केकड़ी 27 फरवरी (पवन राठी)
राजस्थान पुलिस का श्लोगन है आमजन में विश्वास व अपराधियों में ख़ौफ ! लेकिन केकड़ी पुलिस की कार्यशैली पर न तो आमजन में विश्वास है और ना ही अपराधियों में कोई ख़ौफ। पिछले महीनों से शहर सहित आसपास अपराध बढ़ते जा रहे हैं, जिस पर पुलिस का कतई अंकुश नहीं है। हालांकि बरसों से पुलिस की यह शिकायत आम है कि उसके पास स्टाफ की कमी है इस वजह से वह अपने कर्तव्य का पूरी मुस्तैदी के साथ निर्वहन नहीं कर पा रही है। उल्लेखनीय है कि आपराधिक गतिविधियों को रोक पाने में अधिकांशतः केकड़ी पुलिस असफल रही है। कल-परसों की ही बात है कल दिन दहाड़े तीन लुटेरे यहां एक मकान में लूट को अंजाम देने के लिए पहुंच गए वो भी हाथ में पिस्तौल लिए। यह तो गनीमत रही कि घर में मौजूद महिलाओं ने हल्ला मचा दिया और पड़ोसी इकट्ठे हो गए जिससे लुटेरे भागने में सफल हो गए। वहीं परसों के दिन भी ऐसे ही एक ग्रामीण महिला जो कि बैंक से पैसे निकलवा कर बाजार में खरीददारी कर रही थी, अज्ञात उच्चक्के उसके बैग से 50 हजार रुपये निकाल कर ले गए। पुलिस की छानबीन में पाया गया कि इन दोनों वारदातों में अपराधी नव युवा थे। पुलिस ने दोनों वारदातों में हर बार की तरह आसपास लगे सीसी टीवी कैमरे खंगाले अभी तक पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला है। ऐसे ही लूट खसौट की वारदातें पहले भी गत महीनों घट चुकी है लेकिन एक भी केस में पुलिस को सफलता नहीं मिली है। शहर में अपराधिक गतिविधियां बढ़ती जा रही है लेकिन अपराधियों के नकेल डालने में पुलिस पूर्णतः नाकाम रही है। शहर व आसपास बाइक चोर गिरोह सक्रिय है आये दिन मोटरसाइकिल चोरी की वारदातें हो रही है। शहर में घरों में चोरी की वारदातें हो रही है। दिनदहाड़े हो रही लूट खसौट से आमजन अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है। शहर में अन्य किस्म की आपराधिक घटनाओं पर भी पुलिस का कोई अंकुश नहीं है। शहर में कई स्थानों पर नशीले पदार्थों का कारोबार मकड़जाल की तरह फैलता जा रहा है, युवा पीढ़ी नशे की लत से बर्बाद हो रही है। अफीम, गांजे व अन्य किस्म के नशीले प्रदार्थ बेचने वाले गली, मोहल्लों में खुलेआम अपना कारोबार कर रहे हैं, उन्हें पुलिस का जरा सा भी डर नहीं है। कई बस्तियों में तो परचून दुकानदार भी इस कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। इसी प्रकार शहर में बेरोकटोक सट्टा चल रहा है जिसमें युवा, मजदूर, व्यापारी व अन्य वर्ग के लोग अपना भाग्य चमकाने के चक्कर में बर्बाद हो रहे है। शहर के बीचों बीच एक टी स्टाल पर तो सरेआम सट्टे की खाईवाली चल रही है। शहर में क्रिकेट पर भी सट्टा सरेआम सैकड़ो लोगों का जीवन बर्बाद कर रहा है। इसी प्रकार अवैध बजरी का कारोबार पुलिस की कथित मिलीभगत से फलफूल रहा है, शहर में देर रात को और सुबह चार बजे से प्रातः 8-9 बजे तक बजरी से भरे ट्रेक्टर कॉलोनियों में दौड़ते देखे जा सकते हैं लेकिन उन पर पुलिस का कोई अंकुश नहीं है। यहां रोक के बावजूद बजरी का खेल सरेआम चल रहा है। शहर की यातायात व्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ाई हुई है, यातायात पुलिस की मौजूदगी का कोई मतलब ही नहीं। शहर में बेधड़क चल रही आपराधिक गतिविधियों से एकाएक लगने लगा है जैसे यहां पुलिस का कोई वजूद नहीं है जबकि पुलिस उपाधीक्षक व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जैसे जिम्मेदार पदों पर अधिकारी मौजूद हैं। शहर में बढ़ रही अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस की गैर मौजूदगी सबसे बड़ा कारण है, अगर पुलिस गश्त भी समय पर हो तो आपराधिक गतिविधियों पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है। पुलिस अधिकारी कोई छटे चौमासे ही गश्त पर दिखाई देते हैं। शहर में पुलिस की मौजूदगी का अहसास न तो आमजन को है और न ही अपराधियों को। कुल मिलाकर पुलिस की ढिलाई, अनदेखी, लापरवाही व मिलीभगत ही शहर में आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। शहर व क्षेत्र के लोगों के जानमाल की सुरक्षा व भयमुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान देने की सख्तआवश्यकता है।
जिससे कि “अपराधियों में डर -आमजन में विश्वास”का पुलिस विभाग का नारा सार्थक हो सके।