नगर निगम अजमेर के अधिकारियों द्वारा किए गए इस बड़े घोटाले की शिकायत अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से की जिस पर मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के लिए स्वायत शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव को नियुक्त करते हुए सात दिवस में संपूर्ण मामले की रिपोर्ट तलब की है।
शहर कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती के अनुसार मुख्यमंत्री गहलोत को भेजी शिकायत में बताया गया कि राजस्व ग्राम थोक तेलियान के खसरा संख्या 370 को 1982 में नगर सुधार न्यास अजमेर ने आनासागर सरक्यूलर योजना के रूप में आवप्त की थी बाद में इस आवप्त शुदा जमीन को 1998 में नगर निगम अजमेर को स्थानांतरित कर दी गई जिसके बाद इस भूमि का मालिकाना हक न्रर निगम अजमेर का हो गया। मुख्यमंत्री को भेजें पत्र में कांग्रेस ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आवप्त शुदा खसरा नंबर 370 की पत्रावलियों के नियमन बाबत शिकायत मिलने पर तत्कालीन नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमान जी एस संधू ने नगर सुधार न्यास अजमेर को यह भूमि आनासागर सर्कुलर रोड योजना की आवप्त शुदा भूमि होने के कारण नियमन नहीं करने बाबत निर्देशित किया था और यह आदेश दिए थे कि यह भूमि केवल नगर निगम या अजमेर विकास प्राधिकरण ही नीलामी कर सकता है लेकिन वर्ष 2016-17 के निगम में पदस्थापित अधिकारियों एवं अजमेर विकास प्राधिकरण में नियुक्त अधिकारियों की सांठगांठ के कारण खसरा संख्या 370 की समस्त पत्रावलियों का शहर के नामी लोगों अमित भंसाली, मिनाक्षी गोयल, साक्षी रामानी, प्रकाष व अन्य लोागों का नियमन करते हुए कुल 6 पट्टे जारी किए गए जिसकी नियमन की गई भूमि 5400 वर्ग गज है जबकि यह जमीन नगर निगम अजमेर की थी इसकों नियमित करने का अधिकार था ही नही।
कांग्रेस का आरोप है कि प्रकरण में मुख्य बात यह है कि उक्त भूमि आना सागर सर्कुलर रोड योजना की आवप्त शुदा रिक्त भूमि है जो कि आज मौके पर बाजार मूल्य 50 करोड़ रुपए है लेकिन उक्त व्यवसायि भूमि कृषि भूमि बताकर पट्टे धारियों को औने पौने दाम पर समस्त भूमि का नियमन कर दिया गया है यदि निगम या अजमेर विकास प्राधिकरण इस भूमि की खुली नीलामी करती तो सरकार को 50 करोड़ रुपए की आय होती लेकिन अधिकारियों की बंदरबाट एवं भ्रष्टाचार की नीति के चलते यह 50 करोड़ का घोटाला किया गया। कांग्रेस का कहना है कि ऋषभ गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा उक्त खसरे में जो लेआउट प्लान बनाया गया उसमें 20 भूखंड पार्क एवं सामुदायिक सुविधाएं आरक्षित की गई थी लेकिन तत्कालीन नगर नियोजक अजमेर द्वारा सभी नियम कायदे ताक पर रखकर पुनर्गठन किए बिना पार्क सुविधा क्षेत्र छोड़ उक्त भूमि का लेआउट प्लान स्वीकृत कर दिया गया और गंभीर बात यह है कि वर्तमान में पद स्थापित नगर निगम अजमेर के उप नगर नियोजक द्वारा संबंधित भूमि के एक बड़े भूभाग पर बहुमंजिला भवन मानचित्र भी स्वीकृत कर दिया गया है जो कि नियम विरूद्ध है जबकि इसमें अजमेर में पद स्थापित वरिष्ठ नगर नियोजक से किसी प्रकार की तकनीकी राय नहीं ली गई है।
संपूर्ण प्रकरण की एसओजी से जांच कराने की मांग करते हुए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को बताया कि नगर निगम अजमेर में नियुक्त अधिकारियों और कर्मचारियों के स्तर पर खुलेआम बेपरवाह भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। किजस भूमि को 1982 में नगा सुधार न्यास अजमेर ने आवप्त किया हुआ था और तब यह योजना नगर निगम अजमेर को हसतांतरित कर दी गई है तो भूमि पर मालिकाना हक तो निगम का थ फिर करोड़ों रूपयों की बेषकिमती जमीन जिसकी खुली निलामी की जाती तो सरकार को करोड़ो का राजस्व प्राप्त होता लेकिन सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाते हुए निगम के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से भवन मानचित्र स्वीकृत किए जा रहे हैं इसमें यह भी नहीं देखा जाता कि भूमि का मास्टर प्लान में उपयोग नदी नाले तालाब शिवाय चक कृषि या कोई अन्य उपयोग है। इस प्रकार नगर सुधार न्यास अजमेर द्वारा वक्त शुदा खसरा नंबर 370 की भूमि को निजी लोगों को आवंटित कर पट्टे जारी कर दिए गए जिससे न सिर्फ सरकार को 50 करोड़ रुपयों की आर्थिक हानि पहुंचाई गई बल्कि अधिकारियों ने इस जबरदस्त घोटाले में करोड़ों रुपए से अपनी जेब गर्म की है इसलिए संपूर्ण मामले की एसओजी से जांच करवाकर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए मुख्यमंत्री गहलोत ने मामले की गंभीरता को भागते हुए संपूर्ण मामले की जांच के लिए स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव को जांच सौंपते हुए सात दिवस में इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की है।