विश्व हिन्दी दिवस से आभासी पटल पर शुरू मेले में जुटे देशभर के साहित्यकार
विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी से कला एवं साहित्य के समर्पित संस्था ‘नाट्यवृृंद‘ द्वारा एक बार फिर अनूठा प्रयोग करते हुए पाँच दिवसीय ‘राष्ट्रीय पुस्तक मेला‘ का आयोजन आभासी पटल पर आरंभ किया गया है। संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने बताया कि इस पुस्तक मेले में देशभर के साहित्यकार उनके द्वारा पढ़ी गयी उत्कृष्ट कृतियों पर समीक्षात्मक टिप्पणी मय पुस्तक की जानकारी के पोस्ट कर रहे हैं। इससे पटल पर जुड़े अन्य सात्यिकारों व पाठकों को अच्छी साहित्यिक पुस्तकों की जानकारी मिलेगी और पुस्तक पढ़ने की ओर रूचि में अभिवृद्धि होगी।
आरंभ के दो दिनों में छह कृतियों पर सार्थक चर्चा हुई। गंगाधर शर्मा ने मनोजकुमार ‘मैकश‘ के काव्य संग्रह ‘उफ़क‘ की विविध कविताओं का उल्लेख करते हुए उनके काव्यशिल्प के बारे में बताया। बाल साहित्यकार राजकुमार ‘राजन‘ ने सुरेश कुशवाह ‘तन्मय‘ रचित बालकविता संग्रह ‘बचपन रसगुल्लों का दोना‘ की जानकारी देते हुए बताया कि संग्रह में पर्यावरण, स्वच्छता, परिवार, कर्त्तव्य, राष्ट्रीयता आदि मूल्यों को स्थापि करने वाल रोचक रचनाएं हैं। कालिन्द नन्दिनी शर्मा ने प्रसिद्ध लेखिका प्रभा खेतान के आत्मकथात्मक उपन्यास ‘अन्या से अनन्या‘ की समीक्षा में कहा कि प्रभाजी ने बचपन के तिरस्कार से उबरते हुए प्रतिष्ठा प्राप्ति तक की कथा का ईमानदारी और बेबाकी से दर्शाया है। देवदत्त शर्मा ने लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत द्वारा संपादित प्रसिद्ध राजस्थानी कृति ‘बगड़ावत देवनारायण महागाथा‘ को पटल पर रखते हुए बताया कि यह गुर्जर जाति के आराध्ण्य देव देवनारायण और उनके चौबीस भाई जिन्हें बगड़ावत कहा जाता है की अनोखी गाथा है। आरजे रेखा भाटिया ने महेन्द्र मोदी लिखित ‘रेडियो नामा-स्वप्न चुभे शूल से‘ में वर्णित रेडियो की दुनिया में आने वाली विविध परिस्थितियों के विषय में रोचकता से बताया। अमन अदम्य ने भीष्म साहनी कृत ‘मेरी प्रिय कहानियाँ‘‘ की संवेदनशील कहानियों चीफ की दावत, समाधि भाई रामसिंह, माता विमाता, साग मीट आदि की विस्तार से जानकारी दी। यह पुस्तक मेला अभी 14 जनवरी मकर सक्रांति तक चलेगा।
-उमेश कुमार चौरसिया
संपर्क-9829482601