निःशुल्क किडनी व मूत्र रोग परामर्श शिविर में अनेक लाभांवित

मित्तल हाॅस्पिटल के किडनी रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीरसिंह चौधरी व मूत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ संतोष धाकड़ ने दिया परामर्श
अजमेर, 12 मार्च( )। विश्व किडनी दिवस के अवसर पर मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में गुरुवार को आयोजित निःशुल्क किडनी व मूत्र रोग परामर्श शिविर में अनेक रोगी लाभांवित हुए। शिविर में मित्तल हाॅस्पिटल के किडनी रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीरसिंह चौधरी तथा पथरी, प्रौस्टेट एवं मूत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ संतोष कुमार धाकड़ ने रोगियों को परामर्श प्रदान किया।
शिविर सुबह दस बजे से एक बजे तक का था किन्तु शिविर का लाभ उठाने के लिए रोगी जल्दी ही पहुंच कर रजिस्ट्रेशन कराने लगे और शिविर समयावधि समाप्त होने पर भी पहुंचते रहे। डाॅ रणवीरसिंह चौधरी ने बताया कि मधुमेह व रक्तचाप से पीड़ित, शरीर पर सूजन, पेशाब में खून व प्रोटीन निकलने की बीमारी, किडनी व मूत्र संक्रमण संबंधी समस्याओं से ग्रसित, डायलिसिस पर चल रहे रोगी शिविर को लाभ लेने पहुंचे।
इसी तरह पथरी प्रौस्टेट व मूत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ संतोष कुमार धाकड़ ने बताया कि शिविर का उम्र दराज लोगों ने लाभ उठाया। किडनी, मूत्रनली, पेशाब की नली की पथरी, प्रौस्टेट ग्रंथी का बढ़ना, दिन व रात को बार बार पेशाब लगना, पेशाब की धार में कमी होना, पेशाब का बूंद बूंद टपकना, पेशाब नली में रुकावट, किडनी, प्रौस्टेट, पेशाब की नली का कैंसर, खांसी व छींक के साथ पेशाब का निकलना आदि से संबंधी रोगी शिविर में निःशुल्क परामर्श लेने पहुंचे। शिविर के दौरान चिकित्सक की ओर से निर्देशित रोगियों की यूरोफ्लोमिट्री जांच निःशुल्क की गई।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि विश्व किडनी दिवस के अवसर आम जन में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से काफी रियायती दरों पर नेफ्रोलाॅजी हैल्थ पैकेज़ व यूरोलाॅजी हैल्थ पैकेज़ जारी किए गए हैं जो कि 12 से 18 मार्च तक उपलब्ध होंगे। उन्होंने बताया कि शिविर में पंजीकृत रोगियों को निर्देशित जांचों पर 25 तथा आॅपरेशन पर 10 प्रतिशत की रियायत अगले 7 दिवस तक दी गई है। उन्होंने कहा कि मित्तल हाॅस्पिटल आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं सभी टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है। अब तक सैकंड़ों रोगी पथरी, प्रौस्टेट, व अन्य मूत्र रोग संबंधित आॅपरेशन व डायलिसिस का भामाशाह योजना में निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं।
किडनी रोगी होने से बचाव के लिए बने जागरूकता योजना- डाॅ रणवीरसिंह चौधरी
मित्तल हाॅस्पिटल के किडनी रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीर सिंह चौधरी ने कहा कि किडनी रोगी होने से बचाव ही इसका उपचार है। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों ने आम नागरिकों के किडनी रोगी होने पर डायलिसिस, पथरी, प्रौस्टेट व अन्य मूत्र रोग संबंधित दवाइयों व आॅपरेशन की निजी अस्पतालों तक में निःशुल्क सुविधाएं मुहैया कराई हुई हैं जबकि किडनी फैलर की गंभीरता , इसके इलाज की जटिलता तथा जीवन भर लम्बा चलने व महंगा इलाज होने को देखते हुए सरकार को किडनी रोग से बचाव के लिए जन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने बताया कि दर्द निवारक गोलियों से परहेज के लिए जनजागरूकता अभियान की ज्यादा जरूरत है। लोग चिकित्सकों पर दबाव डाल कर दर्द निवारक गोलियां लिखवाते हैं इससे उन्हें त्वरित लाभ तो मिल जाता है पर आखिर इससे किडनी पर प्रभाव पड़ता हैं। उन्होंने धूम्रपान से परहेज की भी सलाह दी। बताया कि धूम्रपान करने वालों को बीपी बढ़ता है व बीपी किडनी को डैमेज करता है। धूम्रपान से किडनी को खून की सप्लाई करने वाली धमनी में कोलेस्ट्रोल जमा होकर उसे संकरा कर देता है व किडनी को खून की सप्लाई बाधित होने लगती है। उन्होंने कहा कि जनजागरूकता अभियान किडनी रोगी होने से लोगों को बचा सकता है। डाॅ रणवीर ने कहा कि प्रतिदिन व्यायाम करें, बीपी व ब्लड शुगर नियंत्रण में रखें व नियमित जांच कराते रहंे।

पथरी व प्रौस्टेट से भी किडनी हो सकती है डैमेज- डाॅ संतोष घाकड़
मित्तल हाॅस्पिटल के पथरी, प्रौस्टेट व मूत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ संतोष कुमार घाकड़ ने कहा कि पथरी व प्रौस्टेट से भी किडनी पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि लोग देसी नुस्खे अपना कर कई दिन तक पथरी व प्रौस्टेट संबंधित बीमारी को टालते हैं इससे रोग बढ़ जाता है और दूसरे अंगों जैसे किडनी पर भी बुरा असर पड़ जाता है। डाॅ धाकड़ ने बताया कि पानी कम पीने से किडनी स्टोन होने का अंदेशा रहता है। पेशाब रोकने से पेशाब की थैली में संक्रमण होता है व इससे किडनी पर असर पड़ सकता है। दर्द की दवाइयां किडनी को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। कई बार स्थाई रूप से किडनी डैमेज हो जाती है। रक्तचाप, डायबिटीज, स्लीप एपनिया जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों की किडनी डैमेज होती है। पेशाब में प्रोटीन जाने की बीमारी होने की आशंका रहती है । डाॅ धाकड़ ने कहा कि रोगी को जैसे ही रोग का होने का पहली बार अहसास हो उसे सही चिकित्सक से मिलकर परामर्श लेनी चाहिए।

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