मातृ भाषा के ज्ञान से प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान मिलता है

सिन्धी भाषा की मान्यता स्वर्ण जयंति वर्ष पर संगोष्ठी का आयोजन

09042017 (4)अजमेर 9 अप्रेल 2017। मातृ भाषा के ज्ञान से प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान मिलता है, विश्वविद्यालय में शोध कार्य के लिए पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है ऐसे विचार डॉ. लक्ष्मी ठकुर सिन्धु शोध पीठ महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय की निर्देशक ने मुख्य वक्ता के रूप में प्रस्तुत किये। उन्होनें भारतीय सिन्धु सभा की ओर से स्वामी ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में आयोजित संगोष्ठी में कहा कि सिन्धी भाषा की मान्यता (10 अप्रेल 1967) के 50 वर्ष होने के उपलक्ष में स्वर्ण जयंती वर्ष कार्यक्रम के कलण्डर की सराहना करते हुये सिन्धी बाल संस्कार को युवा पीढी और विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शक बताया। इस अवसर पर ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वामी स्वरूपदास उदासीन ने आर्शीवचन देते हुये कहा कि सिन्धी भाषा सिन्धु नदी से प्रारम्भ होकर देश दुनिया में पहुंची व हमारे धार्मिक ग्रन्थ भी सिन्धी में अधिक प्रकाशित हुये।
गोष्ठी की वक्ता सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय की व्याख्याता (सिन्धी) डॉ. परमेश्वरी पमनाणी ने कहा कि सिन्धी भाषा में स्नातक व स्नातकोतर की शिक्षा का केन्द्र प्रारम्भ से ही अजमेर रहा है और विद्यार्थियों को भाषा का ज्ञान करवाकर शिक्षा दी जाती है, कवि व साहित्यकारों के प्रेरणादायी प्रसंगों का ज्ञान भी दिया जाता हैं। ग्लोबल कॉलेज के निदेशक श्री ईश्वर ठाराणी ने शिक्षा के साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिय सुधार सभा ने विद्यार्थियों को पूर्ण ज्ञान दिया। भाषा, साहित्य को तकनीक दृष्टि से समझने की आवश्यकता है। उन्होने दूरदर्शन व आकाशवाणी सहित विभिन्न आयोगों में सिन्धी विषय के पदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। स्वागताध्यक्ष सिन्धी शिक्षा समिति के अध्यक्ष भग्वान कलवाणी ने 1947 विभाजन के पश्चात् सिन्धी पाठ्यक्रम व स्कूलों की स्थिति पर चर्चा करते हुये कहा कि हमें तृतीय भाषा सिन्धी विषय के अध्ययन पर जुडाव रखना चाहिये।
सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी व प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कि प्रदेश कार्यसमिति में तय किया गया है कि इस वर्ष में राज्य की सभी ईकाईयों द्वारा पूज्य सिन्धी पंचायत के सहयोग से संगोष्ठियां, बाल संस्कार केन्द्र, महापुरूषों की बलिदान दिवस व जयंतियों के साथ राज्य में सात रथयात्राओं को आयोजन किया जायेगा जिसमें प्रत्येक तहसील स्तर तक सिन्धी विषय लेकर अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को जोडा जायेगा।
संगोष्ठी का शुभारम्भ जग्दगुरू श्रीचन्द्र भगवान, ईष्टदेव झूलेलाल, भारत माता के चित्र पर माल्यापर्ण व दीप प्रज्जवलन से किया गया। स्वागत भाषण महानगर अध्यक्ष मोहन तुलस्यिाणी ने व आभार संगठन मंत्री मोहन कोटवाणी ने प्रकट किया। मंच का संचालन महानगर मंत्री महेश टेकचंदाणी ने किया। कु. मुस्कान कोटवाणी व कु. ममता तुलस्यिाणी ने गीत प्रस्तुत किये। अंत में सामूहिक राष्ट्रगान किया गया।
संगोष्ठी में संभाग प्रभारी नरेन्द्र बसराणी, शंकर सबनाणी, भगवान पुरसवाणी, रमेश लख्याणी, राधाकिशन आहूजा, प्रकाश जेठरा, रमेश वलीरामाणी, पार्षद मोहन लालवाणी, जयकिशन हिरवाणी, हरकिशन टेकचंदाणी, भगवान साधवाणी, किशन केवलाणी, पुरषोतम जगवाणी सहित अलग अलग संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

(महेश टेकचंदाणी)
मंत्री
मो. 9413691477

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