राष्ट्रीय लोकत्रांतिक पार्टि के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट विजय पाल राव ने बताया कि सरकार ने मंडी अधिनियम में नई धारा 17ए को तत्काल प्रभाव से जोडकऱ मंडी क्षेत्र में आने वाली, विक्रय या क्रय होने वाली कृषि उपज पर 2 प्रतिशत ,कृषक कल्याण शुल्क का प्रावधान किया है। मंडी शुल्क के साथ-साथ कृषक कल्याण शुल्क भी लिया जाना है, कृषक कल्याण शुल्क लेने की प्रक्रिया वही होगी, जो मंडी शुल्क लिए जाने के लिए निर्धारित है। राव ने बताया कि सरकार ने शुल्क को तत्काल प्रभाव से लागू कर किसानों के कल्याण की बात कही है, जो कि सर्वथा गलत बयानी है। यह सेस (शुल्क) प्रथम बिन्दु पर लगेगा, जिसका प्रभाव यह होगा कि क्रेता उतना पैसा किसान की फसल का कम करके उपज भाव लगाएगा, जिससे नुकसान किसान का ही होगा। इसके साथ अन्य राज्यों के क्रेता व्यापारी अपने राज्यों की तुलना में अधिक टेक्स देकर राजस्थान राज्य से माल की नहीं खरीद करेंगे। ऐसे में सारा व्यापार ही चौपट होने का संकट उत्पन्न हो सकता है। सरकार को कृषि जिंसों पर सेस लगाने से पहले पड़ौसी अन्य राज्यों का तुलनात्मक अध्ययन भी करना होगा, अन्यथा हमारे प्रदेश से महंगा माल कौन मंगवाएगा। अत: सरकार को इस पर तुरंत प्रभाव सें पुनर्विचार कर इसे तत्काल वापस लेना चाहिए।
सरकार का दोहरा रवैया ठीक नहीं
राज्य सरकार ने किसान कल्याण शुल्क के नाम से टैक्स लगाया है, लेकिन इसका असर किसान पर ही पडऩे वाला है, क्योंकि मंडी में ऐसा कोई टैक्स नहीं है, जो व्यापारी अपनी जेब से भरता हो। सरकार की दोहरी नीति है, एक तरफ किसान कल्याण कोष बनाने की बात कही जा रही है और दूसरी तरफ किसान पर ही बोझ डाला जा रहा है। इससे किसान एक प्रतिशत भी भला नहीं होना है।