सेवा, भक्ति व बलिदान के साक्षात स्वरूप थे संत कवंरराम

अजमेर 13 अप्रेल सेवा, भक्ति व त्याग के साक्षात स्वरूप् थे अमर शहीद संत कवंरराम, जिन्हें आज भी देश दुनिया में सभी स्मरण करते हैं और आज संत कवंरराम की 135वीं जयंती के उपलक्ष में सभी ने घरो में रहकर पूजा अर्चना की। उक्त विचार संत कवंरराम मण्डल के अध्यक्ष नरेन शाहणी भगत ने प्रकट किये। उन्होने कहा कि आज भी संत कवंरराम के नाम सेवा कार्य किये जाते हैं। देश दुनिया में आॅनलाइन सभी बधाईयां दे रहे हैं।
सिन्धीसमाज महासमिति के अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी ने कहा कि संत कवंरराम के त्याग के गुरू भक्ति को सदैव स्मरण कराया जाता रहेगा। उन्होने अपने गुरू सतरामदास की सेवा कर अच्छे शिष्य के रूप में भगत के माध्यम से आध्यात्मिक दर्शन कराये। उनकी वीणा व पूजा से ही मरा हुआ बालक जीवित उठा और यह चमत्कार आज भी सभी को स्मरण है।
सिन्धी सेन्ट्रल महासमिति के महासचिव गिरधर तेजवाणी ने कहा कि घरो में रहकर जो आज पूजन किया गया और युवाओं के साथ विद्यार्थियों को उनके प्रेरणादायी जीवन के सेवा कार्य बताये गये हैं वहीं सच्ची भक्ति है।
भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि कोरानावायरस के संक्रमण से छुटकारा पाने व सभी के स्वास्थ्य की मंगल कामना व खुशहाली के लिये अमर शहीद संत कवंरराम जैसे संतो के कारण यह देवभूमि सुरक्षित है।
गयक कलाकार घनश्याम भगत ने आनलाइन भजन नाले अलख जे बे्डो तार मुहिजो……… कीअं रिझाया तोखे कींअ परचाया…… कोसा कोअर खणी हलयो खुलिया, भाग् सांई कवंरराम जा……… से सभी को जोडने की पहल की।
135वीं जयंती पर राधाकिशन आहूजा, जगदीश अबिचंदाणी, हरी चंदनाणी, प्रकाश जेठरा, हरीराम कोडवाणी, दीपक साधवाणी, जयकिशन लख्याणी, महेश टेकचंदाणी, मनोज मेंघाणी, भगवान कलवाणी, पुष्पा साधवाणी, दिलीप बूलचंदाणी ने पूजन व आरती कर जरूरतमंदों तक प्रसाद वितरण कर याद किया।

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