देवनानी ने जारी बयान में सुंदर विलास स्थित बालिका स्कूल भवन नीलाम होने और रामनगर स्थित पुरानी स्कूल के भवन को ढहाए जाने पर कड़ी पीड़ा व प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अव्वल तो जब सरकार ने सुंदर विलास स्थित राजकीय माॅडल बालिका स्कूल के निजी भवन को अधिग्रहित किया था, तो भवन मालिक को वाजिब मुआवजा देना चाहिए था। वाजिब मुआवजा नहीं मिलने के कारण भवन मालिक ने अदालत की शरण ली। अदालत ने भवन मालिक के पक्ष में फैसला देते हुए जो मुआवजा तय किया था, वह भी सरकार नहीं दे सकी। यही नहीं, सरकार निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में गई, लेकिन वहां भी अपना पक्ष ढंग से नहीं रख सकी।
देवनानी ने कहा कि अदालत ने वर्ष 2016 में 2 करोड़ 93 लाख 78 हजार 233 रूपए की डिक्री जारी की थी। सरकार चाहती तो अपने खिलाफ फैसला होने के बाद भी भवन मालिक को यह राशि देकर स्कूल भवन को बचा सकती थी। लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारी सोते रहे। नतीजतन, यह भवन अदालती प्रक्रिया के तहत नीलाम हो गया और इस स्कूल में पढ़ रही करीब चार सौ बालिकाओं की आगे शिक्षा को लेकर संकट खड़ा हो गया। इस स्कूल में ब्रह्मपुरी, हाथी बाटा, सुंदर विलास, नया बाजार, गंज, काला बाग, नगीना बाग सहित आसपास के क्षेत्रों की बालिकाएं अध्ययन करती थीं।
देवनानी ने कहा कि सरकार को राजकीय माॅडल बालिका स्कूल में पढ़ने वाली बालिकाओं का भविष्य बचाने के लिए या तो नजदीक ही कोई भवन किराए पर लेकर स्कूल संचालित करने की व्यवस्था करनी चाहिए या उन्हें नजदीकी किसी बालिका स्कूल में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करनी चाहिए।
देवनानी ने कहा कि राजकीय माॅडल बालिका स्कूल जैसा ही मामला राम नगर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का है। यह स्कूल भी किराए के भवन में चल रहा था। इसके भवन को ढहाए जाने के समय तक स्कूल का कुछ सामान इस भवन में था। स्कूल से सामान कब निकाल दिया गया और कब इसके भवन को ढहा दिया गया, इसकी शिक्षा अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। इससे जाहिर होता है कि इस स्कूल भवन के मामले में भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रही है।
देवनानी ने कहा कि भवन ढहाने से पहले ना तो सभी संबंधित विभागों को कोई सूचना दी गई और ना ही सुरक्षा व्यवस्था की गई। बिना सोचे-समझे भवन ढहा दिया गया, जिससे बिजली के तार टूटने से इस क्षेत्र में बिजली सप्लाई कई घंटे तक ठप रही। इससे हजारों परिवार गर्मी में काफी परेशान हुए। भवन ढहाने से जहां रेत के गुबार से लोग परेशान रहे, वहीं बुलडोजर चलने और किसी अनहोनी की आशंका से भयभीत रहे। लापरवाही में बिजली की हाइटेंशन लाइन भी गिरा दी गई, जिससे भारी हादसा भी हो सकता था। इसलिए जिला प्रशासन को बिना सूचना दिए भवन ढहाए जाने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए।
देवनानी ने कहा, सवाल यह उठता है कि इन दोनों ही मामलों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सरकार को समय≤ पर अवगत क्यों नहीं कराया। उन्होंने सरकार से इन दोनों मामलों में लापरवाही बरतने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है।