सीवरेज कार्य की कछुआ चाल से पूरा शहर है परेशान-देवनानी

नई सड़कें बन गई हैं, वहां भी अब सीवरेज लाइनें डालने के लिए फिर से सड़कें खोदी जा रही हैं
-नई बनी सड़कों को खोदने से जनता व सरकार के धन की हो रही है बर्बादी
-क्षतिग्रस्त सड़कों पर पड़े हुए गहरे गड्ढे, आए दिन हो रही हैं दुर्घटनाएं
-विभिन्न इलाकों के नागरिकों ने देवनानी को सुनाई पीड़ा, देवनानी ने जिला कलेक्टर को लिखा पत्र

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 20 फरवरी। सीवरेज कार्य की कछुआ चाल से पूरा शहर परेशान है। कभी सीवरेज, तो कभी अन्य पाइप लाइनें डालने के लिए सड़कें खोद दी जाती हैं। जगह-जगह सीवरेज लाइन डालने के लिए सड़कें खोद दी गई हैं। जिन क्षेत्रों में नई सड़कें बन गई हैं, वहां भी अब सीवरेज लाइनें डालने के लिए फिर से सड़कें खोदी जा रही हैं। सरकारी विभागों में तालमेल का पूरी तरह अभाव बना हुआ है। सड़कें खोद देने से जगह-जगह गड्ढे पडे़ हुए हैं, जिससे आए दिन लोग दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं।
पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी के सामने सड़कों की आए दिन विभिन्न स्थानों पर हो रही खुदाई से परेशान अनेक क्षेत्रों के लोगों ने अपनी पीड़ा बताई। नागरिकों का कहना है कि सरकारी विभागों में तालमेल के अभाव का खामियाजा जनता भुगत रही है, साथ ही सरकारी धन की बर्बादी भी हो रही है। काफी प्रयासों के बाद विधायक कोष व अन्य मदों से सड़कें बनती हैं, तो लोग राहत की सांस लेते हैं, लेकिन उनकी यह राहत कुछ दिन ही बनी रह पाती है। पता चलता है कि सड़क बने हुए एक माह भी नहीं बीतता है, फिर से वही सड़क खोद दी जाती है।
देवनानी ने मिली शिकायत के आधार पर जिला कलेक्टर को लिखे पत्र में नागरिकों की पीड़ा का बखूबी उठाया है। उन्होंने कहा कि पूरा शहर इन दिनों गड्ढों में तब्दील हो गया है। उन्हें यह बात आज तक समझ में नहीं आई है कि कुछ दिन पहले बनी सड़क को खोदने की क्या जरूरत होती है। यदि वहां सीवरेज लाइन, पाइप लाइन या अन्य कोई लाइन डाली जानी थी, तो सरकारी विभागों में तालमेल क्यों नहीं रहा। सड़कें बनने से पहले ही लाइनें क्यों नहीं डाली जाती हैं। यदि सड़कें बनने से पहले ही सभी प्रकार की लाइनें डाल दी जाएं, तो कुछ समय बाद ही सड़कों को फिर खोदने की नौबत ही नहीं आए।
देवनानी ने कहा कि अब शहर में जहां भी जरूरत हो, वहां नई सड़कें बनने से पहले सीवरेज का काम तेजी से पूरा कराया जाए। कहीं ऐसा ना हो कि सड़कें बन जाएं और सीवरेज लाइनें बाद में डाली जाएं। यदि ऐसा होता है, तो सरकार के लाखों रूपए बेकार चले जाते हैं और सड़कें बनने के बाद वापस खुदने से जनता को भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि सीवरेज लाइनें डालने और सड़कें बनाने वाली सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल नहीं है। यदि एजेंसियों में पहले ही तालमेल हो जाए, तो जनता व सरकार के धन की बर्बादी रोकी जा सकती है।
देवनानी ने कहा कि डेªनेज सिस्टम चरमराया हुआ है। नालियों और नालों का पानी उफन कर कई बार सड़कों पर आ जाता है। अनेक जगह सीवरेज के मेनहाॅलों से भी गंदा पानी सड़क पर बहने लगता है। इससे सड़कें जल्दी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और फिर लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सड़कें फिर से ठीक कराने में काफी समय लग जाता है और तब तक जनता परेशान होती रहती है।
देवनानी ने कहा, सबसे परेशानी की बात तो यह है कि सड़कें खोदने और लाइनें डालने के बाद कई-कई महीनों तक फिर से सड़कों की मरम्मत नहीं की जाती है। सड़कों की खुदाई करते समय भी यह पानी की पाइप लाइनों व अन्य लाइनों का ध्यान नहीं रखा जाता है, जिससे जहां पाइप लाइनें टूटने से पेयजल सप्लाई में बाधा उत्पन्न होती है, वहीं हजारों गैलन पानी व्यर्थ बह जाता है।

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