शिया सुन्नी एकता की मिसाल बना इदारा-ए-दावत-उल हक का सालाना जलसा ।
दौराई । अजमेर के निकटवर्ती ऊंटड़ा में इदारा-ए-दावत-उल हक संस्था की ओर से शिक्षा से जुड़ा सालाना जलसा आयोजित हुआ। इस जलसे में देश की प्रमुख मस्जिदों के मुफ्ती और मुस्लिम विद्वानों के साथ-साथ समाज के बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। इस मौके पर संस्था के मदरसों व स्कूलों से उत्तीर्ण हुए बालक-बालिकाओं को सम्मानित किया गया।
संस्थान के प्रमुख मौलाना मोहम्मद अयूब कासमी ने बताया कि जलसे में मदरसे में पढऩे वाले मुस्लिम बच्चों को हाफिज और कारी की डिग्री दी गई। साथ ही सरकार के मापदंडों के अनुरूप स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले मुस्लिम बच्चों को भी सम्मानित किया गया। जिन छात्र-छात्राओं ने 10वीं और 12वीं की कक्षा में 70 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक प्राप्त किए उन्हें समाज की प्रतिभाए मानते हुए प्रमाण पत्र दिए गए। जलसे की खास बात यह रही कि जिन मुस्लिम छात्राओं6 ने हाफिज और कारी की डिग्री ली वे प्रवाह के साथ अंग्रेजी भी बोल रही थी और कुरान व हदीस का व्याख्यान कर रही थी। डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से मौलाना कासमी ने खुले मंच से सवाल किए तो छात्र-छात्राओं नेे डिग्री हांसिल करने के अनुरूप जवाब भी दिए। मदरसे की छात्र-छात्राएं जिस आत्मविश्वास के साथ अंग्रेजी में अपनी बात रख रही थे उससे साफ जाहिर था कि मुस्लिम छात्राएं भी वर्तमान परिवेश में अपना वजूद तलाश रही है। छात्र-छात्राओं नेे पवित्र कुरान शरीफ की आयते भी बिना देखे पूरे आत्मविश्वास के साथ सुनाई।
कार्यक्रम में मुस्लिम समाज में शिक्षा के महत्व को बताते हुए ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन शेखजादगान के अध्यक्ष एस जर्रार चिश्ती ने कहा कि हाल ही में यूपीएससी ने आईएएस की परीक्षा का जो परिणाम जारी किया है उसमें 40 से अधिक मुस्लिम अभ्यर्थी सफल हुए हैं। वल्र्ड पीस हॉरमनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हाजी मोहम्मद शकील सैफी ने भी मदरसे की छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि संस्था महिला शिक्षा को जिस तरह से प्रोत्साहित कर रही है वहीं सबसे बड़ी खिदमत-ए-खलक है। ख्वाजा साहब की पवित्र धरती से यह संदेश पूरी दुनिया में फैलना चाहिए ताकि सभी लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित हो सके। दरगाह के गद्दीनशीन फखर काजमी ने भी मदरसों में दीनी व दुनियावी शिक्षा एक साथ देने पर जोर दिया और संस्था के कार्यो की सराहना करते हुए देश भर में इस तरह के मदरसे कायम करने का आह्वान किया। राजस्थान अल्पसंख्यक अधिकारी और कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष हारून खान ने कहा कि हमारा संघ जरुरतमंद बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाता है और इसके लिए बिना किसी जातीय भेदभाव के जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को मदद की जाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही समाज को आगे बढ़ा सकती है। शिया समुदाय के मौलाना काजिम अली ने भी कहा कि मुस्लिम धर्म के पैगेम्बर मोहम्मद साहब ने भी शिक्षा को ग्रहण करने के लिए सबसे जरूरी काम बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अजमेर में सामाजिक एकता का तानाबाना बनाया जा रहा है वह सभी के लिए कारगर है। हम सबको अपने आपसी मतभेद भुलाकर इत्तेहाद कायम करना चाहिए। वर्तमान हालातों में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
संस्था के प्रमुख मौलाना अयूब कासमी ने कहा कि मुस्लिम परिवारों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनकी संस्था शिक्षण संस्थान चला रही है। अब ऊंटड़ा में एक यूनिवर्सिटी शुरू करने की योजना है। उम्मीद है कि अगले वर्ष तक काम शुरू हो जाएगा। अभी ऊंटड़ा के शिक्षण संस्थान में 72 कक्षाओं में पढ़ाई करवाई जाती है। कमरों की कमी की वजह से 14 कक्षाएं खुले मैदान में लगती। लेकिन अब जन सहयोग से नए कमरों का निर्माण हो रहा है। उन्हें उम्मीद है कि इसमें धन की कोई कमी नहीं आएगी। कार्यक्रम में गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी के अध्यक्ष जुल्फिकार चिश्ती ने भी शिक्षा के साथ-साथ आपसी इत्तेफा कायम करने पर जोर दिया।
सामूहिक विवाह सम्मेलन भी हुआ :
कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समाज के युवक-युवतियों का सामूहिक विवाह भी कराया गया। संस्था के प्रमुख मौलाना अयूब कासमी ने अपनी बेटी का निकाह भी इस शैक्षिक जलसे में किया। उन्होंने कहा कि विवाह समारोह में फिजुलखर्ची होती है। इस बुराई को खत्म करने के लिए सबको जागरूक होना पड़ेगा। परिवारों को बारातियों के खाने का इंतजाम नहीं करना पड़े इसके लिए शैक्षणिक जलसे की दावत के बीच ही सभी बारातियों को भोजन कराया गया। कासमी ने अपने पुत्री के सात अन्य युवतियों का निकाह भी करवाया।
ये रहे मौजूद:
जलसे के दौरान जयपुर के शाही इमाम मुफ्ती मोहम्मद अमजद, मौलाना अब्दुल रहीम, मौलाना हकीमुद्दीन, कारी अमीन, मुफ्ती आरिफ, मौलाना नौमान,मौलाना सैय्यद शमीमुल हसन, मौलाना सायम रजा,अंजुमन के सचिव डॉ अब्दुल माजिद चिश्ती, हाजी महमूद खान, हाजी इंसाफ अली, वसीमुद्दीन चिश्ती,काजी मुनव्वर अली, अब्दुल नईम खान, हाजी अलीम, कय्यूम खान उटड़ा, ऑल इंडिया शिया फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष आसिफ अली, शिया वक्फ बोर्ड कमेटी के अध्यक्ष नवाब अजमेरी, सुल्तान अली, आरीफ हुसैन, मेहराज खान, व आरिफ कुरैशी आदि उपस्थित रहे।