सन्त कंवरराम पर दो दिवसीय सेमीनार का शानदार समापन
अजमेर से 60 प्रतिनिधि हुये सम्मिलित- घनश्याम भगत ने प्रस्तुत किया कार्यक्रम
31 दिसम्बर- सन्त कवंरराम का स्मरण करते हैं तो सेवा का भाव आ जाता है और सेवा कभी बेकार नहीं जाती यह उद्गार है। राष्ट्रीय सिन्धी भाषा परिषद् की ओर से भारतीय सिन्धु सभा के सहयोग से दो दिवसीय राज्य स्तरीय सेमीनार के समापन सत्र में सभा के मार्गदर्शक श्री कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहे। मा.कैलाशचन्द ने कहा कि सन्त कंवरराम ने जीवन भर न केवल अपने गुरू की वरन हर कमजोर प्राणी की सेवा की और मिसाल कायम की। आर्शाीवचन में महाराज सन्त कुमार ने कहा कि सन्त कंवरराम त्याग समर्पण, सेवा की प्रतिमूर्ति थे और यह आयोजन भगतों का पर्व की तरह रहा है जिसमें सन्त कंवरराम के गुणों व भक्ति की चर्चा की गयी और उनके दया भाव, अध्यात्म और गुणों का ज्ञान नयी पीढ़ी को देने का सराहनीय प्रयास किया गया है। परिषद् के सहायक निदेशक रमेश एस लाल ने परिषद के योजनाओं की जानकारी दी। परिषद के सदस्य व कार्यक्रम संयोजक मोहनलाल वाधवाणी ने बताया कि सत्र में पत्र वाचन जोधपुर के डॉ. प्रदीप गेहाणी ने कहा कि सन्त कंवरराम पर साहित्य लेखन सभी विधाओं के रूप में उपलब्ध है, जिसका उपयोग शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग स्तरों पर किया जा सकता है। अतिथि प्रतापराय चुग ने कहा कि सन्त कंवरराम के आदर्श हम सब के लिए अनुकरणीय हैं। तीरथदास नेभनाणी ने कहा कि समाज के युवाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़कर सरकारी महकमों में उच्च पदों पर आसीन होना चाहिये।
संत कवंरराम के देश भर में धार्मिक व सामाजिक स्थानों से मिलती है प्रेरणा
तीर्थाणी द्वितीय सत्र में संत कवंरराम के साहित्य प्रकाशन संस्थाओं की चर्चा में अध्यक्षता करते हुये सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि देश दुनिया में संत कवंरराम के पवित्र स्थलों, विद्यालयों से युवा पीढी जुडकर संस्कार ले रही है। अतिथि उदयपुर के भीमनदास तलरेजा थे व पत्र वाचन अमरावती के लेखक व साहित्यकार डॉ. एस.के. पुन्शी ने करते हुये उनके जीवन के प्रेरणा प्रसगों व आश्रम में चल रहे सेवा प्रकल्पों की चर्चा की व स्क्रिन पर्दे पर उनके जीवन परिचय की जानकारी दी। संचालन पत्रकार दिलीप पारवाणी जयपुर ने किया।
पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कुलपति डॉ. मनोहरलाल कालरा ने बताया कि सन्त की संगीतमय ईश्वरीय मधुर वाणी का हर व्यक्ति तो दीवाना था ही, महात्मा गांधी भी उनके प्रशंसक थे। पत्र वाचन आगरा के लेखक व साहित्यकार घनश्यामदास जेसवाणी ने करते हुये बताया कि संत कंवरराम के नाम सेराष्ट्रीय स्तर व प्रदेशों की ओर से अनेक पुरस्कार व सम्मान प्रदान किये गये है। प्रदेश उपाध्यक्ष वंदना वजीराणी ने कहा कि सिन्धी भाषा व संस्कृति पर हमें गर्व करना चाहिये और महिलाओं को घर से बाहर निकलकर समाज सेवा में योगदान देना चाहिये साथ ही पुरूषों को भी उन्हैं सहयोग करना चाहिये। समाजसेवी प्रभुदास पाहुजा ने कहा कि सन्त कंवरराम से प्ररणा लेकर हर इन्सान को समाज सेवा में अपना योगदान देना चाहिये। भारतीय सिन्धु सभा के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष व परिषद् सदस्य मुकेश लखवाणी ने कहा कि विद्यार्थियों को सिन्धी भाषा में प्रशासनिक प्रतियोगिक परिक्षाओं में सफलतापूर्वक भाग लेकर उच्च पदों पर आसीन होना चाहिये। सत्र का संचालन भीलवाड़ा के गुलाबराय मीरचंदाणी ने तथा समापन सत्र का संचालन सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। समापन समारोह के प्रदेश संरक्षक सुरेश कटारिया ने आये हुए सभी अतिथियों एवं कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया।
शहंन जो शाह हो सन्त कवंरराम – कुकरेजा
शहंन जो शाह हो सन्त कवंरराम जिन्होनें संत सतरामदास से शिक्षा ग्रहण कर जीवन भर सेवा की और गुरू व शिष्य की मिसाल कायम की। ऐसे विचार लिटरेरी राइटिंग ऑन सन्त कवंरराम विषय पर उदघाटन सत्र में उपाध्यक्ष घनश्यामदास कुकरेजा नागपुर ने अतिथि के रूप में विचार प्रकट करते हुये कहे। श्री कुकरेजा ने परिषद की ओर से सिन्धी विषय लेकर प्रशासनिक पदों पर तैयारी करने के लिये सहयोग, भाषा व संस्कृति को बढावा देने वाले कार्यक्रमों में पंचायत व संस्थाओं को सहयोग देने की भी जानकारी दी। सत्र में पत्र वाचन अजमेर की डॉ.परमेश्वरी पमनाणी विभागाध्यक्ष (सिन्धी) सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय ने किया। राजस्थान सिन्धी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष हरीश राजाणी ने कहा कि अकादमी की ओर से की गयी साहित्यिक व भाषाई कार्यक्रमों मे सभी का मुझे बहुत सहयोग मिला। आशीर्वाद देते हुए माननीय कैलाशचन्द्र ने कहा कि श्रेष्ठ संत परम्परा, संतों का आशीर्वाद व मार्गदर्शन समाज व देश को मिलता रहा है हमें अनुसरण करने का सुअवसर मिला है। सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बचाणी ने विचार प्रकट किये।संचालन शिक्षाविद् डॉ. प्रदीप गेहाणी जोधपुरनेकिया। गीत मुस्कान कोटवाणी,भावना ओचानी, गुंजन, मा. मुरलीधर, जोधपुर के जेठानन्द लालवाणी ने प्रस्तुत किये।
विशाल प्रदर्शनी को देखकर सभी ने सराहा – संगठन मंत्री मोहन कोटवाणी ने बताया कि संत कवंरराम के जीवन चित्रों की प्रदर्शनी भीलवाडा के वरिष्ठ साहित्यकार श्री गुलाबराय मीरचंदाणी ने पूरे प्रांगण में दर्शाया व पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई जिसे सभी प्रतिनिधियों ने अवलोकन कर खूब सराहा।
सांस्कृतिक संध्या में साकार हुआ संत कवंरराम का जीवन दर्शन सांस्कृतिक कार्यक्रम
अजमेर के मशहूर कलाकार घनश्याम भगत ने अपनी मण्डली के साथ संत कवंरराम के भगत व गीतों से सभी को झूमने पर मजबूर किया। प्रताप गौरव केन्द्र का किया अवलोकर-सेमीनार में राज्यभर से आये प्रतिनिधियों ने प्रताप गौरव केन्द्र का भी भ्रमण किया जो प्रेरणा का केन्द्र है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत माता, ईष्टदेव झूलेलाल, संत कवंरराम, व सिन्ध के चित्रों पर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन व माल्यार्पण कर किया गया।
मंत्री महेश टेकचंदाणी ने बताया कि अजमेर महानगर से 60 प्रतिनिधि व 16 जिलों और विभिन्न तहसीलों से 250 से अधिक प्रतिनिधियों इस दो दिवसीय सेमीनार में भाग लिया।
अजमेर से संभाग प्रभारी नरेन्द्र बसराणी, अध्यक्ष मोहन तुलस्यिाणी, खियल मंगलाणी, भगवान कलवाणी, कमलेश शर्मा, के.जे.ज्ञानी, भगवान पुरसवाणी, जयकिशन हिरवाणी, रमेश वलीरामाणी, किशन केवलाणी, पुरषोतम जगवाणी, सुनीता भागवाणी, रूकमणी वतवाणी, वासदेव बच्चाणी, राम केसवाणी सहित कार्यकर्ता उपस्थित हुये।
(महेश टेकचंदाणी) महानगर मंत्री, मो.9413691477