दीवान के पुत्र की सदारत नही की कबूल। दरगाह में फिर टूटि परम्परा।
अजमेर।(नवाब हिदायत उल्ला) संसार प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में गुरुवार की रात फिर एक परंपरा टूट गई। दरगाह दीवान जेनुल आबेदीन अली खान के द्वारा ख़्वाजा साहब के 806 वे उर्स के दौरान अपने पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था तभी से विरोध की चिंगारी सुलग गई थी। उर्स के दौरान अंतिम गुसल की रस्म बिना दीवान के पूरी कर ली गई । उसी तरह गुरुवार को आज आयोजित होने वाले कदीमी महफ़िल भी नही हो पाई ।आज दीवान आबेदीन के स्थान पर उनका पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती पोहचा तो मौरूसी अमले के सदस्यों ने ये कह कर महफ़िल में इंतेज़ाम नही किये की दरगाह कमेटी द्वारा अधिकृत दीवान नही पहुंचे हैं। जब तक दरगाह कमेटी लिखित में अवगत नही कराए गी तबतक अमला दीवान के पुत्र की सदारत काबुल नही करेगा। दरगाह कमेटी के नाज़िम ओर उनके अधिकारी अमले के सदस्यों को समझने का पर्यास करते रहे लेकिन अमले के सदस्य अपने फैसले पर अडिग रहे। दरगाह की 800 साल की परम्परा में पहली बार ऐसा हुआ कि ना तो महफ़िल में कव्वाली हुई और ना फातेहा दी गई । महफ़िल के बाद बटने वाला तबरुख भी नही बाट गया। दरगह के खादिम पीर नफीस मियाँ चिश्ती, शेखज़ाद ज़ुल्फ़िकार चिश्ती, सैयद गुलाम मुस्तफा चिश्ती, बाबर चिश्ती, सैय्यद अम्माद चिश्ती, काज़ी मुनव्वर अली,अब्दुल नईम खान आदि ने इस के लिये दरगाह कमेटी को दोषी ठहराते हुए कहा कि नाज़िम आई बी पीरज़ादा दीवान के मामले में ठोस कार्यवाही नहीं कर रहे है जिसकी वजह से दीवान नियमो का लगातार उलंघन कर रहा है। इस से लोगो की आस्था भी विचलित हो रही है।।