मदनगंज-किशनगढ़। मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने आर.के. कम्यूनिटी सेन्टर में अपने प्रवचन में कहा कि धर्मात्मा व्यक्ति वह नहीं है जो भगवान की पूजा कर रहा है, गुरू की भक्ति कर रहा है इतने मात्र से नहीं है, मुनि बन गया है तो भी मत मानना, मुनि निर्दोष मुनिव्रत का पालन कर रहा है पर मत जाना, पूरे 28 मूल गुणों का पालन करता है, घोर तपस्या करता है, समस्त प्रकार के संसार के विषयों से दूर है, फिर भी वह धर्मात्मा की कोटि में आए ऐसा नहीं कह सकते। धर्मात्मा का सबसे बड़ा लक्षण है क्या उसे अपने स्वयं की गलतियां दिखने लगी है? स्वयं में दोष दिखने लगे है? क्या वह स्वयं को पापी कहने लगा है? क्या उसके मन में ऐसा भाव आ रहा है कि संसार का सबसे बड़ा पापी में हँू। ऐसी प्रतीति हो, दूसरे के लिए नहीं खुद के लिए। सारे संसार में हम दूसरे के दोष देखने में तो निपुण है। स्वयं के दोष देखें। दूसरे को पापी कहना तो बिल्कुल हमारे मुंह पर रखा है। स्वयं को पापी कहना। स्वयं की आलोचना करना। दूसरे की आलोचना तो निंदा है। नीच गौत्र के वंद का कारण है और स्वयं की आलोचना करना उच्च गौत्र के वंद का कारण है। जितना व्यक्ति अपने स्वयं की निंदा करता है उतना ही उसे उच्च गौत्र कावंद होता है और दूसरे की निंदा करने से नीच गौत्र का वंद होता है। तो ऐसी स्थिति में हर व्यक्ति को यह विचार करना चाहिए आदत डालनी चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि मिथ्या दृष्टि तो अंजाने में पाप कर रहा है और सम्यक दृष्टि तो जानकर के पाप कर रहा है।
मुनिश्री ने कहा कि गरीब की सबसे बड़ी परेशानी क्या है ? अभी नोट बंदी हुई गरीब बहुत खुश थे। मैंने पूछा तुमको क्या मिला, वो बोले कुछ नहीं मिला। बस बड़े आदमियों का मजाक उड़ाने का मौका मिल गया। यानि गरीब का सबसे बड़ा विक पॉइंट यही है कि उसको कुछ मिले या नहीं मिले। अमीर की फजीहत होनी चाहिए। जब अमीर के घर छापा डलता है तो 100 गरीब नाचते है। अमीर के घर में कुछ गड़बड़ हो जाए तो वो नाचते है। यही गरीबों का सबसे बड़ा अभिशाप है। अगर तुमने ऐसा किया तो तुम्हें 10-10 भवों तक और गरीब होना पड़ेगा। मुनिश्री ने कहा कि गृहस्थ को अपने पाप को धोने का एक ही तरीका है और वो है दान। इसलिए मैं दान नहीं कराता हँू मैं तुम्हें नरक में जाने से रोकता हँू।
ये रहे श्रावक श्रेष्ठी
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार प्रात: अभिषेक एवं शांतिधारा, चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन, सायंकालीन आरती एवं वात्सल्य भोज पुण्यार्जक का सौभाग्य भंवरीदेवी, संतोष रश्मि शालीन मिलिन जैन (गंगवाल) लाडनूं वाले परिवार को मिला। इस मौके पर सुरेश पाटनी, निहालचंद पहाडिय़ा, निरंजन बैद, प्रकाश गंगवाल, सम्पत दगड़ा, कैलाश पहाडिय़ा, रमेश गंगवाल, विनोद चौधरी, नौरत पाटनी, विकास पाटनी, संजय झांझरी, लोकेश झांझरी, पंकज पहाडिय़ा आदि मौजूद थे।
