
प्रमुख उद्योगपति श्री राधेश्याम चौयल ने परिचर्चा में भाग लेते हुए कहा कि हिन्दुस्तानियों की बुद्धि ने विश्व में धूम मचा रखी है। आपने कहा कि विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जितनी हिन्दुस्तान में है उतनी दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं है। आपने कहा कि आवश्यकता तो इस बात है कि हम नित्य नये आविष्कार कर हिन्दुस्तान को दुनिया का सिर मौर बनाये। श्री चौयल ने कहा कि विदेशों में भौतिकता की चकाचौंघ है परन्तु हिन्दुस्तान में श्रेष्ठ जीवन, सर्वग्राही संस्कृति और परिवार नामक संस्था समृद्धशाली है, जो दुनिया के अन्य देशो में दूर-दूर तक देखने को नहीं मिलती।
विख्यात कवि श्री रासबिहारी गौड ने अपनी विदेश यात्रा के अनुभव बताते हुये कहा कि दुनिया के पास साधन है परन्तु हमारे पास साध्य है। उनके पास बहुमंझिला आवास है परन्तु हिन्दुस्तानियों के पास अपना आराध्य है। आपने कहा कि विदेशों में रिश्ते सीमित और अस्थाई है और हिन्दुस्तान में रिश्ते स्थाई और व्यापक है।
लघु उद्योग संघ, अजमेर के अध्यक्ष श्री राजेश बंसल ने कहा कि जो सगुन, शिष्टाचार, पूजा, त्यौंहार, और सामाजिक सुरक्षा हिन्दुस्तान में है वह विदेशों में देखने को नहीं मिलती।
श्री शिवशंकर हेडा ने हाल ही की अमेरिका की यात्रा का वर्णन करते हुए कहा कि प्रवासी हिन्दुस्तानी भारतीय संस्कृति के राजदूत हैं और वे उसको सुरक्षित रखे हुए हैं। आपने कहा सत्संग और सहभोज जैसा सामाजिक समरसता का मूल मंत्र ही हिन्दुस्तान को अग्रणी पंक्ति में खडा कर रखा है।
श्री सम्मान सिंह बडगूर्जर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।