26 फरवरी को अजमेर के पुष्कर रोड स्थित श्मशान स्थल पर भाजपा के लोकप्रिय पार्षद भागरीथ जोशी का अंतिम संस्कार किया गया। पार्षद जोशी अजमेर के नागरिकों को लम्बे समय तक याद रहेंगे। 26 फरवरी को जिस श्मशान स्थल पर जोशी का अंतिम संस्कार हुआ, उस स्थल पर न जाने कितने लोगों का जोशी ने अंतिम संस्कार करवाया। शव पर लकड़ियों की कैची लगानी हो या फिर शव को अच्छी तरह जलाने के लिए घी आदि पदार्थ डालने हो, सभी में जोशी को विशेषज्ञता हासिल थी। लेकिन 26 फरवरी को जब स्वयं जोशी का अंतिम संस्कार हुआ तो वे शांत थे। यही हमारी सनातन संस्कृति है। 63 वर्ष की आयु में चले जाने से अजमेर के लोगों को भागीरथ जोशी की बहुत याद आएगी। जोशी की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वे नया बाजार क्षेत्र के वार्डों से पांच बार पार्षद बने। एक बार जब भाजपा ने टिकिट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। राजनीति में एक बार पार्षद बनने के बाद नेता विधायक बनने के ख्वाब देखता है, लेकिन पांच बार पार्षद बनने के बाद भी जोशी नगर परिषद अथवा निगम के उपाध्यक्ष या उपमहापौर तक नहीं बने सके। असल में अजमेर में उत्तर और दक्षिण में बंटी भाजपा में जोशी फिट नहीं हो पाए। मेयर और डिप्टी मेयर का पद सामान्य होने के बाद भी पांच बार के पार्षद जोशी का चयन नहीं होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजनीति में चाटुकारिता और धनबल कितना हावी है। ऐसा नहीं कि भाजपा के नेताओं से जोशी का सम्पर्क नहीं रहा। अजमेर के मदारगेट पर हिन्दू प्रवासी होटल अब प्रवासी पैलेस व स्वाद रेस्टोरेंट में पार्षद जोशी और उनके पिता देवीलाल जोशी ने कई वर्षों तक भोजनालय का संचालन किया। चूंकि होटल के मालिक स्व. मास्टर भंवरलाल शर्मा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और जनसंघ से जुड़े रहे, इसलिए राजनेताओं का जमावड़ा हमेशा लगा रहता था। यही वजह रही कि जोशी को भाजपा के सभी बड़े नेता पहचानते थें, लेकिन राजनीति में सिर्फ पहचान कोई मायने नहीं रखती है। जहां तक सक्रियता का सवाल है तो जोशी शहर के सभी धार्मिक और सामाजिक कार्यों में हमेशा सक्रिय रहते थे। नगर निगम का दीपावली पर नवरात्र महोत्सव हो या होली पर बादशाह की सवारी। सभी में जोशी की सक्रिय भूमिका होती थी। जोशी निगम के सर्वाधिक लोकप्रिय पार्षदों में से थे। ऐसे में जोशी की अजमेरवासियों को बहुत याद आएगी। मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का कहना रहा कि जोशी को स्थानीय निकायों के नियमों की भी बहुत जानकारी थी। कई बार मैं उनसे राय लेता था। सरल और मृदुभाषी जोशी के निधन से नगर निगम को गहरा आघात पहुंचा है। जोशी के निधन पर 26 फरवरी को निगम कार्यालय में कामकाज ठप रहा। निगम के कार्मिकों में भी शोक का माहौल है।
एस.पी.मित्तल