केकड़ी :- सद्गुरु की कृपा से सत्संग मिलती है हमें हर पल सद्गुरु का धन्यवाद करना है।भाग्यशाली है वह इंसान जिसको सत्संग मिलती है उक्त उद्गार बूंदी से आए संत प्रहलाद ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मीडिया सहायक राम चंद टहलानी के अनुसार संत प्रहलाद ने कहा कि इंसान जब मां के गर्भ में था तो उसका सर नीचे और पैर उपर थे,यानि उल्टा लटका हुआ था,तब उसने परमात्मा से वादा किया कि मुझे इस अंधकूप से बाहर निकाल मैं तेरा हर पल स्मरण करूंगा। परमात्मा की कृपा से उसका जन्म हुआ तो उसका सर ऊपर और पैर नीचे हो गए यानी सीधा हो गया तो वह परमात्मा से किया गया वादा भूल गया और दुनिया की माया में भटक कर दुखी परेशान रहने लगया।
भाग्यहीन कर्महीन इंसान को सत्संग नसीब नहीं होती है। वह दुनिया के उतार-चढ़ाव में बह जाता है और दुख पाता रहता है वहीं ज्ञानवान इंसान सुख दुख से हमेशा परे रहता है,वह सतगुरु की सोच से इकमिक होकर जीवन जीता है।जिस प्रकार इंसान को गर्मी लगती है तो वह पंखे,कूलर,एसी का सहारा लेता है उसी प्रकार दुनिया के दुख सुख से बचने के लिए ज्ञानी इंसान हमेशा सत्संग का,संतों का सहारा लेता है तो वह शीतलता पाता है।
सजदा भी करुं शिकवा भी करूं यह भक्ति का दस्तूर नहीं,भक्ति नाम है समर्पण का इसमें सौदा मंजूर नहीं। सद्गुरु दर पर बस आदेश मानना होता है यहां हुकम नहीं चलता है।
सद्गुरु ने हमें शरीरों से नहीं जोड़ा है उसने हमें परमात्मा का ज्ञान देकर निराकार, अटल,अविनाशी से जोड़ा है। सद्गुरु की रजा में रहकर जो उसके आदेशों को मानता है वह इंसान हर पल सुखी रहता है।जिस प्रकार नाव में छेद है तो उसका डूबना निश्चित है,ठीक उसी प्रकार जिस इंसान को घमंड है,अहंकार है तो उसका पतन भी निश्चित है।
चौरासी लाख योनियों के बाद इंसान को उत्तम योनि मानव योनि मिली है इसी में वह परमात्मा को जानकर उसी भक्ति कर आवागमन के चक्र से मुक्ति पा सकता है।
सत्संग के दौरान टोपनदास, प्रेम,गौरव, मोहित,सानिया,रेनू,सुधीर, शीतल,आरती,रोहित, आशा,गोपाल,जतिन,महेंद्र, अशोक,समृद्धि आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया