शिक्षा की गुणवत्ता छोड़ राजनीतिकरण पर उतरी सरकार: देवनानी

– गत भाजपा सरकार लाई थी प्रदेश की शिक्षा को 26 से 2 नम्बर पर
– बड़ी संख्या में हुई थी नियुक्तियां व पदौन्नतियां, बढ़ा था नामांकन
– वर्तमान सरकार का ध्यान पाठ्यक्रम से राष्ट्रवाद की विचारधारा हटाने तक सीमित

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर/अजमेर, 19 जुलाई। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि शिक्षा की गुणवत्ता को छोड़कर इसके राजनीतिकरण पर उतरी हुई है। देवनानी ने यह आरोप विधान सभा में शिक्षा, कला और संस्कृति की अनुदान मांगों पर पर चर्चा में भाग लेने के दौरान लगाया।
देवनानी ने कहा कि हमारे पिछले कार्यकाल की शुरूआत में प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में 26वें पायदान पर था। प्रदेश की 37 प्रतिशत पंचायतों में 12वीं के विद्यालय नहीं थे। शिक्षकों के 52 प्रतिशत पद रिक्त थे। हमने शिक्षा को प्रदेश के भविष्य का आधार व मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक मानते हुए सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले प्रदेश के मध्यम व गरीब परिवारों के विद्यार्थियों को सस्ती, अच्छी, गुणवत्तापूर्ण व संस्कारवान शिक्षा दिलाने की ओर सकारात्मक प्रयास किये जिनकी बदौलत प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में 26वें पायदान से उपर चढकर भारत में 2 नम्बर पर पहुंचा।

पाठ्यक्रम व भाजपा सरकार की योजनाएं बदलने की जल्दबाजी में निर्धारित प्रक्रिया का भी पालन नहीं
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार से यह अपेक्षा थी कि प्रदेश को शिक्षा की दृष्टि से दूसरे नम्बर से पहले नम्बर पर लेकर आएंगे लेकिन इनका फोकस तो शिक्षा की गुणवत्ता पर ना होकर केवल नेहरू परिवार के गुणगान पर केन्द्रित है। इन्होंने सरकार का गठन होते ही पाठयक्रम को बदलने व भाजपा सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं को बदलने के प्रयास प्रारम्भ कर दिये और इसमें भी इतनी जल्दबाजी की कि निर्धारित प्रक्रिया तक का पालन नहीं किया। पाठ्यक्रम परिवर्तन के लिए बोर्ड के चेयरमेन के साथ ही सिलेबस रिब्यू कमेटी द्वारा निर्धारित विषय वस्तु को पाठयक्रम कमेटी के अनुमोदन व बोर्ड के अनुमोदन के बाद ही नया पाठयक्रमानुसार किताबे लिखी जा सकती है।

सरकार ने 6 माह में शिक्षा पर किये 6 प्रहार
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने वर्तमान सरकार पर 6 माह के कार्यकाल में शिक्षा पर 6 प्रहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने इन 6 प्रहारों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्होंने अन्र्तराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन से विद्यार्थियों को दूर करने के लिए विद्यालय 19 जून के स्थान पर 1 जुलाई को खोलने के आदेश किये। फिर एक अन्य उपहासजनक आदेश भाजपा के दबाव में किया गया जिसमें 20 व 21 जून दो दिवस के लिए विद्यार्थियों को स्कूल बुलाया गया जिसकी नाममात्र की भी पालना नहीं हो सकी। इसी प्रकार शिक्षा मंत्री जी को महाराणा प्रताप को महानता भी रास नहीं आई परन्तु भाजपा व समाज के दबाव में आकर उनकी महानता को स्वीकारने पर मजबूर हुए। कांग्रेस सरकार ने स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ अभियान चलाते हुए उनके महान त्याग को भुलाकर पाठ्यक्रम में बदलाव कर सावरकर के बारे में न केवल गलत तथ्य प्रकाशित करवाए बल्कि उनके नाम के आगे से वीर भी हटाया। इतना ही नहीं कांग्रेस के शिक्षा राज्य मंत्री जी ने हमारी प्राचीन वैदिक गणित का उपहास उडाते हुए कहा कि इसे पढ़कर पकौड़े तलने वाले तैयार होंगे। उन्होंने सती प्रथा और जौहर में कोई अंतर नहीं मानते हुए पाठ्यपुस्तकों से जौहर का चित्र हटवा दिया जबकि पूरी दुनिया पदमिनी के जौहर को प्रेरक मानती है। त्याग का प्रतीक भगवा राजस्थान के जन-जन में लोकप्रिय है परन्तु यह भी कांग्रेस को पसंद नहीं आया तथा साईकिलों का रंग बदलवाकर फिर काला करवा दिया। विश्व को नई आर्थिक नीति एवं भारत निर्माण के लिए अंत्योदय एवं एकात्म मानववाद दर्शन के जनक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का नाम भी इन्हें पसंद नहीं आया तथा राज्य स्तरीय कला, वाणिज्य व विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा व सार्वजनिक पुस्तकालयों से इनका नाम हटवा दिया। इसके अतिरिक्त पाठयक्रम से समाजोपयोगी योजनाएं ा, ाा, ााा व प्ट को विलोपित किया गया है। स्वच्छता अभियान, जन स्वावलम्बन, कौशल विकास व भामाशाह जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को भी पाठयक्रम से हटाया गया है।

सरकार की कमेटी ने भाजपा को बताया कुत्सित राजनीतिक दल
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पाठ्यक्रम समीक्षा के नाम 13 फरवरी 19 को 4 लोगों की एक कमेटी बनाई गई जिसने भारतीय जनता पार्टी को एक कुत्सित राजनीतिक दल बताया है। उन्होंने सदन में इसकी कड़ी निन्दा करते हुए कांग्रेस के एसे विचार को शर्मनाक बताया। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पाठ्यक्रम में हिन्दीकरण का आरोप भी गत भाजपा सरकार पर लगाया है।

बदले की भावना से राष्ट्रीय विचारधारा के शिक्षकों के दूर-दराज स्थानान्तरण
उन्होंने विधान सभा में सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल आर.एस.एस. जैसी राष्ट्रीय विचारधारा से जुड़े शिक्षकों व कार्मिकों के दूर-दराज स्थानान्तरण किये गये है। इतना ही नहीं उन्हें प्रताड़ित करने के लिए स्थानान्तरण पर कोर्ट के स्टे तक की पालना नहीं कराई जा रही है।

भाजपा शासन में बढ़ा नामांकन, एकीकरण से सम्भव हुआ कक्षा 1 से 12 तक अध्ययन एक ही विद्यालय में
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2010 से 13 के मध्य कांग्रेस की सरकार के दौरान सरकारी विद्यालयों का नामांकन प्रतिवर्ष 3-4 लाख तक गिर रहा था। 142 स्कूल एसे थे जिनमें शून्य नामांकन था, 4164 स्कूलों में 15 से कम तथा 28000 स्कूलों में 15 से 30 का नामांकन था। हमने स्कूलों का एकीकरण कर कक्षा 1 से 12 तक के अध्ययन की व्यवस्था एक ही विद्यालय में की। तब कांग्रेस ने 22000 स्कूलें बन्द करने का आरोप लगाया था परन्तु आज ये खुद उन स्कूलों को वापिस खोलने की जो कवायद कर रहे है उसमें 2800 स्कूलों के ही प्रस्ताव मिले है। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए मजबूर है कि नामांकन के अभाव में बन्द की गई अधिकांश स्कूले आर.टी.ई. के नोम्र्स के मुताबिक ही बन्द हुई थी।

नई नियुक्तियों, पदौन्नतियांे के साथ ही बजट को लेकर भी गंभीर थी पिछली सरकार
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने सदन में सरकार की शिक्षा के प्रति गंभीरता पर प्रश्न खड़े करते हुए कहा कि गत सरकार ने वर्ष 17-18 से 18-19 में शिक्षा पर 33.41 प्रतिशत बजट बढ़ाया था जबकि वर्तमान सरकार ने 2019-20 के लिए 10.52 प्रतिशत बजट बढ़ाया है जो कि विभाग के कार्मिकों की वेतन वृद्धि पर ही खर्च हो जाएगा। सरकार ने 100 विद्यालय माध्यमिक स्तर तथा 500 विद्यालय उच्च माध्यमिक स्तर पर क्रमौन्नत करने की घोषणा की है जबकि हमने अपने कार्यकाल में 888 विद्यालय माध्यमिक तथा 6356 विद्यालय उच्च माध्यमिक स्तर पर क्रमौन्नत किये थे। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही 1 लाख 48 हजार शिक्षकों की नई नियुक्तियां व 1 लाख 23 हजार शिक्षकों को पदौन्नत किया साथ ही स्टाफिंग पेटर्न लागू कर आरटीई के नोम्र्स के अनुसार विद्यालयों में पद तय किये। पहली बार उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यालयों में भी विषयवार अध्यापक लगाये गये तथा एसी व्यवस्था सुनिश्चित करी की दूर-दराज स्थित गांव-ढाणी के विद्यालयों तक भी शिक्षक उपलब्ध हो।

काउन्सलिंग सिस्टम से दिये थे शिक्षकों को इच्छित स्थानों पर पदस्थापन, देश में हुई इस व्यवस्था की सराहना
उन्होंने कहा कि हमने शिक्षकों को पदौन्नतियों व नई नियुक्तियों में पदस्थापन के लिए भ्रटाचार मुक्त व पारदर्शी व्यवस्था काउन्सलिंग सिस्टम लागू की जिसे पूरे भारत में सराहा गया। नामांकन बढ़ाने व बच्चों को विद्यालय की ओर आकर्षित करने व उनके स्वास्थ्य के लिए मिड डे मिल में दूध उपलब्ध कराना प्रारम्भ किया गया परन्तु आज वर्तमान सरकार इस योजना में विद्यालयों को दूध आपूर्ति करने वालों के भुगतान समय पर नहीं कर पा रही है। इसके अतिरिक्त हमने शिक्षा के ढांचागत सुधार के लिए 25000 से अधिक कक्षा कक्ष, 1572 नवीन स्कूल भवन, 3000 से अधिक भवनों की मरम्मत व 8613 शौचालयो का निर्माण कराया। विद्यालयों में आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए पहले बहुत ही कम राशि मिलती थी जिसे हमने बढ़ाया तथा स्कूलों के नामांकन के आधार पर 12500 से 1 लाख तक की राशि अब इस मद में मिलने लगी है।
देवनानी ने कहा कि हमने प्रदेश की शिक्षा को सुधारने के लिए कुछ मापदंड तय किये तथा उनके अनुसार काम करने का प्रयास किया। आदर्श व उत्कृष्ट विद्यालय तथा स्मार्ट क्लास रूम इसी सोच का परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी जी की प्रेरणा से स्वच्छता के लिए विद्यालयों में चलाये गये अभियान से पद्रेश स्वच्छता की दृष्टि से भारत में तीसरे स्थान पर रहा। हमने विद्यालयों के विकास के लिए जनसहभागिता बढ़ाई। विद्यादान कोष बनाया।

उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए किये गये प्रयासों व नवाचारों से नामांकन तो बढ़ा ही साथ ही बोर्ड परीक्षा परिणाामों में भी सुधार हुआ। वर्ष 13-14 में बोर्ड का परीक्षा परिणाम 58 प्रतिशत था जो 17-18 व 18-19 में 70 प्रतिशत के उपर तक पहुंचा। 12वीं कला का परिणाम तो प्रदेश की निजी विद्यालयों से भी श्रेष्ठ रहा। उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों के फलस्वरूप पिछली कांग्रेस सरकार के समय 44000 छात्राओं को गार्गी पुरस्कार मिलता था जो हमारे समय 146000 तक पहुंचा।

शिक्षा का डिजिटिलाईजेशन, पंचायत स्तर पर पीईईओं की नियुक्ति
उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा शिक्षा के डिजिटिलाईजेशन किये जाने के बारे में बताते हुए कहा कि शाला दर्पण, शाला दर्शन, ई ग्यान जैसे पोर्टल से आज विद्यार्थियों, शिक्षकों व विद्यालयों सम्बंधी सभी जानकारियां एक क्लिक पर उपलब्ध हो पाती है। उन्होंने विभाग के प्रशासनिक ढांचे में सुधार हेतु किये गये कार्यो का उल्लेख करते हुए कहा कि पंचायत स्तर पर नियुक्त पीईईओं के माध्यम से प्राथमिक स्तर तक के विद्यालयों का निरिक्षण सम्भव हो पाया है। पीटीएम, एमटीएम जैसी योजनाएं लागू कर अभिभावकों को स्कूलों से जोड़ा गया।

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