हिन्दुस्तान का विभाजन, मात्र भू भाग विभाजन नहीं

अजमेर 14 अगस्त – हिन्दुस्तान का विभाजन, मात्र भू भाग विभाजन नहीं अपितु संस्कृति, सभ्यता व अस्मिता का विभाजन था, आज अखंड भारत को स्मरण करने का संकल्प लेने का दिवस है। हिन्दुस्तान में अनेक क्षेत्रों में मनाया जा रहा है। विभाजन हिन्दुस्तान की दशा और दिशाओं के विपरीत था। जरा विभाजन के समय की एक घटना क्रम को आज स्वतंत्रता दिवस के पूर्व दिवस को स्मरण करते हैं। पाकिस्तान से तो युध्द कर अलग देश बंगलादेश 1971में बन गया। लाखों नागरिक इस अव्यवहारिक विभाजन के कारण कत्ले-आम के शिकार हो गये। करांची की जनसंख्या में उस समय 46प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या थी, फिर भी पाकिस्तान में रहा। विभाजन की त्रासदी से करोडों नागरिक उभर नहीं पाये। इसकी पीडा वही जानते हैं जो सब फलता फूलता छोड़ कर दूसरे दिन शरणार्थियों की भीड़ में असहाय हो गये। सर्वाधिक हिन्दू अपना घर,खेत दूकान, व्यवसाय सब छोड़ आये। कल्पना कीजिए करोडों लोग सब कुछ छोड़ कर पहनने के मात्र कपड़ों में आ गये आने वालों के लिये बनाये गये आधे अधूरे अस्थायी कैम्प में रहना पड़ा। सब पुरुषार्थ के धनी बने। नये तरीके से जीवन प्रारम्भ किया। शून्य से शिखर की ओर। कमाल की जीवटता व कर्मशीलता का परिचय दिया। पाकिस्तान में हमारी आदि शक्ति पीठ हिंगलाज रह गई। विश्व के व्यापार का प्रमुख केन्द्र नगरठठ्ठा पाक में रह गया।जिस सिंधु नदी के कलकल बहती धाराओं के किनारे वेदों की ऋचाएँ सबसे पहले उच्चारित हुई थी, वहाँ वेदों के अनुयायी अब नहीं हैं। साधुबेला, दरबार साहब हालाणी, खारौडा की देवल मां, गोरख टीला तीर्थ वहीं हैं। वरूणावतार झूलेलाल जी,संत कंवर राम जी का जन्म स्थान भी छोड़ कर आये। स्वतंत्रता सैनानी अमर शहीद राणा रतन सिंह जी, अमर शहीद हेमू कालाणी और रूपला कोली की जन्मभूमि भी हमारे पास नहीं है। विश्व को हिन्दुस्तान की सभ्यता की गवाह मुअनजोदड़ो भी वही छोड़ आना पड़ा, गुरू नानक देवजी का जन्म स्थान ननकाणा साहिब भी पाकिस्तान में रह गये। हिन्दुस्तान की स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु प्राण न्यौंछावर करने वालों की मातृ भूमि अब पाकिस्तान में है। स्वतंत्रता दिवस पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दी गई। उक्त विचार पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत ने सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक पर आयोजित सिन्ध स्मृति दिवस के उपलक्ष में स्थापित सिन्ध के स्तंब पर राष्ट्र रक्षा संकल्प सूत्र बाधकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम में हिंगलाज माता पूजा अर्चना, जगद्गुरू श्रीचन्द्र भगवान की अखण्ड धूणी का पूजन कर किया गया। महाराजा दाहरसेन की मूर्ति पर माल्यापर्ण व पुष्पांजलि कर श्रृद्धासुमन अर्पित किये गये। पूजन ताराचन्द राजपुरोहित ने करवाया।
इस अवसर पर पूर्व उप-महापौर सम्पत सांखला, समारोह समिति के कंवलप्रकाश किशनानी, विनीत लोहिया, प्रहलाद शर्मा, दीपक सिंह राठौड, प्रकाश जेठरा, भारतीय सिन्धु सभा के महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, किशन केवलाणी, मोहन तुलस्यिाणी, महेश मूलचंदाणी सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।

error: Content is protected !!