कंसंट्रेटर के नाम पर मरीजों के लिए ’’मौत’’ खरीदने की हो निष्पक्ष जांच-देवनानी

-सांसदों व विधायकों ने अपने फंड, भामाशाहों व दानदाताओं ने खुले हाथ से किया था सहयोग
-भ्रष्ट चिकित्सा अफसरों ने कमीशन खाकर खरीदे घटिया आॅक्सीजन कंसंट्रेटर व चिकित्सा उपकरण
-जांच होने तक भ्रष्ट अफसरों को मौजूदा सीटों से हटाया जाए
-कांग्रेस के शासनकाल में भ्रष्टाचार का हब बन गया है राजस्थान

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 3 जुलाई। पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा है कि कांग्रेस के शासनकाल में राजस्थान भ्रष्टाचार का हब बन गया है। कोरोना मरीजों की जान बचाने की भावना से आॅक्सीजन कंसंट्रेटर व चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए सांसदों व विधायकों ने अपने-अपने फंड से तथा सैकड़ों भामाशाहों और दानदाताओं ने खुले हाथ से आर्थिक सहयोग किया। जबकि चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अफसरों ने इसमें भी कमीशन खाकर घटिया आॅक्सीजन कंसंट्रेटर व चिकित्सा उपकरण खरीद कर मानवता को कलंकित कर दिया है। इसलिए सरकार को तत्काल पूरे मामले की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
देवनानी ने शनिवार को जारी बयान में इस बात पर अफसोस जताया है कि जिन आॅक्सीजन कंसंट्रेटर की कीमत 25-30 हजार रूपए भी नहीं थी, वह 50 से 70 हजार रूपए में खरीदे गए। ताज्जुब की बात तो यह है कि यह आॅक्सीजन कंसंट्रेटर मरीजों को आॅक्सीजन देने लायक ही नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह कंडम आॅक्सीजन कंसंट्रेटर क्या सोचकर और क्यों खरीदे गए थे। इससे तो यही मतलब साफ नजर आता है कि अधिकारियों ने आपदा की आड़ में अपने घर भरने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि इस घोटाले और कमीशनखोरी के खेल से साफ जाहिर होता है कि पूरा चिकित्सा विभाग भ्रष्टाचार के हवाले है। सभी जिला मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। इन अधिकारियों ने आॅक्सीजन कंसंट्रेटर व चिकित्सा उपकरणों की खरीद करते समय यह भी नहीं सोचा कि यह उपकरण किसी मरीज को लगाने से हालत में सुधार होने की बजाय बिगड़ जाती तो क्या होता। इसका मतलब तो यही हुआ कि भ्रष्ट अधिकारियों ने लोगों की जिंदगी से सौदा किया और उन्हें मौत के हवाले करने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
देवनानी ने कहा कि यह कितनी हास्यास्पद बात है कि जिस फर्म के पास मेडिकल उपकरण सप्लाई करने का ना तो लाइसेंस था और ना ही अनुभव, उससे आॅक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के लिए सौदा किया गया। अधिकारियों ने खरीद करते समय यह भी नहीं देखा कि आॅक्सीजन कंसंट्रेटर किस कंपनी के हैं, कहां से आए हैं और वह कितने उपयोगी साबित होंगे। देवनानी ने कहा कि एक तरफ चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा आए दिन चिकित्सा व्यवस्थाएं मजबूत होने का दावा करते हैं, वहीं आॅक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद में हुए घोटाले ने इस दावे की असलियत सामने ला दी है। यही नहीं, शर्मा भ्रष्ट अधिकारियों की पैरवी करने में भी कभी पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इस पूरे घोटाले की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच नहीं करा लेती है, तब तक पूरे चिकित्सा विभाग में व्यापक स्तर पर फेरबदल करते हुए भ्रष्ट अफसरों को मौजूदा सीटों से हटाना चाहिए। वरना यह अधिकारी मामले में लीपापोती करने से बाज नहीं आएंगे।

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