14 अगस्त को सिंध स्मृति दिवस पर समाज के बीच बोलते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेताए पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि सिंध केवल जमीन का टुकडा नहीं है बल्कि हमारी सनातन संस्कृति की पहचान है। सिंध के बिना हिंद की कल्पना अधूरी है। बिना सिंध के हिंद अधूरा है।
देवनानी ने कहा कि भारत विभाजन के वक्त सिंध को अखण्ड भारत से अलग कर दिया गया। अनेक कष्ट झेलते व संघर्ष करते वहां रहनेेवाले सिंधी परिवार पाक में अपनी चल.अचल सम्पतियों को छोडकर भारत आए। अपना सबकुछ सिंध में छोड कर आए सिंधी परिवारों ने अपने पुरूषार्थ के बल पर आज सभी क्षेत्रों में सफलता की बुलंदियों र्को छूआ है। यह सब हमारी समृद्ध संस्कृतिए संस्कारों तथा गौरवशाली इतिहास से मिली प्रेरणा से ही संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढी को महान सिंधी सभ्यता व संस्कृति का सदैव स्मरण रहे तथा इस पर उन्हें गर्व भी महसूस होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आजादी के समय सिंध प्रांत के अखण्ड भारत से अलग होने पर 14 अगस्त को सिंधी समृति दिवस मनया जाता है। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद तो हुआ परंतु उस समय हुआ देश का विभाजन राष्ट्रभक्तों के हृदय में आज भी कांटें की तरह चुभ रहा है। वह दिन भी जरूर आएगा जब सभी देशवासियों का अखण्ड भारत का संकल्प भी पूरा होगा। हमारे राष्ट्रगान में सिंध है वह सिंध हमारा अभिन्न अंग है जिसे हमसे कोई छीन नहीं सकता। हमें सिंधए सिंधु व हिन्दुस्तान में कोई विभाजन नहीं दिखता।
14 अगस्त को ष्विभाजन विभीषिका स्मृति दिवसष् के रूप में मनाना एक संवेदनशील निर्णय
विभाजन के कठिन समय में असंख्य परिवारों के संघर्ष और बलिदान की याद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 14 अगस्त को ष्विभाजन विभीषिका स्मृति दिवसष् के रूप में मनाने का निर्णय एक संवेदनशील निर्णय है। इस निर्णय से समाज में एकता एवं मानवीय सद्भाव को बल मिलेगा।
देवनानी ने कहा कि देश के विभाजन का घाव असहनीय है। अपनों को खोने के दुःख को लब्जों से प्रकट नहीं किया जा सकता है। 14 अगस्त को ष्विभाजन विभीषिका स्मृति दिवसष् के रूप में मनाने से समाज से न केवल भेदभाव व द्वेष की दुर्भावना खत्म होगी बल्कि शांतिए प्रेम एवं एकता को भी बल मिलेगा।
माता.पिताजी ने झेला त्रासदी का दंश
देवनानी ने बताया कि विभाजन की त्रासदी का दंश क्या होता है यह वही समझ सकता है जिसने या जिसके परिवार ने यह झेला हो। मेरे पिताजी व माताजी ने विभाजन की उस त्रासदी का दंश झेला। वे बताया करते थे कि विभाजन की रात पूरा सिंध जल रहा था। दृश्य ह्दय विदारक था। सिंधप्रांत में हिन्दूओं की आंखे के सामने उनकी घर खाक हुए। हजारों की संख्या के काफिले छोटे मोटे सामान को समेटे बच्चों को गोदी में उठाएए महिलाओं को बीच में रखे एवं बडे बूढों को संभालते हुए जैसे तैसे भारत पहुंचे। खचाखच भरी रेलगाडियों की छतों पर लोग बैठ पाकिस्तानी दरिंदों की गोलियों के शिकार होते बचते बचाते सुरक्षित भारत पहुंच सके जबकि अनेक बीच रास्ते में ही गोलियों के शिकार हो गए। उस दौरान परिवार के परिवार मौत के घाट उतार दिए गए। असंख्य महिलाओं का अपहरण कर लिया गया। अनेकों ने तो कुओं में छलांग लगाकर और खुद को आग के हवाले कर अपने सम्मान की रक्षा की।
पाक में हिन्दूओं पर हुए अत्याचार आज भी जारी है। पाकिस्तान सरकार की सह पर वहां रह रहे हिन्दूओं का जीना हराम हो रखा है। हिन्दू बहिन बेटियों के साथ अपहरणए बलात्कारए दुष्कर्म की घटनाएं लगातार घटित हो रही है। बहुसंख्यक समुदाय द्वारा हिन्दू मंदिरों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। मंदिरों को तोड जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप हिन्दूओं को पाक से मजबूरी में पलायन कर भारत आना पड रहा है।