लगातार भेदभाव करते हुए अजमेर की घोर उपेक्षा की गयी

अजमेर। राजस्थान में काग्रेंस की गहलोत सरकार के विगत 4 वर्षो के कार्यकाल में अजमेर शहर से लगातार भेदभाव करते हुए अजमेर की घोर उपेक्षा की गयी तथा राज्य सरकार अथवा राज्य सरकार के जनप्रतिनिधियों के पास अजमेर में पिछले 4 वर्षो में बताने के लिये कोई भी बड़ा विकास कार्य नहीं है।
अजमेर के प्रति सरकार की उपेक्षा की हालत यह है कि पहले अजमेर का प्रभारी मंत्री महिपाल सिंह मदरेणा को बनाया गया जो कि अजमेर के लिये कुछ नहीं कर पाये, उनके भंवरी प्रकरण में मंत्री पद से हटने के बाद श्रीमती बीना काक को अजमेर का प्रभारी बनाया गया। लेकिन पिछले दिनों अजमेर में हुई अतिवृष्टि के पश्चात यहां के लोगों को उन पर भरोसा था कि वह प्रभावी कार्यवाही कर राहत दिलवायेगी लेकिन उन्होने भी अजमेर में दौरे के नाम पर केवल दिखावा करके जनता को निराश किया तथा अजमेर में सर्किट हाऊस आकर आनासागर के पास फोटो खिचाने के अतिरिक्त अजमेर के हितों के लिये वह भी कुछ करने में नाकाम रही है।
जहां पूर्व में भा.ज.पा. की वसुन्धरा जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने निरन्तर रूप से अजमेर के सभी क्षेत्रों में विकास कार्यो की श्रंृखला तैयार करी थी एवं स्थानीय स्तर पर भी नगर निगम एवं नगर सुधार न्यास ने आपसी समन्वय से व्यवस्थित रूप से विकास कार्य कराकर अजमेर को राज्य के प्रमुख महानगरों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया था। वहीं इस सरकार तथा यहां के नगर निगम एवं न्यास प्रशासन ने विकास कार्यो को अवरूद्ध कर अजमेर की जनता को निराश किया है। अजमेर में मूलभूत एवं बुनियादी सुविधाओं का आधार कमजोर हुआ है। अजमेर नगर निगम प्रशासन की घोर लापरवाही व उदासीनता के चलते शहर के प्रमुख नालों की सफाई भी ठीक प्रकार से नहीं हो सकी सफाई का समस्त सफाई कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। स्थिती यह है कि शहर के मध्य में अनेक कॉलोनियों एवं बस्तियों के बीच से गुजर रही आनासागर एस्केप चैनल की सफाई नगर निगम प्रशासन एक बार भी ठीक प्रकार से नहीं करा सका है, जिससे इसके आस-पास रहने वाले नागरिकों का जीवन नारकीय हो गया है। अजमेर नगर निगम की कार्यप्रणाली का नूमना इसी से देखा जा सकता है कि कॉग्रेस पार्टी के ही नेता प्रतिपक्ष ने यह कह कर अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि निगम में आम आदमी के काम नहीं हो रहे है । वहीं अजमेर में डेरा सच्चा सौदा के सेवाधारियों ने सफाई के लिय अजमेर को चुनते वक्त जब मेयर से कहा कि अजमेर शहर में बहुत गंदगी है तब मेयर ने स्वयं इसे स्वीकार किया कि हां अजमेर बहुत गंदा है इसके बाद इन सेवाधारियों द्वारा नालों से निकाले गये कचरे को भी अधिकांश स्थानों से उठाया तक नहीं है ।
अजमेर में चलाया गया प्रशासन शहरों की और अभियान भी केवल नाटकीय और दिखावा ही रहा जो कार्य नगर निगम के भवन में रूटीन में होने चाहिये वही कार्य करने के लिये नगर निगम के बाहर अलग से टेंट कुर्सियां लगाकर न केवल दिखावा किया गया बल्कि इन शिविरों से जरूरत मंद व्यक्तियों को भी कोई लाभ नहीं हुआ। अजमेर में लगातार बाहर से अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठिये आते रहे है तथा आज स्थिती यह हो गयी है कि बड़ी तादाद में वह अजमेर में रहते हुए प्रशासन से यहां का निवासी होने सम्बन्धी दस्तावेज तैयार करने का प्रयास कर रहे है एवं इन शिविर में भी एक साथ बड़े समूह के रूप में आकर प्रमाण पत्र बनवाने का दबाव डालने की योजनाए बना रहे है। लेकिन प्रशासन इन्हें चिन्हित करने में नाकाम रहा है।
नगर सुधार न्यास में भी लम्बे समय की प्रतिक्षा के पश्चात् गतवर्ष राजनैतिक व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया लेकिन वह भी शहर के हित के लिये कोई बड़ा व आधार भूत कार्य नहीं कर सकें। न्यास प्रशासन कृषि भूमि पर बनी नियमन शुदा कॉलोनियों में सड़कें, नाली एवं अन्य बुनियादी सुविधाए उपलब्ध कराने में नाकाम रहा है तथा न्यास द्वारा भू-उपयोग परिवर्तन के मामले भी भू-माफियाओं का उपकृत कर नियमों को ताक में रखकर किये गये है।
अजमेर सम्ंभाग के सबसे बड़े चिकित्सालय जे.एल.एन. में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिये लगातार आवश्यकता बनी रहती है। पूर्ववर्ती भा.ज.पा. सरकार व न्यास प्रशासन ने यहां पर करोड़ो रूपये व्यय कर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई लेकिन वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जे.एल.एन. की किसी भी तरह से सुध नहीं ली गयी, निःशुल्क जांच, ट्रोमा वार्ड का उद्घाटन होने के बावजूद इसे पीड़ित व्यक्ति के लिये अभी तक प्रारम्भ नहीं किया जा सका है, न्यूरो सर्जरी, हृदय रोग विभाग सहित अधिकांश वार्डो में स्टाफ की कमी यथावत है। वहीं सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क दवा वितरण योजना का पूरा लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है, योजना के तहत दी जाने वाली दवाएं उपलब्ध नहीं रहती है। चिकित्सालय स्तर पर इसे सरकारी सप्लाई में ढिलाई कहकर टाला जा रहा है। अस्पताल प्रशासन के पास शार्ट दवाइयों की खरीद के लिये अलग से बजट का प्रावधान होने के बावजुद खरीद नहीं की जाती है। इससे मरीज मजबूर होकर बाजार से दवा खरीद रहा है। इसी प्रकार जननी सुरक्षा योजना में प्रसूताओं को दिया जाना वाला घी नहीं मिल रहा है, उन्हें अस्पताल से घर जाने के लिये काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। काफी प्रयासों के पश्चात एम्बुलेंसों की व्यवस्था होती है तो उनमें एक साथ 3-4 प्रसुताओं को उनके परिजनों सहित भर दिया जाता है।
वर्षाकाल में हुई अतिवृष्टि से शहर की अधिकांश सड़कों व निचली बस्तियों की हालत खराब है। 2-3 माह गुजर जाने के बाद भी उनकी सुध नहीं ली गयी, सरकार ने विभागों से प्रस्ताव बनाकर कर भी मंगवा लिया लेकिन अभी तक बजट उपलब्ध नहीं कराया है। कुछ स्थानों पर घटिया पेचवर्क कर न्यास ने सड़कों के गढ्ढों को ढकने की कोशिश की लेकिन जल्द ही इनकी पोल खुल गयी। नगर में कुछ सड़कें तो इतनी बदहाल है कि वहा पेचवर्क से काम नहीं चल सकता है।
अजमेर शहर में विगत अनेक वर्षो से यातायात का भार विकराल होता जा रहा है लेकिन स्थानीय विधायकों व पार्टी स्तर पर एवं अनेक संस्थाओं द्वारा निरन्तर मांग के बावजूद भी यहां पर राज्य सरकार द्वारा इसके निराकरण के लिये कोई भी पहल नहीं की गयी अजमेर में मुख्य मार्गो से यातायात का भार कम करने के लिये समानान्तर सड़कों के विस्तार के साथ ही एलिवेटेड रोड की अति आवश्यकता की भी लगातार अनदेखी से अजमेर के लोग आहत है लेकिन सरकार इस पर गम्भीर नहीं रही।
अजमेर में स्थापित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कुछ वर्षो पूर्व देश भर में प्रतिष्ठा थी, लेकिन बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष की कार्यप्रणाली से न केवल बोर्ड का विखण्डन कर इसके महत्व को कम किया गया बल्कि प्रदेशभर के लाखों छात्रों की फीस से प्राप्त करोड़ों रूपयों का भी बोर्ड अध्यक्ष ने दुरूपयोग किया तथा बोर्ड को सत्तारूढ पार्टी से जुड़े लोगों को उपकृत करने का जरिया बना दिया। आरटेट परीक्षा का विषय हो या छात्रों के गलत परीक्षा परिणाम निकाल कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ का विषय हो इससे बोर्ड की साख ही गिरी है। बोर्ड की मान्यता शाखा की भी र्दुव्यवस्थाओं का शिकार राज्य के हजारों निजी विद्यालय हो रहे है। जिसका विरोध पिछले दिनों बोर्ड के इतिहास के पहली बार हजारों की तादाद में विशाल प्रदर्शन व धरने के साथ हुआ।
भा.ज.पा. शासन में अनेकों बस्तियों में बनी पानी की टंकियों को पाईप लाईन से नहीं जोडा जा सका है तथा अजमेर के अधिकांश पैराफेरी गांव अभी तक बीसलपुर के पानी से वंचित है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य सरकार ने अजमेर शहर के लिये कुछ भी नहीं किया एम.डी.एस. विश्वविद्यालय में शिक्षकों के विभिन्न पदरिक्त होने के हालात खराब है तथा लॉ कॉलेज को वर्ष 2005 से स्थाई मान्यता का इंतजार है। पिछले वर्षो में लगातार अजमेर से टी.टी. कॉलेज सहित महत्वपूर्ण विभागों को अजमेर से बाहर भेजने के प्रयास होते रहे है। राज्य सरकार की पिछडे एवं असहाय तबके के लिये चलाये जाने वाली अधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन भी प्रशासनिक शिथिलता के कारण नहीं हो पा रही है।
पिछले 4 वर्षो में अजमेर की कानून व्यवस्था में भी तेजी से गिरावट आयी है, अनेक आपराधिक घटनाएं बढ़ने के साथ ही भ्रष्टाचार के मामले में यहां पर स्वयं पुलिस के आई.पी.एस. अधिकारी की गिरफतारी के साथ ही पिछले दिनों पुलिस कर्मियों द्वारा महिला के साथ छेडछाड करने की घटना जिसे बाद में पुलिस प्रशासन ने मैनेज कर लिया इन सबके साथ ही अजमेर में माननीय न्यायधीश महोदय के निवास स्थान पर लगातार दो बार तोड़फोड़ व आगजनी कर अपराधी सीधे तौर पर पुलिस प्रशासन को चुनौती दे रहे है। इन सबसे अजमेर की साख में गिरावट आयी है।
अजमेर में पिछले 4 वर्षो में यहां के नागरिकों ने अब तक की सर्वाधिक विद्युत कटौती के संकट का सामना किया सरकार के वायदों के विपरीत दो बार विद्युत बिलों में बढोतरी के साथ ही सफाई के नाम पर प्रस्तावित यूजर्स चार्जेज से शहर के लोग हताश हुए है। रोजगार के सभी विकल्प समाप्त करने व नये पद सृजित नहीं करने से सर्वाधिक पीडित युवा वर्ग है।
भारतीय जनता पार्टी विगत 4 वर्षो से केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार सहित राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में तथा अजमेर के व्यापक हित में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका में लगातार प्रयत्नशील रही है। काग्रेंस पार्टी सहित केन्द्र व राज्य सरकार आमजन का विश्वास खों चुकी है तथा अगले वर्ष होने वाले चुनावों में राज्य में फिर से सुशासन स्थापित हो एवं राज्य सहित अजमेर विकास के पथ पर अग्रिसित हो इस हेतु जनभावनाओं के अनुरूप भा.ज.पा. सतत रूप से प्रयत्नशील रहेगी।
-रासासिंह रावत
शहर जिलाध्यक्ष

error: Content is protected !!