(एम्पावरर्ड कमेटी की सिफारिष के बाद भी भत्तों में बढ़ोतरी नहीं करने से कर्मचारी नाराज)
मण्डल अध्यक्ष मोहन चेलानी ने बताया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिष से नाराज रेल कर्मचारियों की माँग पर गत वर्ष सरकार ने
कमेटियों का गठन किया। इनमें अलाउन्सेस के लिए बनाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल 2017 को वित्त मन्त्रालय को सौंप दी है, इसके बावजूद सरकार गत 1) माह से कमेटी की सिफारिष को कैबिनेट से स्वीकृति दिलवाने में जानबूझ कर देरी कर रही है।
चेलानी ने कहा कि एआईआरएफ/एनडब्ल्यूआरईयू ने एक्स, वाई, जैड श्रेणी के शहरों के लिए क्रमषः 30, 20 और 10 प्रतिषत मकान किराया भत्ता 01 जनवरी 2016 से माँगा है, इसमें किसी भी प्रकार की कटौती स्वीकार्य नहीं होगी। सरकार, भत्तों के लिए बनी कमेटी की सिफारिष पर शीघ्र अपनी स्वीकृति प्रदान करे।
उन्होंने बताया कि सरकार ने कर्मचारियों को त्यौहार, स्थानान्तरण आदि के लिए मिलने वाले अग्रिमों को बन्द करने की सिफारिष तो तुरन्त स्वीकार कर ली है लेकिन भत्तों के लिए की गई सिफारिष को मानने में अनावष्यक देरी कर रही है, इससे कर्मचारियों में असंतोष है।
जोनल कोषाध्यक्ष विपुल सक्सैना ने बताया कि रेलवे में डेढ लाख पद रिक्त हैं, इसके बाद भी सरकार 10 हजार पदों को समाप्त करके, कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ा रही है। रेलवे स्टेषनों को पीपीपी मॉडल के नाम से पंूजीपतियों को बेचा जा रहा है। नई पेंन्षन नीति को समाप्त करने, न्यूनतम वेतन रू. 18000 से बढ़ाकर रू. 26000 करने की माँग पर सरकार का रवैया सकारात्मक नहीं है।
इस अवसर पर रेलवे स्टेषन पर आयोजित प्रदर्षन में राजीव शर्मा, झाबर सिंह चौधरी, जयसिंह कुलेहरी, बलदेव सिंह, एल.एन.मीणा, तरूण सैनी, अखिलेष चारण, सारिका जैन, मधु जिन्दल, राकेष लाल, रमेष निबोडिया, वाई.डी.भल्ला, हजारी लाल मीणा, सुरेष कन्नोजिया सहित सैंकड़ों रेल कर्मचारियों ने झण्डे, तखतियाँ, एवं नारों के साथ सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों की भर्तसना की।
(मोहन चेलानी)
मण्डल अध्यक्ष