विश्व का गुरुत्व है भारतीय संस्कृति है -गुरू कृपानन्द पूरी महाराज

भारतीय संस्कृति में गुरू का स्थान केवल गुरुत्व के कारण ही है। गुरुत्व का ही प्रभाव है कि आज शिक्षा क्षेत्र में गुरुओं का सम्मान गर्व के साथ किया जाता है। विश्व में केवल भारत ही ऐसा देश है जिसका गुरुत्व पूरा विश्व मानता है और आज के समय में भी विभिन्न राष्ट्र भारतीय संस्कृति से जुड़ाव और उसके प्रति लगाव, खिचाव अनुभव करते हैं। मनुष्य में मनुष्यत्व होना ही गुरुत्व की पहली सीढ़ी होती है।उक्त रामकृष्ण आश्रम के स्वामी जी गुरू कृपानन्द पूरी जी महाराज ने आध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी द्वारा 27 जुलाई को अजमेर नगर में विवेकानन्द विस्तार का गुरूपूर्णिमा उत्सव रामकृष्ण आश्रम, आर्दश नगर, अजमेर में सांय 5.30 से 6.30 बजे तक मनाये गये गुरूपूर्णिमा पर्व पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन में पंचमहायज्ञ यथा ऋषियज्ञ, ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, बलिवैश्वयज्ञ और पितृयज्ञ की संकल्पना सभी को अपना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता साहित्य अकादमी की सरस्वती समिति के सदस्य उमेश जी चौरसिया ने गूरू शिष्य पर प्रकाश डालते हुए राम के गुरू विशष्ट जी भगवान श्रीकृष्ण के गुरू सांदीपनी मुनी के गुणों की व्याख्या की । इसी कडी में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अतिथि वृंदावन के संत ब्रहम्मचारी जितेन्द्र चैतन्य ने गुरू – शिष्य के रूप में भगवान रामकृष्ण परमहंस एवं स्वामी विवेकान्न्द के एक दुसरी के सर्म्पण भाव को एक छोटी सी कहानी के रूप में समझाने का प्रयास किया।
कार्यक्रम का आरंभ्भ तीन ओंकार प्रार्थना एवं भजन से करते हुए कार्यक्रम का संचालन नगर प्रमुख रविन्द्र जैन ने किया।

(रविन्द्र जैन)
नगर प्रमुख
9414618062

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