अस्थाई पेसमेकर की मदद से प्रसूता का हुआ प्रसव, जच्चा-बच्चा स्वस्थ

प्रसूति एवं स्त्री रोग विषेषज्ञ डॉ सुमति माथुर ने वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता व नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम के सहयोग से किया ऑपरेषन
अजमेर, 13 जनवरी( )। नागौर जिले के मकराना तहसील से आपातकालीन स्थिति में अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पहुंची प्रसूता का अस्थाई पेसमेकर की मदद से प्रसव कराया गया। ऑपरेशन के बाद जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है। मित्तल हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विषेषज्ञ डॉ सुमति माथुर ने वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता, नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेष गौतम, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ राजीव पाण्डे व टीम के सहयोग से यह जटिल ऑपरेषन किया। प्रसूता के यह तीसरा सिजेरियन था उसकी दिल की धड़कन कम थी और ऑक्सीजन स्तर गिर रहा था, उसकी जान का बड़ा जोखिम बना हुआ था।
मित्तल हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विषेषज्ञ डॉ सुमति माथुर ने बताया कि एक महिला जो पूर्णकालिक गर्भावस्था में थी नागौर जिले के मकराना स्थित एक हॉस्पिटल से रेफर होकर उनके पास पहुंची थी। मकराना स्थित हॉस्पिटल में महिला का प्रसव कराए जाने की तैयारी कर ली गई थी, तभी उसे एनेस्थीसिया देने से पूर्व जांचने पर उसके दिल की धड़कन काफी कम प्रतीत हो रही थी। ऑक्सीजन का स्तर भी लगातार गिर रहा था। लिहाजा महिला का प्रसव कराए बिना ही उसे अजमेर रेफर किया गया। यहां ईसीजी आदि जांच में पाया गया कि प्रसूता के एडवांस हार्ट ब्लॉक है। दिल की धड़कन 40 से भी कम स्तर पर चल रही थी। ऐसे में उसका ऑपरेषन से प्रसव कराना अत्यन्त ही जोखिम पूर्ण हो सकता था।
वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता ने बताया कि सामान्यतौर पर दिल एक मिनट में 72 बार धड़कता है। प्रसूता के दिल की धड़कन 35-40 के बीच होने की आपात स्थिति और गंभीरता को देखते हुए उसके अस्थाई पेसमेकर लगाने का निर्णय किया गया। इसके लिए उसके पैर की नस से हार्ट में तार डाला गया । जिससे प्रसूता की दिल की धड़कन सामान्य हो गई और उसका सिजेरियन प्रसव करा दिया गया।
दुर्लभ होते हैं ऐसे मामले…………..
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता ने बताया कि ऐसे मामले बहुत दुर्लभ ही होते हैं, यह बहुत असामान्य बीमारी है। ऐसे मरीजों में दिल की धड़कन बनाने वाला बिन्दु कभी -कभी काम नहीं कर पाता है, ऐसे मरीजों की दिल की धड़कन अस्थाई पेसमेकर के जरिए बढ़ाई जाती है। उन्होंने बताया कि दिल की धड़कन कम होने की वजह से मरीज का ब्लड प्रेषर कम होने लगता है, मरीज बेहोष हो सकता है, कभी- कभी अचानक मृत्यु होने का जोखिम भी रहता है।
प्रसूति एवं स्त्री रोग विषेषज्ञ डॉ सुमति माथुर ने बताया कि यह ऑपरेषन बहुत ही जटिल था। रोगी के यह तीसरा सिजेरियन बच्चा होना था, इससे पहले के दो ऑपरेषन भी उन्ही ने किए थे तब कोई समस्या नहीं थी। इस बार असामान्य रूप से दिल की धड़कन कम होने के कारण इस ऑपरेषन में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल गुप्ता, नवजात षिषुओं के विषेषज्ञ (नियोनेटोलॉजिस्ट) डॉ रोमेष गौतम व एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ राजीव पाण्डे एवं स्टाफ का काफी सहयोग रहा। उन्होंने बताया कि महिला को पोस्ट ऑपरेषन विषेष सतर्कता रखने की सलाह दी गई है।
निदेषक डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एक ही छत के नीचे नवजात षिषु से संबंधित नियोनेटोलॉजिस्ट सहित सभी तरह की हार्ट, न्यूरो, यूरो, ओंको, नेफ्रो, गैस्ट्रो आदि सुपरस्पेषियलिटी चिकित्सा सुविधाएं, दक्ष व अनुभवी चिकित्सकों व स्टाफ की टीम भावना एवं अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित ऑपरेषन थियेटर की उपलब्धता के कारण गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों को पूरी षिद्दत से संभाला जाता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोरोना के तीसरी लहर ऑमिक्रोन के कम्यूनिटी स्प्रेड के दौर में मित्तल हॉस्पिटल पहुंचने वाले रोगियों की पूरी टीम भावना से संभाल की जा रही है। इस दौरान कोविड नियमों का पालन मरीज और परिवाजन के लिए पूर्ण रूप से अनिवार्य है।
ज्ञातव्य है कि मित्तल हॉस्पिटल केंद्र, राज्य सरकार (आरजीएचएस) व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंषनर्स, भूतपूर्व सैनिकों (ईसीएचएस), ईएसआईसी द्वारा बीमित कर्मचारियों एवं सभी टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है।

error: Content is protected !!