अजयमेरू प्रैस क्लब में रविवार को अजमेर लेखिका मंच की लेखिका द्वारा शहादत को सलाम कार्यक्रम आयोजित किया गया। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए दीप प्रज्जवलित किए। क्लब अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल ने सभी लेखिकाओं का स्वागत करते हुए क्लब के सदस्यों एवं कार्यप्रणाली से अवगत कराया। वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी ने मंच की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संगठन का अस्तित्व में आना साहित्य जगत के लिए अभूतपूर्व योगदान है। हरीश वरयानी ने अखबार को समाज का दर्पण बताया।
मंच संयोजिका मधु खंडेलवाल ने संचालन करते हुए कविता अग्रवाल द्वारा स्वरचित मां सरस्वती की वंदना हे मां शारदे अज्ञान के मिटे, अंधेरे ज्ञान के दिए जलें, देश की प्रगति में संग चलें… से कार्यक्रम का आगाज कराया। अरुणा माथुर ने अपनी कविता से पाकिस्तान को ललकारा। डॉक्टर चेतना उपाध्याय ने अपनी गीत ए री सखी डर कर जिउ या डरा के मरू.. सुनाया। अनीता खुराना ने वेदों की नजर एवं अद्भुत तरीके से समाज की समस्याओं का निदान करने का तरीका बताया। रेनू दत्ता के ए मेरे प्यारे वतन… से माहौल गमगीन हो गया। रंजना माथुर ने पुलवामा अटैक पर कब तलक शेरों का बलिदान जाया जाएगा.. कविता सुनाई। काजल खत्री ने देश हित की बात करते हुए राजनीति, सूरज, शहीद, मां को याद करते हुए देश को आइना दिखाया। पल्लवी वैद्य ने मां शारदे पर गीत प्रस्तुत किया। डॉ विनीता जैन ने आखिर क्यों? सुनाकर आंखों को नम कर दी। सोनू सिंघल ने एक बेटी की वेदना सुनाई। नंदिता चौहान की कविताओं का उत्तर किसी के पास नहीं था। हालात कब तलक ऐसे रहेंगे 35ए और 370 पर खुलकर बात ही नहीं फैसला होना चाहिए..। हेमलता शर्मा ने अपने जीवन की पहली कविता का पाठ अपने अंदाज में किया।
विनीता बाड़मेरा- मां ने कैसे कफन पहनाया होगा… प्रस्तुत की। इसी क्रम में डॉक्टर छाया शर्मा एवं ध्वनि मिश्रा ने अभी जिंदा हूं… कविता सुनाई। संगीता रेहानी, डॉ सुनीता सियाल, डॉ सुनीता तंवर, सीमा शर्मा, अर्पिता भारद्वाज, गीता चौधरी, काजल खत्री ने भी अपनी कविताएं सुनाई। मंच की सदस्य एवं अजयमेरू प्रैस क्लब की कार्यकारिणी सदस्य डॉ. रसिका महर्षि ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
अजयमेरू प्रैस क्लब में शहीदों को श्रद्धांजलि देते लोग।
