श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ अंतर्गत परम पूज्य पंन्यास प्रवर विराग रत्न विजयजी महाराज आदि ठाणा का चातुर्मासिक धर्म आराधना हेतु मंगल प्रवेश विजय कला पूर्ण सूरि आराधना भवन, पुष्कर रोड़ में ढोल-ढमाकों के साथ ‘गुरूजी अमारो अंतरनाद – अमने आपो आशीर्वादÓ के जयकारों के साथ हुआ।
प्रवेश जुलूस अरिहंत कॉलोनी से प्रारम्भ हुआ एवं श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर में सामूहिक चैत्य वंदन कर आराधना भवन पहुँचा जहाँ श्राविकाओं ने सिर पर मंगल कलश धारण कर एवं चांवल की गंवली बनाकर मुनि भगवंतों की तीन प्रदिक्षणा देकर बहुमान भाव से स्वागत किया।
पंन्यास प्रवर ने मंगलाचरण किया, मुनि देवर्षि महाराज ने इन चार महिनों में धर्म आराधना कर पुण्र्याजन करने की सीख दी, मुनि गुरूवंदन विजयजी महाराज ने कहा मोक्ष प्राप्ति करने के एक मात्र उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये अपन ने क्या प्लानिंग की है पुरूषार्थ करनेकी आवश्यकता बतलाई।
अध्यक्ष डॉ. जयचंद बैद ने पंन्यास प्रवर का चातुर्मास स्वीकृति के लिये आभार प्रकट किया, प्रकाश चंद्र भंडारी ने सभी गुरू भगवंतों का परिचय सभा को दिया, प्रोफेसर डॉ. सुनीता सियाल ने स्वागत गीत गाया, प्रकाश चंद सोनी ने मुनि भगवंतों को कामली ओढ़ाई। बाहर गांव से पधारे हुए भक्तगण का बहुमान श्री सुरेशचंद खींवसरा एवं मंत्री रिखब चंद सचेती ने किया।
रिखबचंद सचेती
मंत्री