निर्वाचन आयोग ने जारी किए निर्देश, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना
अजमेर, 31 अक्टूबर। विधानसभा चुनाव 2018 के तहत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना में निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में गाइड लाइन जारी की है। अब प्रत्याशी को अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी 3 बार प्रदेश के बड़े अखबारों और न्यूज चैनल में जारी करनी होगी। यह खर्च प्रत्याशी के व्यय में जोड़ा जाएगा।
जिला निर्वाचन अधिकारी आरती डोगरा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना करते हुए निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में गाईडलाइन जारी की है। अब हर प्रत्याशी को अपने खिलाफ दर्ज ऎसे मामलों की जानकारी 3-3 बार प्रदेश के बड़े अखबारों और न्यूज चैनलों में जारी करनी होगी। प्रत्याशी को नाम वापस लेने की आखिरी तारीख से लेकर मतदान की तारीख के बीच अलग-अलग दिनोें में तीन बार प्रदेश के प्रमुख अखबारों और समाचार चैनलों में विज्ञापन जारी कर अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। प्रत्याशी को नामांकन फार्म में अपनी चल-अचल सम्पति और शैक्षणिक योग्यता के बारे में भी बताना होगा।
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने इन बातों को ध्यान में रखते हुए नामांकन पत्र के फार्म 26 में बदलाव किए हैं। विधानसभा चुनाव के परिणामों में विजयी प्रत्याशियों को परिणाम जारी होने के 30 दिन के अंदर यह प्रमाण चुनाव आयोग के समक्ष पेश करना होगा कि उन्होंने किन-किन अखबारों और न्यूज चैनलों में अपने अपराधिक मामलों की जानकारी सार्वजनिक की थी। राजनीति का अपराधिकरण रोकने और पारर्दशिता लाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। यदि कोई प्रत्याशी किसी दल विशेष से चुनाव लड़ता है तो उसे अपनी पार्टी को भी इस बारे में जानकारी देनी होगी। राजनीतिक र्पाटियों को भी अपनी वेबसाईट पर अभ्र्याथियों के संबंध में यह जानकारी अपलोड करनी होगी।
उन्होंने बताया कि आपराधिक मामलों की जानकारी सार्वजनिक करने का जो भी व्यय होगा, उसे प्रत्याशी के खाते में जोड़ा जाएगा। प्रत्याशी को कम से कम 3 बार निर्धारित फोंट साईज (जो कि 12 तय किया गया हैं) में अपने आपराधिक ब्यौरा का प्रकाशन समाचार पत्र और टीवी चैनलों में कराना होगा। सबसे खास अपराध का क्रम ऑर्डर में होगा यानि हाल ही में दर्ज हुए अपराध या प्रकरण पहले नंबर पर रहेंगे।