आठ सेवाओं का इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस में विलय के साथ रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन का फैसला

सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत रेलवे की आठ विभिन्न सेवाओं को आपस में मिलाकर इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस नामक एक नई सेवा में तब्दील करने का निर्णय लिया है। इसी के साथ रेलवे बोर्ड में आठ की जगह सिर्फ चार मेंबर होंगे, जबकि चेयरमैन को चेयरमैन-सह-सीईओ के नाम से जाना जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसला हुआ। आठ सेवाओं को एक सेवा में विलीन कर नई केंद्रीय सेवा गठित की गयी है | 1905 से रेलवे में आठ सेवाओं के जरिए काम होता आया है। परंतु वक्त के साथ रेलवे की प्रगति मद्देनजर आठों विभागों को एक सेवा में विलीन कर इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (आइआरएमएस) के रूप में नई केंद्रीय सेवा शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसी के साथ अब रेलवे बोर्ड का आकार भी अपेक्षाकृत छोटा किया जाएगा। जिसमें चेयरमैन और सीईओ के अलावा सिर्फ चार कार्यकारी मेंबर (इंफ्रास्ट्रक्चर, आपरेशंस एंड बिजनेस डेवलपमेंट, रोलिंग स्टॉक तथा फाइनेंस) के अलावा कुछ स्वतंत्र और अनुभवी विशेषज्ञ मेंबर होंगे। इनके लिए उद्योग, वित्त, अर्थशास्त्र तथा प्रबंधन का 30 वर्ष का अनुभव जरूरी होगा।

चेयरमैन के पास मौजूदा मेंबर स्टाफ की तरह काडर कंट्रोल की तमाम शक्तियां भी होंगी, जिन्हें वो डीजी-एचआर की सहायता से कार्यान्वित करेगा। इसी के साथ इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस (आइआरएमएस) को इंडियन रेलवे हेल्थ सर्विस (आइआरएचएस) के नाम से जाना जाएगा।

विभिन्न समितियों ने रेलवे में सुधारों की सिफारिश की थी| प्रकाश टंडन से लेकर राकेश मोहन, सैम पित्रोदा तथा बिबेक देबराय की अध्यक्षता वाली विभिन्न समितियों ने इन सुधारों की सिफारिश की थी। जिन्हें अब लागू किया जा रहा है। इन सुधारों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतीय रेल को भारत की विकास यात्रा का ग्रोथ इंजन बनाने के सपने को साकार करने में सहायक साबित होंगे।

रेलवे में इन संगठनात्मक सुधारों के परिणामस्वरूप निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। इससे रेलवे के आधुनिकीकरण, यात्री सेवाओं में सुधार तथा ट्रेनों की गति बढ़ाने के अलावा यात्रियों को उच्चतम सुरक्षा प्रदान करने की मुहिम को और बल मिलेगा।
वरिष्ठ जनसंपर्क निरीक्षक, अजमेर

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