्री विष्णु महायज्ञ का समापन शुक्रवार को होगा। इस दौरान पटेल मैदान से लेकर सन्यास आश्रम तक शोभायात्रा निकाली जाएगी जो कथा ज्ञान यज्ञ के साथ-साथ पर्यावरण प्रेम का संदेश भी देगी।
कथा समापन के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में महिला बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर धर्मलाभ कमाया। इस मौके पर जोधपुर के जिला परिषद सदस्य रावल जानी, लोहावट के प्रधान भागीरथ बेनीवाल, हिमाचल से आए संत सहित गुजरात से आए भरत भाई और स्थानीय आश्रम के सदस्य एवं विष्णु महायज्ञ के यजमान कालीचरण खंडेलवाल, रवि अग्रवाल, शंकर बंसल, किशन बंसल, पंकज खंडेलवाल, ओमप्रकाश मंगल व कथा स्थल पर सेवा दे रहे विश्वहिन्दू परिषद के पदाधिकारी लेखराज सिंह राठौड़ सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
कौशल जैन
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