प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कर्मयोग का आचरण करते हुए श्रेष्ठ व्यक्तित्व का स्वामी बन सकता है किंतु कर्मयोग को जीवन में उतारने का माध्यम राजयोग ही है। राजयोग के आठ अंगों का आचरण जिसमें व्यक्तिगत एवं सामाजिक व्यवहार यम एवं नियमों के अनुरूप हों, आसन एवं प्राणायाम का नित्य अभ्यास किया जाए, प्रत्याहार के द्वारा कर्मेन्द्रियों एवं ज्ञानेन्द्रियों पर नियंत्रण स्थापित हो तथा धारणा, ध्यान एवं समाधि आत्मोत्थान का साधन बने। राजयोग के नित्य आचरण का संस्कार कुछ ही समय में आदत का रूप लेता है तथा नियमित आदत व्यक्ति का स्वभाव बन जाती है। राजयोग को स्वभाव बना लेना और उसके अनुसार कर्मयोग का आचरण करना ही व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र के प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख डाॅ0 स्वतन्त्र शर्मा ने पंचशील नगर स्थित चाणक्य स्मारक पर संचालित किए जा रहे योग सत्र में व्यक्त किए।
योग सत्र समन्वयक डाॅ. अनिता खुराना ने बताया कि आज योग सत्र के समापन के अवसर पर एम एस भार्गव, सुरेश बबलानी, संत कुमार, नरेन्द्र सिंह, डाॅ0 मधु गुप्ता सहित योग साधकों ने अपने अनुभव साझा किए। योग सत्र में विवेकानन्द केन्द्र के वर्ग योग शिक्षक लक्ष्मीचंद मीणा, विस्तार प्रमुख कुशल उपाध्याय, शशि जैन, निधि शर्मा, कांतकिशोर शर्मा का सहयोग रहा। सभी योग साधकों द्वारा विवेकानन्द केन्द्र द्वारा शिक्षा, चिकित्सा, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, सांस्कृतिक विरासत संरक्षण एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति समन्वय हेतु चलाए जा रहे विभिन्न प्रकल्पों हेतु सहयोग राशि भी प्रदान की। डाॅ0 खुराना ने बताया कि चाणक्य स्मारक पर इस योग प्रशिक्षण के उपरांत योग की नियमित कक्षा आरंभ हो चुकी है जो कि प्रतिदिन प्रातः 5.30 बजे से लगेगी।
प्रचार प्रमुख भारत भार्गव ने बताया कि विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के रामकृष्ण विस्तार में ही तीसरा योग प्रशिक्षण सत्र डाॅ0 भरत सिंह गहलोत के संयोजकत्व में 3 मई से प्रातः 5.30 बजे से शहीद भगतसिंह उद्यान, वैशाली नगर में प्रारंभ हो रहा है जोकि 12 मई तक चलेगा।
*(भारत भार्गव)*
*प्रचार प्रमुख*
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी
शाखा अजमेर