करोड़ों की जमीन को कौड़ियों के भाव खुर्द-बुर्द करने का मामला बना चर्चा का विषय

केकड़ी 26 फरवरी(पवन राठी)
केकड़ी नगरपालिका की यहां सब्जी मंडी में कबूतर खाने के सामने स्थित बरसों पहले किराए पर दी गई बेशकीमती सम्पत्ति को किराएदार के वारिसान द्वारा खुर्द-बुर्द किये जाने का मामला इन दिनों जोरों से चर्चा में है। हालांकि नगर पालिका प्रशासन ने इस मामले की जानकारी मिलने पर गत दिनों एक नोटिस किराएदार के वारिसान को तामील कराने के लिए जारी किया लेकिन दो दिनों तक पालिका के कर्मचारी नोटिस को तामील कराने की कवायद में जुटे रहे। इसी बीच पालिका के अधिकारियों ने नोटिस को तामील कराने की कार्यवाही को दफ्तर दाखिल कर दिया। इस मामले में चर्चा है कि पालिका द्वारा कथित तौर पर मिलीभगत कर इस कार्यवाही को रोक दिया गया है। इस मामले में बताया जा रहा है कि गत दिनों पालिका के अधिकारियों को यहां सब्जी मंडी में स्थित पालिका की बेशकीमती भूमि (करीब 95 वर्ग गज) को खुर्दबुर्द किये जाने की जानकारी मिली थी जिस पर तुरंत कार्यवाही करते हुए पालिका ने गत 17 फरवरी को एक नोटिस जारी किया जिसमें किराएदार के परिजनों को पालिका की उक्त सम्पत्ति को पालिका को सुपुर्द करने की बात लिखी गई थी। पालिका के कर्मचारी लगातार दो दिनों तक किराएदार के परिजनों को नोटिस तामील कराने के लिए इधर से उधर घूमते रहे। जब पालिका के कर्मचारी किराएदार के वारिसान की तलाश कर रहे थे तभी यह बात लोगों को पता चली और उसी दिन से उक्त मामला चर्चा में आया। बताया जाता है कि बरसों पूर्व नगर पालिका ने पालिका के अधीन उक्त सम्पत्ति एक मुस्लिम परिवार को किराए पर दी थी लेकिन बाद में किराएदार की मृत्यु हो जाने के बाद उसके वारिसान ने नगरपालिका को किराया देना बंद कर दिया। अब पालिका प्रशासन को इस सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द किये जाने की जानकारी मिली है। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि पालिका प्रशासन ने अपनी बेशकीमती सम्पत्ति को अपने अधीन करने की कार्यवाही को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पालिका प्रशासन द्वारा नोटिस जारी कर तामील नहीं कराने का मामला संदेह के घेरे में आ गया है। इस मामले में सूत्रों का कहना है कि एक कपड़ा व्यापारी ने उक्त बेशकीमती जमीन को कौड़ियों के भाव अवैध तरीके से खरीद लिया है।
अधिकारी कहिन
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जब इस बारे में पालिका की अधिशाषी अधिकारी सीता वर्मा से बात की गई तो वे इस बारे में स्प्ष्ट जवाब नहीं दे पाई। उनका कहना है कि पालिका की यह सम्पत्ति किराएदार के वारिसान के कब्जे में चली आ रही है, उक्त सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा एकत्रित किया जा रहा है, उसके बाद ही कोई कार्यवाही सम्भव है। कुल मिलाकर दबाव, प्रभाव या मिलीभगत के चलते पालिका की यह बेशकीमती सम्पत्ति पालिका के हाथ से ना निकल जाए !

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