-बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शक्तियां मोदी को बदनाम करने में लगी हुई हैं
-राज्य सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए केंद्र पर लगा रही है आरोप-प्रत्यारोप
-केंद्र के साथ तालमेल से करे काम, तो जनता को मिले राहत
देवनानी ने गुरूवार को अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस महामारी से निपटने के लिए गंभीरता से प्रयास करने चाहिए, ऐसे समय में वह अपनी नाकामी को छिपाने के लिए आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए और हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। राज्य सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए गंभीरता से प्रयास ही नहीं किए।
16 सौ सिलेंडर रोज उत्पादित होते, हजारों लोगों की जान बचती
उन्होंने कहा कि राज्य को 4 आॅक्सीजन प्लांट लगाने के लिए केंद्र सरकार ने 201 करोड़ रूपए दिए, परंतु कोई काम नहीं किया। यदि यह प्लांट लग जाते तो 1600 सिलेंडर प्रतिदिन उत्पादित होते और हजारों लोगों की जान बच जाती। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल आॅक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के लिए उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। जहां 1 अगस्त, 2020 को 57 सौ मीट्रिक टन आॅक्सीजन का उत्पादन हो रहा था, वहीं 26 अप्रैल, 2021 को इसे बढ़ाकर 9 हजार 219 मीट्रिक टन और 30 अप्रैल को और बढ़ाकर 9 हजार 350 मीट्रिक टन प्रतिदिन कर दिया गया है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आॅक्सीजन का उपयोग मेडिकल में किया जा रहा है।
पूरी आॅक्सीजन नहीं ला पा रही है राज्य सरकार
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राजस्थान को 10 मई के अनुसार 473 मीट्रिक टन आॅक्सीजन आवंटित की है, जबकि राज्य सरकार केवल 210 मीट्रिक टन ही ला पा रही है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने रेल और वायुयान से बड़ी संख्या में आॅक्सीजन की सप्लाई राजस्थान को की। देश में आॅक्सीजन की आपूर्ति को शीघ्रता से सुनिश्चित करने के लिए रेलवे द्वारा 19 अप्रैल से आॅक्सीजन एक्सप्रेस चलाई जा रही है। वर्तमान में 15 आॅक्सीजन ट्रेन संचालित की जा रही है। केंद्र द्वारा 1 लाख 2 हजार 400 आॅक्सीजन सिलेंडर खरीदे जा चुके हैं और 1 लाख 27 हजार सिलेंडर खरीदने के आदेश हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त पीएम केयर से 1 लाख आॅक्सीजन कंसंट्रेटर भी खरीदे जा रहे हैं।
राजस्थान को मिले 16 नए आॅक्सीजन प्लांट
देवनानी ने कहा कि केंद्र सरकार पूरे देश में 581 आॅक्सीजन प्लांट पीएम केयर फंड से लगाए जा रहे हैं, जिसमें से राजस्थान में विभिन्न स्थानों पर 16 नए आॅक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे, जिनमें जयपुर में 6, कोटा में 2, सीकर में 1, लाडनूं-नागौर में 1, सोजत-पाली में 1, अजमेर में 1, नसीराबाद-अजमेर में 1, नाथद्वारा-राजसमंद में 1, बालोतरा-बाड़मेर में 1 और जोधपुर में 1 प्लांट शामिल है। प्रथम फेज के तहत राजस्थान में 5 प्लांट स्थापित किए जाएंगे, जिनमें कोटा में 2, सीकर में 1, जोधपुर में 1 व जयपुर में 1 शामिल है। इनका कार्य शीघ्र प्रारंभ होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त अजमेर और झालावाड़ में आॅक्सीजन जनरेटर प्लांट स्थापित करने की भी स्वीकृति प्रदान की गई है।
पीएसए के लिए भी कोई उचित कदम नहीं उठाए
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर फंड से डेडिकेटेड पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसोर्पशन) मेडिकल आॅक्सीजन उत्पादन प्लांट के लिए वित्तीय स्वीकृति पिछले वर्ष ही दे दी गई, परंतु राजस्थान द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाए गए। जयपुर के आरयूएचएस में 2500 एलपीएम, बीपीएम बीकानेर मेें 600 एलपीएम, एमडीएम जोधपुर में 3200 एलपीएम एवं अलवर मेडिकल काॅलेज में 600 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) क्षमता के आॅक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति के बाद भी राज्य सरकार ने कोई सुध नहीं ली अन्यथा 1600 से अधिक आॅक्सीजन सिलेंडर प्रतिदिन राजस्थान में उत्पादित किए जाते। उन्होंने कहा कि राजस्थान को लिक्विड आॅक्सीजन की पूर्ति के लिए केंद्र द्वारा नियत हिस्सा आवंटित भी किया गया, जिसमें इनोक्स एयर प्रोडक्ट्स को 65 मीट्रिक टन से 100 मीट्रिक टन कर दिया गया। साथ ही जामनगर के रिलायंस प्लांट से 37 मीट्रिक टन को 40 मीट्रिक टन तक बढ़ा दिया गया है। जामनगर से गुजरात ग्रीन काॅरिडोर बनपाकर भारतीय वायुसेना द्वारा एयर लिफ्ट करके लिक्विड आॅक्सीजन जोधपुर पहंुचाई जा रही है।
रेमडेसिविर का बढ़ाया जा रहा है उत्पादन
देवनानी ने कहा कि देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए पहले 10 प्लांट ही काम कर रहे थे, अब 55 प्लांट कार्य कर रहे हैं। प्रतिमाह 30 लाख वायल से बढ़ाकर 103 लाख वायल इंजेक्शन का उत्पादन होने लगा है। यानी 3 लाख वायल इंजेक्शन प्रतिदिन बन रहे है। उन्होंने कहा कि कोरोना की रोकथाम के लिए भारत में दोनों वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन बहुत प्रभावी है। केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक 16.33 करोड़ डोज निशुल्क उपलब्ध कराई गई है।
अधिकांश वेंटीलेटर डिब्बों में बंद
देवनानी ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री राहत कोष से 15 सौ वेंटीलेटर प्रदेश को अलाॅट किए हैं, लेकिन राजस्थान को अलाॅट वेंटीलेटर का प्रदेश सरकार उपयोग नहीं कर पाई है। एक वेंटीलेटर करीब 4 लाख रूपए कीमत में आता है, लेकिन अधिकांश वेंटीलेटर आज भी पेटीपैक हैं। यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में ब्यावर, केकड़ी, नसीराबाद आदि में अधिकांश वेंटीलेटर बंद डिब्बों में पड़े हैं। यह बहुत ही ज्यादा दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि एक तरफ कोरोना के गंभीर मरीजों को वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं और दूसरी ओर राज्य सरकार गंगापुर और भरतपुर में दो-दो हजार रूपए में वेंटीलेटर किराए पर दे रही है। राज्य सरकार का यह कृत्य बहुत ही घृणित व निंदनीय है।
फिर भी विदेशी वेंटीलेटर खरीदने की कोशिश
उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद ऐसी सूचना मिली है कि राज्य की कांग्रेस सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान व पीएम केयर को अनदेखा करने के लिए यूएस की हेमिलटन मेडिकल कंपनी के विदेशी वेंटीलेटर खरीदना चाह रही है। पीमए केयर फंड के अंतर्गत उपलब्ध कराए गए वेंटीलेटर केरल, गुजरात, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में सुचारू रूप से उपयोगिता में लिए जा रहे हैं, लेकिन राजस्थान में नाॅन आॅपरेशनल होने के पीछे प्रदेश की कांगे्रस सरकार की संकीर्ण मानसिकता प्रदर्शित होती है, क्योंकि इन वेंटीलेटर का उपयोग करने से मोदी की लोकप्रियता को बढ़ावा मिलेगा। प्रशासन द्वारा यह कहा जा रहा है कि इन स्वदेशी वेंटीलेटरों में आवश्यक उपकरणों का अभाव है, जबकि सत्यता यह है कि वेंटीलेटर बदलते समय उपयोग में आने वाला फ्लो सेंसर मात्र 300 रूपए में बाजार में उपलब्ध है।
प्लाज्मा दानदाता दे रहे हैं, सरकार लगाने के पैसे वसूल रही है
देवनानी ने कहा कि जरूरतमंद मरीजों को अनेक सहृदयी दानदाता प्लाज्मा दान कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार मरीज को प्लाज्मा चढ़ाने के लिए प्रति मरीज 1650 रूपए ले रही है। उनको यह बात समझ में नहीं आ रही है कि जब दानदाता प्लाज्मा दान कर रहे हैं, तो सरकार प्लाज्मा चढ़ाने के लिए इतनी बड़ी राशि मरीजों से क्यों वसूल रही है। इससे जाहिर होता है कि राज्य सरकार मरीजों का इलाज करने की बजाय उनसे अपना खजाना भरने में लगी हुई है।
गरीब कल्याण अन्न योजना फिर शुरू
उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को मई-जून के लिए पुनः शुरू किया गया है। केंद्र सरकार 26 हजार करोड़ रूपए से निशुल्क अन्न वितरण कर रही है, जिससे 80 करोड़ लोगों को 5 किलो निशुल्क अन्न उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान सहित सभी राज्यों को वर्ष 2021 के लिए राज्य आपदा कोष (एसडीआरएफ) के केंद्रीय हिस्से की पहली किश्त को निर्धारित करते हुए समय से पहले ही अग्रिम तौर पर जारी कर दिया गया है। इसके तहत राज्यों को 8873.6 करोड़ रूपए जारी किए गए हैं।
मेडिकोज व नर्सिंग छात्रों की ली जाएं सेवाएं
देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र को कोसने की बजाय अपनी प्रशासनिक और चिकित्सा व्यवस्था में तत्काल सुधार करे। इंटर्नशिप कर चुके मेडिकोज और नर्सिंग छात्रों की सेवाएं ली जाएं, ताकि सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में स्टाफ की कमी दूर की जा सके। यही नहीं, राज्य सरकार के नुमाइंदों और कांग्रेस के नेताओं को आरोप-प्रत्यारोप करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने की बजाय केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहिए, ताकि कोरोना महामारी से मिल-जुलकर निपटा जा सके।
भगवान भरोसे जी रही है जनता
उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए प्रभारी मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में जाने के लिए कहा है, लेकिन यह भी बहुत ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि अधिकांश प्रभारी मंत्री अपने जिले में नहीं गए हैं। ना ही प्रशासकीय व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया गया और ना ही जनता के दुख-दर्द के हाल जाने। अपने घरों में ही बैठे रहे। ऐसे में जनता भगवान भरोसे जी रही है।
ठेलेवालों व मजदूरों को 5-5 हजार रूपए दे सरकार
देवनानी ने कहा कि लाॅकडाउन के चलते ठेलेवाले और मजदूर घर बैठे हैं। लाॅकडाउन के कारण आय के साधन समाप्त हो गए हैं। उन्हें रोजी-रोटी के लाले पड़ रहे हैं। अन्य राज्य सरकारों की तरह यह दायित्व भी प्रदेश सरकार का है। ऐसे में राज्य सरकार को इनके खातों में 5-5 हजार रूपए प्रतिमाह डालने चाहिए, ताकि यह लोग परिवार का गुजारा कर सकें। राज्य सरकार यह जिम्मा केंद्र सरकार पर नहीं टाले।