स्वदेशी अपनाएं और भारत व गांवों को आत्मनिर्भर बनाएं: देवनानी

’’सादा जीवन, उच्च विचार’’ को आत्मसात करने का आ गया समय
-आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक उपचार की तरफ से बढ़ने लगा रूझान
-संक्रमण से दूर बाजारों को कफ्र्यूग्रस्त क्षेत्र से बाहर किया जाए
-ग्राम व कृषि आधारित उद्योग शुरू करने की तरफ देना होगा ध्यान
-फेसबुक लाइव के माध्यम से देवनानी ने नागरिकों से किया संवाद

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 14 मई। विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने सभी नागरिकों का आह्वान किया है कि वे स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादों को ही अपनाएं और अपने देश व गांवों को आत्मनिर्भर बनाएं। उन्होंने कहा कि मलेरिया और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां ही नहीं रहीं, तो कोरोना भी नहीं रहेगा। यह भी भारत से पूरी तरह खत्म होगा, लेकिन इसमें समय लग सकता है।
देवनानी ने गुरूवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से नागरिकों से संवाद करते हुए कहा कि हमें अपनी आवश्यकताओं को कम करना होगा। कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी को देखते हुए ’’सादा जीवन, उच्च विचार’’ को आत्मसात करने का अवसर आ गया है। दया, करूणा और सहानुभूति जैसे विचारों को मन में लाना होगा। हमें शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्तर पर भी आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में हमारे पूर्वज सादा जीवन जीते थे, इसलिए जल्दी से बीमार नहीं पड़ते थे। यदि बीमार पड़ जाते थे तो घरेलू उपचार और देशी दवाइयों से ठीक हो जाते थे। पहले तुलसी, दालचीनी, नीम, गिलोय, अदरक, काली मिर्च, गुड़, हल्दी आदि का उपयोग होता था, लेकिन भौतिकवाद में हम इन घरेलू उपायों को भूल गए थे। अब फिर से इन सभी उपायों को उपयोगिता हमें समझ आने लगी है। लोगों का आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक उपचार की तरफ से रूझान बढ़ने लगा है। कुछ दशकों से लोग एकल परिवार की धारणा लिए अपने माता-पिता से अलग रहने लगे थे, लेकिन कोरोना ने अब उन्हें संयुक्त परिवार का महत्व भी समझा दिया है।
देवनानी ने कहा कि कुछ वर्षों पहले मजदूर रोजी-रोटी के लिए अपने गांव व राज्य को छोड़कर दूसरे राज्यों में चले-आ गए थे, वे अब अपने गांवों में फिर से लौट गए हैं। ऐसे में लोगों को रोजी-रोटी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए इन मजदूरों के लिए ग्राम आधारित उद्योग शुरू करने चाहिए, ताकि उन्हें वहीं रोजगार मिल सके। इसी प्रकार कृषि आधारित उद्योग भी स्थापित करने की तरफ ध्यान देना होगा। सरकारों को विभिन्न शहरों और कस्बों में स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों ;आईटीआईद्ध ग्राम आधारित उद्योगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने होंगे। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है, लेकिन सभी विपरीत परिस्थितियों में देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ा है।
देवनानी ने कहा कि दरअसल हम अभी तक प्रकृति का शोषण करते हुए भौतिकवाद में जुटे रहे। अपनी संस्कृति और दर्शन को भूल गए, केवल अर्थ को ही ध्यान में रखा। उदारीकरण और वैश्वीकरण की होड़ ने हमें भौतिकवादी बना दिया। लेकिन अब प्रकृति और वर्तमान परिस्थिति ने हमें फिर से भारतीय संस्कृति और दर्शन के कारकों का महत्व अच्छी तरह समझा दिया है। यही कारण है कि अब हम अपनी प्राचीन मूल संस्कृति की तरफ बढ़ने लगे हैं। उन्होंने कहा कि हमें बी.सी. ;बिफोर कोरोनाद्ध और ए.सी. ;आफ्टर कोरोनाद्ध पर सोचना पड़ेगा। इसलिए अब यह चिंतन का विषय है कि भौतिकवादी युग के पहले क्या था। करीब 50 दिन के लाॅकडाउन ने हमें काफी सोचने, जानने और क्रियान्वयन करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब हम स्वास्थ्य के प्रति सजग व जागरूक होने लगे हैं, योग का महत्व भी समझ में आने लगा है। योग हमारे जीवन का अंग बनने लगा है। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए योग आवश्यक है। देवनानी ने कहा कि उन्होंने अपने शिक्षामंत्री कार्यकाल में शिक्षा में सूर्य नमस्कार को शामिल किया था, लेकिन जब राजनीतिक मित्रों ने विरोध और उपहास किया था, लेकिन अब उन्हें भी इसका महत्व समझ में आने लगा है।

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