वित्त विभाग के आदेशों के बाद भी सेवा निवृत्त तरस रहे मार्च 2020 के बकाया वेतन को

केकड़ी 21 फरवरी (पवन राठी)कोरोना भले ही विलुप्ति के कगार पर हो लेकिन उसकी मार से आज भी लोग उबर नही पाए है।राज्य सरकार ने मार्च2020 में आधे माह का वेतन स्थगित कर दिया था।इस संबंध में राज्य के वित्त विभाग ने दिसंबर 2020 में एक आदेश जारी किया था कि 31 मार्च2020 या उसके बाद सेवा निवृत्त होने वाले कार्मिकों को मार्च2020 के स्थगित वेतन का भुगतान कर दिया जाए।उसके आदेश क्रमांक है प 1(4)वित्त/सा वि लो न/2006 दिनांक 24 दिसंबर 2020 को प्रमुख शासन सचिव वित्त विभाग अखिल अरोरा द्वारा जारी किए गए थे।
इसके बावजूद भी केकड़ी ब्लॉक में पी डी मद से सेवा निवृत्त शिक्षकों को मार्च 2020 के स्थगित वेतन का भुगतान अब तक करने में शिक्षा विभाग पूरी तरह से विफल रहा है जब कि पे मैनेजर से जिनके बिल बनते है उनके बकाया वेतन का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा शिक्षकों के लिए दोहरे मापदंड अपनाकर पी डी मद से सेवा निवृत्त हुए शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।अधिकारी गण टालमटोल की नीति अपनाकर एक दूसरे पर अपने दायित्वों का बोझ डालकर इतिश्री कर रहे है।
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा मुख्यालय को भी सूचना देकर उचित कार्यवाही कि मांग की जा चुकी है परंतु परिणाम वही ढाक के तीन पात। वित्त विभाग के आदेश जारी हुए आज दो माह पूरे होने को है लेकिन विभागीय अधीकारियो की कुम्भ कर्णी निंद्रा है कि टूटने का नाम ही नही ले रही है।शायद जिला शिक्षा अधिकारी को शिक्षक समस्याओ से कोई लेना देना नही है उनको केवल अपने वेतन और टी ए डी ए से मतलब है !
इस संबंध में मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी एवम पी डी मद के वेतन आहरण एवम वितरण अधिकारी का यह दायित्व है कि सेवा निवृत्त शिक्षकों के बकाया वेतन का भुगतान अविलंब करे यदि उसमे कोई अड़चन है तो यह उनका दायित्व है कि उसका निराकरण वे उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर करे।

अब यंहा सवाल यह उठना लाजमी है कि सरकारी पे मैनेजर काम नही करते है तो उनको दुरुस्त करवाने का दायित्व प्रशासन का है न कि सेवा निवृत्त शिक्षकों का!
अपने दायित्वों का निर्वहन भली भांति करने में शिक्षा अधिकारी गण पूर्ण रूप से विफल रहे है इसमें कोई दो राय नही !
जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा मुख्यालय अजमेर का तो यह आलम है कि वो फ़ोन तक उठाना मुनासिब नही समझती है।
एक और जंहा अधिकारी मस्त है तो सेवा निवृत्त कार्मिक उनकी अनदेखी और लापरवाही के कारण त्रस्त है ।अधिकारियों की इस लापरवाही से “मस्त रहो मस्ती में चाहे आग लगे बस्ती में”कहावत पूर्ण रूप से चरितार्थ हो रही है। इसी के कारण राज्य के वित्त विभाग द्वारा जारी 24 दिसंबर के आदेशों की पालना भी शिक्षा अधिकारियों द्वारा नही की जा रही है समस्या समाधान के नाम पर इन शिक्षा अधिकारियों द्वारा अपने को प्राप्त राजनीतिक संरक्षण का लाभ उठाते हुए केवल लॉलीपॉप बेधड़क होकर बांटा जा रहा है।

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