पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वैष्विक पर्यावरण संरक्षण एवं हमारा योगदान विषय पर सेंट मैरिज कॉन्वेट स्कूल में परिचर्चा का रखा आयोजन
आज दिनांक 06 जून – विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत सर्वधर्म मैत्री संघ अजमेर द्वारा आज सोमवार 6 जून को सेंट मेरिज कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में परिचर्चा का आयोजन रखा गया जिसका विषय ‘‘वैश्विक पर्यावरण संरक्षण एवं हमारा योगदान’’ रखा गया।
सर्व धर्म मैत्री संघ के अध्यक्ष प्रकाश जैन ने परिचर्चा प्रारंभ करते हुए पर्यावरण के विभिन्न घटकों का माननीय जीवन से संबंध एवं उनके अस्तित्व का हमारे अस्तित्व पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला। परिचर्चा के मुख्य वक्ता डॉ एस.आई पटौदी द्वारा विश्व पर्यावरण चेतना के प्रति मानवीय संवेदनाओं को जागरूक करने के लिए हमें जिन प्रोजेक्ट पर कार्य करना चाहिए इस संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि प्रत्येक संस्था, विद्यालय, संगठन सरकारी एवं निजी उपक्रमों को अपने आसपास खाली पड़ी जमीन, पहाड़ी जमीन, बंजर या बेकार जमीन को चिन्हित करते हुए स्वेच्छा से वृक्षारोपण करना चाहिए तथा लगाए जा रहे पौधों की सुरक्षा व जल आपूर्ति का ध्यान स्वप्रेरणा से रखना चाहिए। चूंकि वृक्ष जीवन पर्यंत हमें प्राणवायु, भोजन, औषधि आदि तो प्रदान करते ही हैं साथ ही अंत्येष्टि के समय भी लकड़ियों की व्यवस्था करते हैं। अतः मनुष्य के सबसे सच्चे और सबसे पहले मित्र वृक्ष है।
चर्चा के वरिष्ठ वक्ता श्री जगजीत सिंह जी सोखी ने एयर कंडीशन के उपयोग को सीमित मात्रा में करने की सलाह दी तथा किस प्रकार से हमारे ओजोन मंडल में छेद हो रहे हैं उस चिंता की ओर सबका ध्यान आकर्षित कराते हुए ओजोन परत की सुरक्षा के लिए हमारी जीवन शैली एवं वास्तु शैली में संशोधन करने की आवश्यकता जताई ।
डॉ राकेश कटारा ने परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए ध्वनि प्रदूषण की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया एवं ध्वनि की एक निश्चित मात्रा में ही व्यक्ति को विभिन्न यंत्रों को उपयोग में लेने की सलाह दी क्योंकि आजकल बड़े-बड़े संगीत के कार्यक्रमों में बजने वाले हाई फ्रीक्वेंसी के डीजे, स्पीकर आदि व्यक्ति के मानसिक संतुलन, स्वभाव, समायोजन, स्मृति, रक्तचाप संबंधी बीमारियों एवं हृदय के रोगों को प्रभावित कर रहे हैं। बड़े-बड़े संगीत कार्यक्रमों में संगीत से जुड़े गायक आदि निरंतर ध्वनि प्रदूषण जनित हादसों के शिकार हो रहे हैं। अतः हमें विभिन्न माध्यमों से ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाकर हमारे मन-मस्तिष्क को स्वस्थ रखना होगा ।
डॉ सुरेश अग्रवाल ने बताया कि सभी धर्मों में पर्यावरण के प्रति समर्पण एवं चेतना का भाव मौजूद है एवं सभी धर्म पर्यावरण से जुड़कर संतुलित विकास करने की हमें प्रेरणा देते हैं । सनातनी परंपरा सर्वे भवंतु सुखिनः की कामना करते हुए वनस्पति ,प्राणी मात्र की संतुष्टि एवं सुरक्षा की कामना करती है। वैदिक मंत्र एवं शांति मंत्र सृष्टि के समस्त जैविक और अजैविक पदार्थों की शांति एवं संतुलन की भावना अभिव्यक्त करते हुए कहते हैं कि- ओम पृथ्वी शांति, अंतरिक्ष शांति ..।
जिला शिक्षा अधिकारी पर पदोन्नत डॉ राकेश कटारा द्वारा इस अवसर पर सभी धर्मों के अनुयायियों को पर्यावरण संरक्षण एवं समर्पण के प्रति शपथ दिलवाई गई । विद्यालय प्रांगण में इस अवसर पर वृक्षारोपण का कार्य भी किया गया। कार्यक्रम को संक्षिप्त में सारगर्भित करते हुए एवं आभार प्रदर्शन करते हुए सेन्ट मैरिज कान्वेंट स्कूल की प्रिंसिपल अनुषा सिस्टर द्वारा विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने के लिए व्यवहारिक कार्यों को प्रतिदिन करवाने पर बल दिया गया और कहा गया कि हमें वर्ष में एक दिन ही पर्यावरण दिवस नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्रतिदिन को दिवस ‘पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाना चाहिए।
परिचर्चा एवं वृक्षारोपण के कार्यक्रम में फादर अजय, मोहम्मद अली बोहरा, अजीत सिंह दुआ, सरदार कश्मीर सिंह, आशा बहन, कीर्ति बहन ब्रह्मकुमारी, भाई रमेश, हिमांशु गौड़ आदि सदस्यों ने भी अपनी सक्रिय भूमिका निर्वहन की ।
(प्रकाष जैन)
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