महिला साहित्य पर चुनौतियां और कार्यों पर प्रकाश डाला

अजमेर लेखिका मंच व साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में हो रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरे दिन का कार्यक्रम रविवार सुबह 10:00 बजे होटल दाता इनमें उद्घाटन सत्र के साथ प्रारंभ हुआ उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि श्रीमान मनोज डबराल एवं वर्तिका नंदा तथा योगेश जी कानबा जो आकाशवाणी जयपुर से हमारे बीच पधारे थे रहे स्वागत भाषण में अतिथियों ने महिला साहित्य पर चुनौतियां और कार्यों पर प्रकाश डाला इसी बीच मुख्य अतिथि वर्तिका नंदा ने अजमेर लेखिका मंच की स्मारिका निकालने की भी सलाह दी उद्घाटन सत्र के बाद सत्र नंबर 3 का विधिवत शुभारंभ हुआ सबसे नंबर 3 में एक पैनल डिस्कशन रखा गया जिसका विषय रहा समाज का साहित्य पर और साहित्य का समाज पर प्रभाव और इस पैनल डिस्कशन में चर्चा करने के लिए आमंत्रित अतिथि रहे मनोज डबराल डॉक्टर मुखर कविता निरुपमा चतुर्वेदी राजेश भटनागर श्रीमती नीता टंडन डॉ मनोज अवस्थी एवं सैयद सादिक अली व योगेश कानवा जिन्होंने इस परिसंवाद से साहित्य और उसकी चुनौतियों को समाज में एक उच्च स्तर पर विचार करने के लिए छोड़ दिया सत्र नंबर 4 में विभिन्न कॉलेजों से आए शोधार्थियों ने महिला साहित्य और चुनौतियों पर अपने अपने परिसंवाद पर चर्चा की और प्रेजेंटेशन भी दिया सभी शोधार्थियों को मोमेंटो वह अजमेर लेखिका मंच के सर्टिफिकेट देकर सम्मानित भी किया गया पूरे सत्र की जिम्मेदारी निभाई डॉ अनीता खुराना ने और नायक की भूमिका में रही आर्यभट्ट कॉलेज की डायरेक्टर डॉ रिद्धिमा शास्त्री सत्य नंबर 4 के बाद अंतिम सत्र में एक खुला काव्य गोष्ठी और पुरस्कार का आयोजन भी रखा गया इस काव्य गोष्ठी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोपाल गर्ग ने की एवं साहित्य अकादमी के सचिव व लेखिका मंच की संयोजिका कार्यक्रम का संचालन कर रहे गौरव दुबे के साथ मौजूद रहे कार्यक्रम का शुभारंभ नीता टंडन की मार्मिक रचना शहीद की पत्नी ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया जयपुर से आई निरुपमा चतुर्वेदी व कविता मुखर एवं कविता किरण जो फालना से आई थी की गजलों ने श्रोताओं को ऐसा बांधा कि वह मत मंत्रमुग्ध होकर इनकी गजलों वगीतों में जैसे खो गए डॉक्टर सीमा शास्त्री की कविता एक कोशिश ने सभी को ऊर्जावान बना दिया डॉक्टर बृजेश माथुर की ग़ज़ल गुंचा जब खिलता है एक नई तरह की ग़ज़ल को आविष्कार होते हुए देखा सैयद सादिक अली जकी की गीत मेरा हिंदुस्तान सुन कर सभी तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा रामअवतार यादव की कविता इस गाने और ध्वनि मिश्रा की कविता बारिश ने शमा और कविता में कर दिया राजेश भटनागर के मां पर और जगदीप कौर ने यूं ही हौसले पर अपनी प्रतिनिधि कविताएं सुनाएं तो सभी लोग तालियां बजा उठे योगेश कांडवा द्वारा गहरे अर्थों की कविता ने सभी श्रोताओं को सोचने पर मजबूर भी कर दिया मीनू सोनी मीनू पहले विनीता बाड़मेरा कि लोग कहते हैं सुना कर समाज को आइना दिखा दिया और जब गजल मत पूछ मुझसे खुदगर्जी काजल खत्री ने गुनगुनाए तो सभी तालियां बजाओ थे मीना सोनी की कविता अरावली को बचाने के प्रयास में समर्पित रही और संचालक गौरव दुबे की रिश्तो पर तरन्नुम में गाए गीत ग़ज़ल संबंध बनाने की खातिर अनुबंध बनाने पड़ते हैं को खूब तालियां बटोरी और अजमेर के ग़ज़ल के पुरोधा गोपाल गर्व की तरन्नुम में गाई ग़ज़ल गांव बुलाता है ना ऐसा ही गांव की याद ताजा करा दी लेखिका मंच की संयोजिका मधु खंडेलवाल ने बताया कि इस खुले सत्र में के बाद एक पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का भी आयोजन रखा गया जिसमें लेखिका मंच की सभी लेखिकाओं को मोमेंटो और फोल्डर देकर सम्मानित किया गया अंत में अजमेर लेखिका मंच एवं साहित्य अकैडमी के संयुक्त तत्वाधान में हुए इस दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी की अभूतपूर्व सफलता के लिए सभी ने बधाई और आशीर्वाद भी दिया लेखिका मंच की वरिष्ठ साहित्यकार अरुणा माथुर ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम के अंत में संयोजिका ने कार्यक्रम के एवं भूतपूर्व सफलता के लिए लेखिका मंच की एक लेखिका का धन्यवाद एवं ने भी इस कार्यक्रम में अपना सहयोग दिया उनका ह्रदय कल से आभार व्यक्त किया

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