अजमेर। बाल संत गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज का कहना है कि भक्ति के अनेक प्रकार हैं. व्यक्ति सोचता है की उसकी समस्या का समाधान तब तक नहीं हो सकता जब तक वह मंदिर मे पूजा-पाठ न कर ले परन्तु व्यक्ति के यदि मुख से दिन में एक बार भी हृदयपूर्वक भगवदनाम का उच्चारण हो जाये तो उसका फल कोटि जन्मो के पुण्य के स्वरुप मिलता है। सत्संग का चिंतन करना भी भक्ति का ही एक स्वरुप है। भगवत सम्बन्धी चिंतन भी भक्ति है। भक्त की संगति अवश्य ही भगवान् को जीवन मे लाती है।
आज़ाद पार्क में अपनी अनूठी शैली में ठाकुर जी को अतिप्रिय ’’नानी बाई का मायरा” एवं मीरा चरित्र की कथा का रसपान करवा
रहे गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कथा के तीसरे दिन बुधवार को सांवरिया सेठ द्वारा भगत नरसी मेहता की पुत्री नानीबाई के घर मायरा भरने भावपूर्ण वर्णन किया। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि नरसी जी ने भगवन के नाम के उच्चारण और प्रसार से भी भक्ति के एक स्वरुप को प्रचारित किया। भगत नरसी मेहता ने अछूत समझे जाने वाले एक व्यक्ति के घर सत्संग करके समाज में उस समय चल रही छुआ-छूत की बुराई को समाज के जड़-मूल से नष्ट करने की प्रेरणा दी। नरसी मेहता जी का सत्संग असाधारण था जबकि उसकी व्यवस्था अत्यंत साधारण थी। जिसके हृदय में सत्संग करने की इच्छा पैदा हो जाये वह कभी अपवित्र नहीं हो सकता। पवित्र संस्मरण मे ही पवित्र संकल्प जन्म ले सकता है।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ जगत में रूचि काम और भगवान् में रूचि बढ़नी चाहिए। संसार अपनी सम्पति कर, बंगले और धन को समझता है जबकि हरी भक्त की सम्पति उसका तिलक और उसके मुख वाला भगवान् का नाम ही है। धन की हानि पर रोना और व्यक्ति की हानि पर दुखी होना भक्त का कार्य नहीं है। भक्त तो तब दुखी हो सकता है जब हरी का नाम विस्मृत हो जाये। तिलक को भगवान् का चरण चिन्ह माना जाता है। प्रत्येक सनातनधर्मी को अपना मस्तक सूना नहीं रखना चाहिए, उस पर तिलक अवश्य करना ही चाहिए। जब जब तक तिलक नहीं लगता तब तक मस्तिष्क में अवस्थित आज्ञा चक्र सक्रिय नहीं होता। चिकित्सा शास्त्र कहता है कि मस्तिष्क पर एक ऐसा एक्यूप्रेशर पॉइंट होता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कहा कि अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ना चाहिए। सौभाग्यवती स्त्रियों को अवश्य ही सुहाग चिन्ह धारण करने ही चाहिए। उन्होंने तुलसी पत्र की महत्ता की चर्चा करते हुए कहा कि पत्र संजीवनी शक्ति रखता है। प्रत्येक घर में तुलसीदल का पौधा होने पर उस घर में कोई विपत्ति नहीं आती और तुलसी पत्र के नियमित सेवन से व्यक्ति निरोग रहता है।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कहा कि देवी अन्नपूर्णा होती है। कभी भी भोजन प्रदान करने में कोई भेद-भाव नहीं करना चाहिए। जैसा भोजन घर का मालिक करता है, वैसा ही भोजन घर के अन्य सदस्यों को भी देना चाहिए। एक संत तो यहाँ तक कहते हैं कि घर के नौकरों तक को भी वही भोजन देना चाहिए जो घर के मालिक को दिया जाता है।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कहा कि एकमात्र हिन्दू धर्म ही ऐसा है जिसमे भगवान की अर्चना शब्दों से नहीं बल्कि भाव और ह्रदय से की जाती है। सिर्फ हिन्दू धर्म में ही ऐसा होता है जहाँ निंदा को भी भगवान् अपनी आराधना समझ कर ग्रहण कर लेते हैं। भक्त में दास्य भाव आ जाये तो प्रभु खुद भक्त के हो जाते हैं।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने कहा कि समर्पण भाव बढ़ाने से प्रत्येक भक्त को भगवान् स्वयं की शरण में ले लेते हैं। संबंधों में उन्नति करनी है तो त्याग बढ़ाओ और व्यापर मेसा उन्नति करनी है तो अपनी मेहनत को बढ़ाओ। उन्होंने परिभाषा बताते हुए कहा कि जिस वृत्त के साथ कथा से श्रोता का तारतम्य जुड़ सके वही असली झांकी होती है।
गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में पूर्ण संगीत वाद्य वृन्दों के साथ सांवरियो है सेठ म्हारी राधा जी सेठानी है, लम्बी-लम्बी दाढ़ी, टूटी लाया गाड़ी आय गया नरसी जी, भात कईं भरसी जी, जय जय नारायण हरी, भक्त वत्सल प्रभु सहाय सब काम जी, गोविंदा, गोविंदा, गोविंदा, राधे-राधे गोविंदा, कठे लगाई इत्ती देर रे सांवरिया, ए म्हारा नटवर नागरिया भक्तां रे क्यूँ नहीं आयो रे, सांवरियो बीरो बेगो आयो रे ले लो मायरो आदि भजन सुनाये तो श्रोतागण भाव-विभोर होकर झूमने-नाचने लगे।
मीरा चरित्र आज से:- गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज द्वारा की जा रही कथा मे गुरुवार से राजस्थान की भक्त शिरोमणि मीराबाई के जीवन वृत्त पर आधारित मीरा चरित्र की कथा का वर्णन किया जायेगा।
प्रारम्भ में कथा के मुख्य यजमान श्री शिवशंकर फतेहपुरीया पवन, हरिश एवं श्री राम फतेहपुरीया ने व्यास पीठ पूजन कर कथा का वंदन किया । बुधवार की कथा मे अजमेर नगर निगम के महापौर धर्मेंद्र गहलोत एवं उनकी पत्नी हेमा गेहलोत, अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रट अजय शर्मा, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव महेंद्र सिंह रलावता, रामरतन छापरवाल, रामचंद्र अग्रवाल (जयपुर), सत्यनारायण अगरवाल (अहमदाबाद), दीनदयाल अग्रवाल (नेपाल), दिनेश परनामी, रमेशचंद्र अग्रवाल, सीताराम गोयल, सौरभ खंडेलवाल, शंकरलाल (जयपुर), राजेश गर्ग(देवली), भारतीय जनता युवा मोर्चा के शहर अध्यक्ष विनीत कृष्ण पारीक, पूर्व पार्षद भारती श्रीवास्तव, सुरेश शर्मा, अलका गौड़, उपस्थित रहे। समाज सेवी कालीचरण दास खण्डेलवाल, ओमप्रकाश मंगल के मार्गदर्शन में कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसका संयोजन एवं संचालन उमेश गर्ग कर रहे है। पेयजल व्यवस्था झरनेश्वर सेवा समिति द्वारा की गयी है। यजमान शिव शंकर फतेहपुरीया के साथ सहयोगकर्ता प्रेमजी गोयल, गोपालजी गोयल, रजनीश हेड़ा, अजय शर्मा, लक्ष्मीनारायण हटूका, राजेंद्र घीया, भारती श्रीवास्तव, शिवरतन वैष्णव, विनीत कृष्ण पारीक, पवन मिश्रा, रमाकांत बाल्दी, शंकर लाल बंसल, सीताराम मंत्री, दिनेश परनामी कमल मूंदडा, शैलेन्द्र अग्रवाल विष्णु गर्ग एवं भजन गायक एवं समाज सेवी विमल गर्ग, अशोक तोषनीवाल, जगदीश गर्ग पूरे मनोयोग से सेवा में संलग्न हैं।
प्रकृति और परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ प्रभातफेरी
अजमेर। गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज की सद्प्रेरणा एवं संन्यास आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी शिवज्योतिषानन्द जी महाराज के पावन सानिध्य में गाठ 6 वर्षों से चल रही प्रभातफेरी में आज बालसंत गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने भी शिरकत की। आगामी 5 मई तक प्रतिदिन गौवत्स राधा कृष्ण जी महाराज का सानिध्य प्रभातफेरी को प्राप्त होता रहेगा। 4 मई को प्रभातफेरी प्रातः 5.45 से 6.45 बजे तक सौमंगलयम समारोह स्थल से सिविल लाइन्स, अग्रवाल कॉलोनी, औंकार नगर होते हुए पुनः सौमंगलयम पर समाप्त होगी।
संयोजक
उमेश गर्ग
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