देशवासी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर करें गर्व

IMG-20170914-WA0118अजमेर, : महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में हिन्दी दिवस के मौके पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें विभाग के डॉक्टर राजेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भाषा का राष्ट्रीयता से गहरा संबंध होता है। मध्यकाल में तुलसी ने लोक मंगल का काव्य लिखा जो जन-जन के लिए लाभकारी बना। उन्होंने कहा कि आज प्रिंट मीडिया भाषिक संरचना को विकृत कर रहा है। भाषा में सरलता व सहजता का भाव होना जरूरी है। विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राधेश्याम अग्रवाल ने कहा कि राजभाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की शर्त पूरी नहीं होने के कारण आज भी यह भाषा अपना वास्तविक दर्जा प्राप्त नहीं कर पाई है। भाषा संस्कार सिखाती है और संस्कार से ही संस्कृति का निर्माण होता है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए भाषाविद् नेमीचंद तम्बोली ने कहा कि भाषा सीखने के लिए आवश्यकता जरूरी है। किसी भी भाषा का वृहद प्रचलन आवश्यकता के आधार पर ही हो सकता है। इसलिए अधिकांश काम या पाठ्यक्रम में हिंदी भाषा को स्थान प्रदान किया जाना चाहिए, जिससे यह लोगों के लिए आवश्यकता बन सके। डॉक्टर सतीश अग्रवाल ने कहा कि मातृभाषा का अपना महत्व होता है। मातृभाषा में ही वास्तविक अभिव्यक्ति कर सकता है। इस दौरान शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित बीएड महाविद्यालय के द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत नीतिन शर्मा व कुलदीप मीणा ने भी कविता की प्रस्तुति दी। इस मौके पर अभिनव प्रकाशन द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।

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