‘शुभदा’ मे हुई निषक्त की षक्ति पूजा’

zz‘शुभदा’ संस्था विषेष बच्चों को सामाजिक महौल से जुडे रहने के उद्देष्य से सभी सामाजिक उत्सव आयोजित करती है। षुभदा’ में प्रत्येक वर्ष ‘निषक्त की षक्ति पूजा’ का विषेष आयोजन होता है इस कडी में आज बी.के.कौल नगर, स्थित ‘षुभदा स्पेषन वर्ल्ड’ में नवरात्रो में ‘‘निःषक्त कीष्षक्ति’’ माने जाने वाली इन विषेष बालिकाओं (कन्याओं) श्रृ्रंगार किया गया एवं माता के रूप में पूजा की गई। इसके तहत विषेष बालिकाओं (कन्याओं) के पांव धुलवाये एवं चुनरी व माला पहनाई एवं विषेष बालिकाओं (कन्याओं) को नेग व उपहार देकर सभी अतिथियों ने आषीर्वाद लिया।
साथ ही कार्यक्रम में पधारे हुए अतिरिक्त कलेक्टर श्री किषोर कुमार, नगर निगम की उपायुक्त ज्योति ककवानी, सी. आर. पी. एफ ग्रुप प्रथम की ‘‘कावा’’ ग्रुप की श्रीमती विनीता डूंडीयाल, गोमती डांगी, विजयलक्ष्मी वैष्णव, सोनाली राज शर्मा, विनोद शेखावत, ‘जय अम्बे नवयुवक सेवा ट्रस्ट’ के श्री विजय शर्मा व सदस्यगण, ‘राधे फाण्डेषन’ के संयोजक श्री किषोर बुआ ने माता की पूजा अर्चना कर माता की आरती की।
संस्था की संस्थापिका साधना सेन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अपूर्व सेन ने अतिथियों को आभार व्यक्त कर धन्यवाद दिया कि आज सभी इस ‘‘निःषक्त कीष्षक्ति’’ में पधारे एवं विषेष बच्चों के साथ माता की पूजा अर्चना की। साथ ही अतिथियो को बताया कि:-
नवरात्रा के अवसर पर शक्तिपूजा का विषेष महत्व है। वर्ष में दो बार विभिन्न रूपों में शक्ति की पूजा होती है। इन्हीं के बीच एक स्थान ऐसा भी है, जहां शक्ति के रूप में निःशक्त की पूजा की परम्परा है। यह स्थान है अजमेर में मानसिक विमंदितों के लिए कार्य कर रही संस्था ‘शुभदा’ का विशेष संसार।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए कार्य करते हुए ‘शुभदा’ की टीम को शक्ति तत्व का रहस्य उन्हीं बच्चों में नजर आया, जिनके लिए वे कार्य करते है। इसी के साथ यहां शक्तिपूजा के रूप में विशेष बच्चों की पूजा की परम्परा पड़ी है। इसी के तहत प्रत्येक नवरात्रा पर विशेष शक्ति पूजा का आयोजन होता है।
प्रारंभिक काल में यह आयोजन केवल विशेष बच्चों, उनके शिक्षकों और संस्था के कार्यकर्त्ताओं तक ही सीमित था। बाद में जानकारी मिलने पर अन्य लोग भी इस आयोजन में जुड़ने लगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विशेष बच्चों को विशिष्ट आसन पर बैठाकर गन्ध एवं अक्षत आदि उपचारों से इष्टदेव की भांति बडे भक्तिभाव से पूजा जाता है। निःशक्त के रूप में शक्ति की उपासना के संदर्भ में यह भावना है कि नवरात्रा में देवी का स्वरूप नितांत अबोध होता है। इसे ‘नग्रिका’ स्वरूप कहा गया है, अर्थात विमंदित शिशु की तरह वह स्वरूप, जिसमें स्त्री पुरूष भेद न जानने के कारण अपने अंगों को ढकने का बोध नहीं होता। देवी का यह भाव दुर्गा शक्ति रूप में पूजने योग्य है। इस अवसर पर सर्वत्र होने वाले कन्या पूजन की तरह यहां केवल बालिकाओं का ही नहीं, बालकों का पूजन भी उसी विधान से होता है। पूजा अर्चना के बाद सभी उपस्थित लोग निःशक्तों द्वारा शक्ति व सिद्धि के रूप में की जाने वाली पुष्प व अक्षत वर्षा से सराबोर होते हैं।
कार्यक्रम में संस्था के हितेष झांकल, विरेन्द्र यादव, महेष शर्मा, पिन्टू ,षाहीन, ज्योति षिटोले, सीताराम, खुषीराम आदि संस्था परिवार के सदस्यों ने सहयोग किया।
अपूर्व सेन
(मुख्य कार्यकारी अधिकारी)
9460789744

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