प्रदेश में मुस्लिम तुष्टीकरण का ‘खेला’-देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 23 नवम्बर।
भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि प्रदेश में पिछले तीन साल से मुस्लिम तुष्टीकरण का ‘खेला’ जोरों पर है। संतुष्टिकरण की बजाए मुस्लिम तुष्टीकरण चरम पर है। गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक विद्यार्थियों का जिक्र तक न करना और केवल मुस्लिम विद्यार्थियों की संख्या विद्यालयों में 15 फीसदी तक बढाने के निर्देश देना मुस्लिम तुष्टीकरण की पुख्ता बानगी दर्शा रही है।
देवनानी ने कहा कि प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा विद्यालयों में अल्पसंख्यक वर्ग में मुस्लिम विद्यार्थियों का नामांकन बढाकर 15 फीसदी तक करने के निर्देश देना साफ-साफ सरकार के नापाक मनसुबों को दर्शाता है। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम बच्चों की चिंता करना लाजमी है परंतु अल्पसंख्यक के नाम पर केवल उनकी ही चिंता करना निश्चित ही कांग्रेस सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खडा करती है। जैन, सिख, बौद्ध, पारसी एवं ईसाई भी अल्पसंख्यक वर्ग का अभिन्न अंक है। इन वर्गों के विद्यार्थियों की भी संख्या विद्यालयों में पहले से बढनी चाहिए जिसकी चिंता सरकार द्वारा मुस्लिमों के साथ-साथ होनी ही चाहिए थी लेकिन पता नहीं क्यों प्रदेश सरकार और सरकार में बैठे नेताओं का मन ज्यादा मुस्लिमों पर आ रहा है। इससे तो यही जाहिर हो रहा है कि कांग्रेस की नजर में अल्पसंख्यक केवल और केवल मुस्लिम ही है जैन, सिख, बौद्ध, पारसी एवं ईसाई उनकी अल्पसंख्यक सूची से बाहर है।
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस का पिछले 75 सालों से तुष्टीकरण का इतिहास रहा है। वह वोट बैंक की राजनीति के चलते मुस्लिम तुष्टीकरण को अंजाम देते रही है जिसके परिणामस्वरूप महज सात दशकों में भारत को एक लाचार और कमजोर देश के रूप में ला खडा कर दिया है। तुष्टीकरण इस कदर चरम पर की गई की कि शिक्षा जैसे पवित्र कार्य में भी जमकर तुष्टीकरण की गई। यह सिलसिला आज भी जारी है उदाहरण प्रदेश का ही ले लीजिए। पिछले दिनों राजस्थान विश्वविद्यालय से संबंद्धित राजस्थान महाविद्यालय में नमाज पढने का कांग्रेसी विधायक एवं कांग्रेस विचार समर्थित विद्यार्थी संगठन एनएसयूआई ने खुलकर समर्थन किया गया। एक तरफ थानों में मंदिर निर्माण नहीं करने की बात करना और दूसरी ओर राजकीय महाविद्यालयों में नमाज अदा करने का समर्थन करना ये सब तुष्टीकरण का उदाहरण है। इसके बाद अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के नाम पर केवल मुस्लिम विद्यार्थियों का जिक्र और फिक्र करना निश्चित ही कांग्रेस की चाल और दोहरे चरित्र की ओर इशारा करती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को एक वर्ग विशेष का मोह छोडकर जैन, सिख, बौद्ध, पारसी एवं ईसाई आदि की दिशा और दशा सुधारने की तरफ भी विशेष ध्यान केन्द्रीत करना चाहिए। अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा अनेकों योजनाओं के माध्यम से उनका शैक्षणिक, आर्थिक व सामाजिक सशक्तिकरण बिना तुष्टीकरण करने की आवश्यकता है। कांग्रेस द्वारा प्रदेश में मुस्लिम तुष्टीकरण का खेला बंद करने में ही सार है नहीं तो आगामी विधानसभा चुनावों में इसका परिणाम भुगतना तय है।

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