श्रीराम काव्यपाठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रिया सांगवा प्रथम रही

अजमेर 10 सितम्बर। राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से आयोजित अजमेर जिला स्तर की श्रीराम काव्यपाठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर आदर्श विद्या निकेतन पुष्कर रोड की प्रिया सांगवा रही, द्वितीय सेट स्टीवंज स्कूल के अदम्य शर्मा व तृतीय पुष्कर की दीक्षा शर्मा रही। विजेता को क्रमशः 3100, 2100, व 1100 का नगद पुरस्कार प्रदान किया गया।
संस्था के जिला अध्यक्ष ललित कुमार शर्मा ने बताया कि यह प्रतियोगिता स्वामी कॉम्पलेक्स में गुरूवार को संपन्न हुई। लगभग 7 घंटे तक चले इस समारोह में सेमीफाईनल व फाईनल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। सेमीफाईनल में 34 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिनमें से फाईनल प्रतियोगिता के लिए 6 का चयन किया गया, इन 6 प्रतिभागियों की फाईनल प्रतियोगिता परिणाम के आधार पर शेष 3 प्रेरणा माहेश्वरी, मदुला वैद्य, मुकेश आर्य को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। इनके अतिरिक्त प्रोत्साहन पुरस्कार कु. भूमिका शर्मा, कु. मान्यता भार्गव, कु. आशिमा बस,ु मानमल लोंढ़ा, शक्ति सिंह, ओे.पी. शर्मा, कु. सुहानी अग्रवाल, मास्टर भव्यार्थ सिंह चौहान, वेदार्थ सिंह चौहान, किशनगढ़ की आस्था कंवर को प्रदान किया गया। प्रत्येक को 251 रुपये व प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। 1 से 31 अगस्त तक आयोजित की गई क्वार्टर फाईनल प्रतियोगिता में माहेश्वरी पब्लिक स्कूल, सोफिया, अविनाश माहेश्वरी स्कूल, सप्तक संस्था सहित अन्य 325 प्रतिभागियों ने भाग लिया था।
मुख्य अतिथि पुष्कर स्थित शांतानंद उदासीन आश्रम के महंत हनुमान राम सांई ने विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम की महिमा अपरमपार है, मर्यादा पुरूषोंतम राम की महिमा, उदारता, शील एवं सौदर्य का वर्णन करने वाली रचनाओं की प्रस्तुति देकर प्रतिभागियों ने श्रीराम की साक्षात भक्ति की है। भगवान श्रीराम इन पर विशेष कृपा बरसायंेगे। उन्होंने इस प्रतियोगिता के लिए संस्था के पदाधिकारियों की सराहना की संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम सिर्फ प्रतियोगिता नहीं एक सत्संग सा था जिसका सभी दर्शकों ने भक्तिवत् आनंद लिया।
प्रारंभ में संस्था के उपाध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने सभी का स्वागत करते हुए संस्था व प्रतियोगिता की जानकारी दी। संस्था के अध्यक्ष ललित कुमार शर्मा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महाकवि चन्द्रवरदाई की नगरी में काव्य पाठ के माध्यम से नये उत्साह का संचार हुआ है, भगवान श्रीराम के इस महायज्ञ में अजमेर शहर, केकड़ी, मसूदा, जेठाना, नसीराबाद, ब्यावर, भिनाय, पुष्कर, सरवाड़, सांवर आदि के प्रतिभागियों ने जो उत्साह पूर्वक भाग लिया वह सराहनीय है।
प्रतियोगिता के निर्णायक डॉ. पूनम पांडे, डॉ. विनिता अंशित जैन, विनिता बाडमेरा, गोविन्द भारद्वाज, डॉ के.के.शर्मा, गंगाधर शर्मा, प्रदीप गुप्ता, राजेश कुमार भटनागर व रामावतार यादव रहे।
समारोह संयोजक लव गोयल, हिम्मत सिंह चौहान, लक्ष्मी नारायण सोनगरा, डॉ. रजनीश चारन थे। प्रतियोगिता के समन्वयक उमेश चौरासिया, गौरांग किशनानी, विष्णु अवतार भार्गव, शशि प्रकाश इंदौरियां, महेन्द्र कुमार तीर्थानी, मोहन तुलसयानी थे। कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र भारद्वाज ने किया।
प्रतियोगिता में दीक्षा मंगलानी ने डॉ. समीर शुक्ल की रचना ‘‘राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं..’’, मदुरा वैद्य ने कुमार विश्वास की रचना ‘‘मानवता की खुली आँख के सबसे सुंदर सपने राम…’’, आदित्य पांडे ने हरिओम की रचना राम मिलेगे, मर्यादा से जीने मे…’’, श्वेता गर्ग ने राघव शुक्ल की रचना ‘‘राम ही महान, राम ही रोम-रोम है…’’, अदम्य शर्मा ने सूर्यकांत निराला की रचना ‘‘शक्ति पूजन के अंश होगी जय जय तुम्हारी राम…’’, छवि अग्रवाल ने डॉ. सुनील जोगी की रचना ’’राम गंगाजल है, अंगारा नही…’’, प्रियांसु राज भोगावत ने ‘‘राम नाम रस पिले प्यारे…’’, श्री मुकेश कुमार आर्य ने गजेन्द्र की रचना ’’मुझ में मेरा राम अटल था…’’, उषा गुप्ता ने अमर अक्षर की रचना, ’’राम नाम प्रेरणा, भाव सिर्फ राम है…’’, नीलम मिश्रा ने अमर अक्षर की रचना ‘‘राम एक सत्य है, प्रमाण उसका जानकी…’’, अक्षत जैमन ने पं. नरेन्द्र शर्मा की रचना राम का गुणगान कीजिए…’’, दीक्षा शर्मा ने महर्षि व्यास की रामाष्टकम…’’, प्रिया सांगवा ने अमर अक्षरा की रचना ‘‘भाव सूचियां बहुत है, भाव सिर्फ राम है…’’, प्रेरणा माहेश्वरी ने ‘‘राम हमारी ऊर्जा है, राम हमारे आदर्शता के आधार है…’’, दीपशिखा क्षेत्रपाल ने राघव शुक्ला की रचना ‘‘राम ही ओमकार, राम भक्ति सूत्रधाम…’’, प्राजक्ता वैद्य ने अमर अक्षर की रचना ‘‘राम वन गए थे, राम की तलाश में…’’,मोहित कुमार ने ‘‘मर्यादित राम, कब मांगा राजपाठ, कब मांगा ठाट-बाट…’’, हिसामुद्दीन खान ने संदीप कुमार की रचना ‘‘मानवता का पाठ पढ़ाने, पुरूषोतम अवतार लिया…’’, पूजा सांखला ने गंगाधर जी शर्मा की रचना ‘‘राम सुग्रीव मित्रता व बाली वध…’’ को काव्य पाठ द्वारा प्रस्तुत किया, आयशा विजय ने अमर अक्षर की रचना ‘‘परीक्षा थी रघुनंदन की…’’, कैलाशचन्द्र शर्मा ने ‘‘राम लला का ध्यान करो, मंदिर का निर्माण करा…’’, तृप्त शर्मा ने अमर अक्षर की रचना ’’भाव सूचियां बहुत है, भाव सिर्फ राम है…’’, प्रसुन गुप्ता ने मैं रघुनंदन हूँ, मर्यादा पुरूषोतम हूँ…’’, भगवान प्रसाद शर्मा ने गंगाधर शर्मा की रचना ’’सुकंठ है सखा वही, दया निधान ने कहा…’’, प्रीति पाठक ने डॉ. कीर्ति की रचना ‘‘जय-जय बोलो श्रीराम की…’’, लोकेन्द्र दत्त मिश्र ने मैथेलीशरण गुप्त की रचना ‘‘आर्य चरण की सेवा में, मुझको भी समझो सहभागी…’’, अंशिता शर्मा ने लोकेश इंदौरा की रचना ‘‘जो मर्यादा मन में पाले…’’, रविन्द्र कुमार जैन ने कन्हैयालाल मधुकर की रचना ‘‘सुंदर श्यामल रूप सुहाना…’’, डॉ. निलिमा तिग्गा ने रोम-रोम में राम…’’, प्रांजल हाडा ने ’’यह रामायण है, कथा श्रीराम की…’’शतविभा पाराशर ने राघव शुक्ल द्वारा रचित ‘‘नमामि रामेश्वरम…’’ सुरेशचंद गोडेश्वर ने ‘‘राम राज्य होगा भारत में, विश्व गुरू बन जाऐगे…’’ राजीव सक्सेना ने कमलेश शर्मा की रचना ‘‘राम हुए हैं कितने और प्रमाण दंे…’’ विवेक कुमार पारीक ने ‘‘जो राम नहीं, वह किसी काम का नही…’’ काव्य पाठ की प्रस्तुतियां दी।

कंवल प्रकाश किशनानी
मो. 9829070059

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