‘‘मिनिमल इन्वेज़िव’’ तकनीक से मित्तल हॉस्पिटल में हुई बाईपास सर्जरी

राज्य सरकार की भामाशाह योजना बनी गरीब महिला की ‘‘जीवनदायिनी’’
सर्जरी का खर्च नहीं उठा पाने के कारण 50 साल से भुगत रही थी तकलीफ
मित्तल हॉस्पिटल के हार्ट व वास्कुलर सर्जन डॉ सूर्य ने पहुंचाई बड़ी राहत

Mhrc Heart Patient Sushila Daviअजमेर 10 मार्च। सूक्ष्म चीरे से दिल की बाईपास सर्जरी अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर भी संभव है। मित्तल हॉस्पिटल के हार्ट व वास्कुलर सर्जन डॉ सूर्य ने निम्बाहेड़ा चितौड़गढ़ निवासी 53 वर्षीय सुशीला देवी की सूक्ष्म चीरे (मिनिमल इन्वेज़िव) से बाईपास सर्जरी कर बड़ी राहत दी है। अत्यन्त निर्धनता के कारण सुशीला देवी विगत 50 साल से जन्मजात दिल में छेद का उपचार नहीं करा पा रही थी। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना सुशीला देवी के लिए जीवनदायिनी साबित हुई। मित्तल हॉस्पिटल में सुशीला देवी का पूर्णतया निःशुल्क ईलाज संभव हो सका। सुशीला देवी को स्वस्थ अवस्था में मित्तल हॉस्पिटल से घर के लिए छुट्टी दे दी गई।
बकौल सुशीला देवी अब वह बहुत ही अच्छा महसूस कर रही है। उसे सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं होती, घबराहट भी महसूस नहीं कर रही। रात को नींद भी अच्छे से आ रही है। उसे लगता है कि जन्म से ही दिल में छेद की बीमारी के कारण वह बचपन से आज तक कभी ठीक से नींद ही नहीं ले सकी। बेचैनी में रातों को वह जागती रहती थी। उपचार के लिए बहुत से चिकित्सा संस्थानों में दिल के डाक्टरों को दिखाया भी किन्तु ऑपरेशन पर 1.50 से 2 लाख रुपए का खर्च जानकर कभी उपचार नहीं करा पाई। पिछले दिनों निम्बाहेड़ा में ही एक चिकित्सालय में कार्यरत कम्पाउडर मयंक ने उसे भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत ऑपरेशन निःशुल्क होने की जानकारी दी। मयंक के बताए अनुसार उसने परिवारजनों के साथ अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल में डॉ सूर्य से समय लेकर मुलाकात की। डॉ सूर्य ने ऑपरेशन की तिथि निश्चित कर दी। मुश्किल से 5-7 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रही और 50 साल की पीड़ा से निजात मिल गई। राज्य सरकार और डाक्टर साहब का धन्यवाद करती हूं।
डॉ सूर्य के अनुसार सूक्ष्म चीरे यानी ‘‘मिनिमल इन्वेज़िव’’ तकनीक (यानी छोटे चीरे से) के तहत मरीज के वक्षस्थल के नीचले भाग में 3 से 4 सेंटीमीटर का छोटा चीरा लगा कर दिल की शल्य क्रिया की जाती है। यह शल्य क्रिया दिल के बाईपास की परम्परागत शल्य क्रिया से कम जटिल और कॉस्मेटिक होने के साथ इसमें रिकवरी बहुत ही तेज होती है। मरीज को अगले तीन दिन में छुट्टी मिल जाती है। वहीं वक्षस्थल के नीचे चीरा होने के कारण वह दिखाई भी नहीं देता है। तकनीकी दृष्टि से इस शल्य क्रिया की बहुत मांग भी है किन्तु राजस्थान में मात्र एक या दो चिकित्सा संस्थानों में और देश में 10 से 15 बड़े सेंटर पर ही यह सुविधा उपलब्ध है। डॉ सूर्य ने बताया कि मिनिमल इन्वेज़िव केस में मरीज का एक फेफड़ा निश्चेतन कर शल्य क्रिया की जाती है। इस कार्य को मित्तल हॉस्पिटल के कार्डियक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट व इन्टेन्सिविस्ट डॉ विपिन सिसोदिया ने बखूबी अंजाम दिया। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में उनकी पूरी टीम का बड़ा योगदान रहा।
क्या है परम्परागत बाईपास सर्जरी-
परम्परागत बाईपास सर्जरी में छाती के सामने की तरफ चीरा लगाया जाता है। इस शल्य क्रिया में ‘‘स्टर्नम’’ सामने की हड्डी को काटकर ऑपरेशन किया जाता है। मरीज को कम से कम 7 से 8 दिन तक अस्पताल में रहना होता है। परम्परागत बाईपास सर्जरी में मरीज की रिकवरी भी धीमे होती हैै।
निदेशक डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में सूक्ष्म चीरे (मिनिमल इन्वेज़िव) से हृदय की शल्य चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। पूर्व में भी भीलवाड़ा जिले की एक 45 वर्षीय महिला को इसी शल्य क्रिया से राहत प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल अजमेर संभाग का एकमात्र एनएबीएच मान्यता प्राप्त हॉस्पिटल है जो कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत हृदय रोग, ब्रेन व स्पाइन रोग, गुर्दा रोग, कैंसर रोग, पथरी, प्रौस्टेट व मूत्र रोगों के उपचार के लिए अधिकृत है।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में अब तक हृदय रोग, कैंसर सर्जरी, ब्रेन व स्पाइन सर्जरी, मूत्र रोग से जुड़े ऑपरेशन एवं डायलिसिस आदि के 750 से अधिक जरूरतमंद रोगियों को भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया जा चुका है। इनमें 90 से अधिक हृदय रोगियों की एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी की गई हैं। ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए 80 से अधिक दिल के रोगियों को राहत मिली है। इनमें हृदय की बाईपास सर्जरी, दिल के वाल्व रिपेयर, रिप्लेसमेंट, आदि केस शामिल हैं, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, बच्चे दानी का कैंसर व मूत्र रोगों से जुड़े पथरी, प्रोस्टेट 60 से अधिक रोगियों नेे मित्तल हॉस्पिटल में उपलब्ध दूरबीन द्वारा सर्जरी की सुविधाओं का लाभ पाया है।
फोटो कैप्शन-मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के हार्ट एवं वास्कुलर सर्जन डॉ सूर्य एवं उनकी पूरी टीम भामाशाह योजना अन्तर्गत निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ पाने वाली निम्बाहेड़ा चितौड़गढ़ निवासी 53 वर्षीय हृदय रोगी श्रीमती सुशीला देवी का (मिनिमल इन्वेज़िव) तकनीक से ऑपरेशन करने के बाद उसे हॉस्पिटल से छुट्टी देने से पूर्व प्रसन्न मुद्रा में।
2- निम्बाहेड़ा चितौड़गढ़ निवासी 53 वर्षीय हृदय रोगी श्रीमती सुशीला देवी एवं हृदय की शल्य क्रिया का चित्र।

सन्तोष गुप्ता
प्रबन्ध जनसम्पर्क/ 9116049809

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