अजमेर, 7 अगस्त। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के अयोग्य कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। उनके अभी तक के कार्यकाल में हुए सभी निर्णयों, कार्यों और अनियमितताओं की जांच कराई जाए। विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति होने तक वांछित शैक्षिक योग्यता रखने वाले शिक्षाविद् या अन्य किसी विश्वविद्यालय के योग्य कुलपति को अतिरिक्त दायित्व दिया जाए।
यह मांग शनिवार को जयपुर में राजभवन में राज्यपाल व कुलाधिपति कलराज मिश्र से भाजपा नुमाइंदों के शिष्टमंडल ने की है। नुमाइंदों ने राज्यपाल को 12 सूत्री ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें थानवी की शैक्षिक योग्यता सहित कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति होने से लेकर अभी तक किए गए निर्णयों, कार्यों, अनियमितताओं और विश्वविद्यालय की दिनों-दिन लचर होती जा रही स्थिति का विस्तार से वर्णन किया गया है। पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी की अगुवाई में मिले शिष्टमंडल में सांसद भागीरथ चैधरी, विधायक रामस्वरूप लांबा, भाजपा के पूर्व देहात जिलाध्यक्ष प्रो+. बी.पी.सारस्वत, पूर्व राज्यसभा सांसद ओंकारसिंह लखावत आदि शामिल रहे।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद देवनानी ने कहा कि एमडीएस विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति थानवी इस पद के लिए अयोग्य हंै। उनकी कार्यप्रणाली तथा एकमात्र विचारधारा के आधार पर काम करने की प्रवृति ने न सिर्फ विश्वविद्यालय के कामकाज को बुरी तरफ से प्रभावित किया है, इसकी अकादमिक पहचान और अस्तित्व पर भी संकट खडा करने की पटकथा लिख दी है। उनका विश्वविद्यालय की शैक्षणिक एवं प्रबंध व्यवस्था की तरफ कोई ध्यान नहीं है। तीन-चार माह में वे एक बार यूनिवर्सिटी आते हैं, जिसके चलते विश्वविद्यालय का शैक्षणिक एवं प्रबंधन ढांचा चरमरा चुका है।
देवनानी ने कहा कि थानवी एक विशेष विचारधारा के शिक्षकों से मिलकर उन्हीं के निहितार्थ छिपे मंतव्यों को पूर्ण करने के लिए आमादा हंै। ऐसे असंवैधानिक एवं अनैतिक निर्णय कर रहे हंै, जो दशकों से इस विश्वविद्यालय के इतिहास में नहीं हुए। उन्होंने योग शिक्षकों को हटाने का प्रयास किया, जिसे राज्यपाल के व्यक्तिगत प्रयास से रोका गया। विश्वविद्यालय की स्थापना से ही स्थापना दिवस पर यज्ञ-हवन करने की परंपरा रही है, जिसे थानवी ने बंद करा दिया है। विद्या परिषद की बैठक में सदस्यों को अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता पर मौखिक पाबंदी लगा दी गई, जिसके चलते विश्वविद्यालय में भय का वातावरण व्याप्त है। निजी महाविद्यालयों की संबद्धता एवं छात्र संख्या अभिवृद्धि की पत्रावलियां लंबित पड़ी हैं, जिसके चलते छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय प्रबंध केन्द्र, जो केन्द्रीय एमएसएमई मंत्रालय के अधीन एक स्वयत्तशासी केन्द्र के रूप में संचालित है, को समाप्त करने एवं विश्वविद्यालय के एक विभाग में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। विश्वविद्यालय में शोधकार्य के लिए तीन साल पूर्व पंजीकृत शोधर्थियों की डीआरसी नहीं हो पा रही है। परीक्षा कार्य में विलंब होने से विश्वविद्यालय को करोड़ों रूपए का नुकसान होने की बात जगजाहिर है। परीक्षा नियंत्रक के लिए अनुभवी अधिकारी के स्थान पर एक अनुभवहीन शिक्षक को परीक्षा नियंत्रक का प्रभार दे दिया गया है।
देवनानी ने कहा कि पूरे विश्व में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का मान बढ़ाया है, लेकिन कुलपति थानवी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केन्द्र सरकार पर लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से अमर्यादित टिप्पणी करते नहीं थकते। कुलपति जैसे पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा ऐसे अशोभनीय और अमर्यादित टिप्प्पणी करना अशोभनीय है, जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की सख्त आवश्यकता है। देवनानी ने राज्यपाल से एमडीएसयू में अयोग्य कुलपति थानवी को तुरंत प्रभाव से हटाने और उनके स्थान पर योग्य स्थाई रूप से कुलपति लगाने की मांग की है।
