उपार्जित अवकाश के बदले राशि मय ब्याज सहित भुगतान के आदेश

राज्य सरकार के आदेश दिनांक 27.10.2009 के अनुसार राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2009 के तहत वेतन स्थिरीकरण का लाभ देकर बकाया वेतन की राशि एवं अन्तिम वेतन के आधार पर नियमानुसार देय ग्रेच्यूटी की राशि तथा कार्यमुक्ति के समय बकाया उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण की राशि मय ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश।
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)

jaipur samacharजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति एस.एस.जैन सुबोध पी.जी. कॉलेज, रामबाग सर्किल, जयपुर (राज0) को आदेश दिया कि वे प्रार्थीगण को राज्य सरकार के आदेश दिनांक 27.10.2009 के अनुसार राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2009 के तहत नियमानुसार वेतन स्थिरीकरण का लाभ प्रदान किया जाकर बकाया वेतन के अन्तर की राशि एवं अन्तिम वेतन के आधार पर नियमानुसार देय उपदान की राशि एवं उनके अवकाश खाते में कार्यमुक्ति दिनांक 30.07.2011 को बकाया उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण की राशि का भुगतान एवं सम्पूर्ण राशि पर बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से देय ब्याज सहित प्रार्थीगण को अदा करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थीगण श्रीमती रीता माथुर, डॉ0 सुधा कल्ला, डॉ0 ओम प्रकाश शर्मा, डॉ0 दीपेश जैन, रोशन नेपालिया, डॉ0 दीपिका भण्डारी एवं डॉ0 सुमन जैन की नियुक्ति अप्रार्थी संस्था में व्याख्यता के पदों पर नियमानुसार विधि की प्रक्रिया अपनाये जाने के पश्चात् अधिष्ठायी पद पर की गयी थी तत्पश्चात् प्रार्थीगण को स्थायी किया गया। प्रार्थीगण को राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम, 2010 के अनुसार राज्य सरकार की सेवा में नियुक्ति/ आमेलित होने के कारण दि 30.07.2011 को अप्रार्थी संस्था से कार्यमुक्त किया गया। प्रार्थीगण ने राज्य सेवा में समायोजन के पश्चात् उक्त लाभ नियमानुसार प्रदान करने हेतु अप्रार्थी संस्था से निवेदन किया परन्तु अप्रार्थी संस्था ने प्रार्थीगण के निवेदन की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया इससे पीड़ित होकर प्रार्थीगण ने अपने अधिवक्ता डी.पी.शर्मा के माध्यम से अधिकरण के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर उक्त लाभ दिलाने का निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता का तर्क था कि अप्रार्थी संस्था राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत होते हुए राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है तथा राज्य सरकार से अनुदान की राशि भी प्राप्त करती है इसलिए अप्रार्थी संस्था पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 एवम् नियम 1993 के प्रावधान लागू होते है तथा अनुदानित होने के कारण प्रार्थीगण अधिनियम, 1989 की धारा 29 और नियम 1993 के नियम 34 के अनुसार राज्य कर्मचारियों के समान उक्त सभी लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त लाभ नियमानुसार ब्याज सहित प्रार्थीगण को अदा करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।

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